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अब तक हमें लगता था कि स्त्रियों को एक लेकर एक खास तरह का पिछड़ी सोच और पारंपरिक अपेक्षाएं सिर्फ आरा, छपरा, मोतिहारी और लखीमपुर खीरी जैसी जगहों पर पैदा होने वाली लड़कियों के हिस्से में आई हैं
मनीषा पांडेय अब तक हमें लगता था कि स्त्रियों को एक लेकर एक खास तरह का पिछड़ी सोच और पारंपरिक अपेक्षाएं सिर्फ आरा, छपरा, मोतिहारी और लखीमपुर खीरी जैसी जगहों पर पैदा होने वाली लड़कियों के हिस्से में आई हैं. वहां से थोड़ा और आगे बढ़ते तो ज्यादा से ज्यादा से कह सकते थे कि ये देश ही पिछड़ा है. हिंदुस्तानी मर्दों की मानसिकता ही ऐसी है. बाकी दुनिया को देखो, कहां से कहां पहुंच गई. थोड़ा और वैश्विक होने को आते तो भारत से चलकर मिडिल ईस्ट तक जा सकते थे. हां, इस देश में औरतों की हालत खराब है, लेकिन सऊदी अरब में तो यहां से ज्यादा खराब है.
लेकिन क्या हो, अगर आपको पता चले कि बर्लिन से लेकर एम्सटर्डम और स्टॉकहोम तक कहीं भी औरतों के हालात कोई बहुत सुनहरे नहीं हैं. कहानी सब जगह कमोबेश एक ही जैसी है.
फेसबुक पर महिलाओं का एक इंटरनेशनल क्लोज्ड ग्रुप है. उस ग्रुप में यूरोप, एशिया, उत्तरी-दक्षिणी अमेरिका से लेकर अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया तक के 200 से ज्यादा देशों, शहरों और कस्बों की महिलाएं हैं. चंद रोज पहले प्रेटोरिया, दक्षिण अफ्रीका से 19 साल की एक लड़की ने ग्रुप में लिखा कि "मैं ये सुन-सुनकर थक चुकी हूं कि अगर तुम खाना बनाना और सफाई करना नहीं सीखोगी तो कोई लड़का तुमसे शादी नहीं करेगा. सबसे पहले तो किसने कहा कि मुझे शादी करनी ही है और दूसरे करनी भी होगी तो ऐसे लड़के से क्यों करूंगी, जो खाना बनाने और सफाई करने वाली नौकरानी चाहिए. मेरे भी तो कुछ स्टैंडर्ड हैं."
प्रेटोरिया की ये 19 साल की लड़की कोई पांच दशक पहले पैदा नहीं हुई है, जो हम ये कहकर दिल को बहला लें कि पहले ऐसा होता था, अब तो नहीं होता है. लेकिन सबसे मजेदार बात थी उस लड़की की पोस्ट पर दुनिया के तमाम देशों और शहरों से आए हुए कमेंट. अर्जेंटीना के एक शहर मेंडोजा से एक लड़की लिख रही थी कि उसकी मां ने भी बचपन से उसे यही सिखाया, जो उसने कभी न सुना, न माना. फिर उसका एक बॉयफ्रेंड बना, जो ब्यूनस आयर्स में रहता था. लड़की जब भी मेंडोजा से राजधानी जाती, लड़का उम्मीद करता कि वो लौटने से पहले उसका घर चमकाकर, उसके चार बाल्टी कपड़े धोकर और उसके लिए हफ्ते भर का खाना बनाकर जाएगी. ये कहानी सुनाने के बाद लड़की ने एक आंख मारने वाला इमोजी बनाया और लिखा, "और पता है फिर मैंने क्या किया. मैंने उससे व्हॉट्सएप पर ही ब्रेकअप कर लिया." उसने सिर्फ इतना ही लिखा- "फक यू."
मेंडोजा की उस लड़की की कहानी पर डेढ़ हजार से ज्यादा लड़कियों ने दिल बनाया. जाहिर है, लखीमपुर खीरी से लेकर अमेरिका के न्यू यॉर्क तक में बैठी लड़की के दिल को वो बात छू गई थी.
वैसे अपनी गर्लफ्रेंड और भावी पत्नी से खाना बनाने और अपने गंदे अंडरवियर धुलवाने के अरमान सिर्फ अर्जेंटीना और प्रेटोरिया के लड़कों में ही नहीं हैं. उस पोस्ट पर वर्जीनिया, टेक्सस, मैक्सिको, वैंकूवर, चिली, ब्राजील, स्टॉकहोम, बर्लिन, चीन (चीनी मूल की लड़की जो बुल्गारिया में रहती है) , बांग्लादेश, पोलैंड, बेलारूस और नीदरलैंड तक से लड़कियों के कमेंट हैं, जो अपनी दादी और मां से लेकर पूर्व पति और प्रेमी की कहानियां सुना रही हैं, जो उनसे ऐसी ही उम्मीद करते थे. एक 50 साल की महिला लिखती है कि कैसे उसने शादी तो नहीं तोड़ी, लेकिन धीरे-धीरे अपने पति के अरमानों पर पानी जरूर फेर दिया. रोज उनके घर में घर के कामों को लेकर एक बार झगड़ा जरूर होता है, लेकिन मजाल है जो मैं उसका कोई एक्स्ट्रा काम कर दूं. वो लिखती हैैं, "20 साल करके देख लिया. अब और नहीं."
मिडिल ईस्ट की एक लड़की, जो फ्रांस में ही पैदा हुई और वहीं पली-बढ़ी, उसका फ्रेंच बॉयफ्रेंड भी ऑमलेट और ब्लैक कॉफी से ज्यादा कुछ नहीं बना पाता. वो हम भी लड़के के अपार्टमेंट में मिलते हैं, लड़के की उम्मीद होती है कि लड़की नाश्ता भी बनाएगी और उसका कमरा भी साफ करेगी. एक पारंपरिक मुस्लिम परिवार में हुई परवरिश ने उसे ऐसा ही करना सिखाया. लेकिन अब डेढ़ साल हो चुके हैं और उस लड़की को लगने लगा है कि कुछ तो है, जो इस रिश्ते में सही नहीं है. अपनी कहानी सुनाकर वो बाकी लड़कियों से सलाह मांगती है कि क्या उसे ब्रेकअप कर लेना चाहिए.
लड़कियां कहती हैं कि उसे पहले तो लड़के से खुलकर बात करनी चाहिए कि वो ये सब नहीं करेगी. अगर लड़के को समझ में न आए तो उसे निश्चित तौर पर ये रिश्ता तोड़ लेना चाहिए. एक भी लड़की उसे चुपचाप काफी बनाते जाने और कमरा साफ करते जाने की सलाह नहीं देती. हर सलाह पर लड़की दिल बनाकर जाती है.
बेलारूस की एक लड़की लिखती है कि वो खुद भी अपने परिवार में मां और पिता से यही सुनते हुए बड़ी हुई कि एक लड़की के लिए घरेलू कामों में दक्ष होना कितना जरूरी है. उसे कोई देश थोड़े चलाना है. उसे अच्छा खाना बनाना आना चाहिए ताकि वह अपने पति का दिल जीत सके. वो लिखती है कि पति का दिल जीत सकने के सारे हुनर मैंने सीखे थे, 12 साल तक दिल से खाना भी बनाया, घर को चमकदार रखा, चार बच्चे पैदा किए, बड़े किए, लेकिन इतना सब करके भी मैं पति का दिल जीत नहीं पाई. उसने शादी के बाहर कई अफेयर किए. फिर आखिरकार तंग आकर मैंने वो शादी तोड़ दी. अब मैं अपने चार बच्चों के साथ अकेली रहती हूं और हर वो काम करती हूं, जिससे किसी और का नहीं, बल्कि अपना दिल जीत सकूं.
प्रेटोरिया की एक लड़की की गुस्से और फ्रस्टेशन से भरी चार लाइन की पोस्ट ने इतनी कहानियां उजागर कर दीं कि जिसे पढ़कर मुझे लगा कि ये ट्रेजेडी सिर्फ मेरे घर, मेरे शहर, मेरे गांव और मेरे देश की नहीं है. आज भी पूरी दुनिया के लाखों घरों में लड़कियों को यही सिखाया जा रहा है. आज भी लाखों लड़के यही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि एक दिन कोई लड़की आकर उनके लिए पकवान बनाएगी और उनके कच्छे धोएगी.
लेकिन लड़कियों से सोशल मीडिया पर अपना एक क्लोज ग्रुप बना लिया है, जहां वो अपनी बात, अपनी कहानी, अपना दुख, गुस्सा, फ्रस्टेशन, शिकायत और प्रतिरोध सबकुछ दर्ज करती हैं. उस क्लोज ग्रुप में कोई आदमी नहीं है, जो उनको जज करे और आकर बिन मांगी सलाहें दे. घर में मिली सलाहों का जवाब वो यहां दे रही हैं. ब्रेकअप कर रही हैं और पूछ रही हैं- मेरा कोई स्टैंडर्ड नहीं है क्या.
Rani Sahu
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