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सोर्स - JAGRAN
शिवराज सिंह चौहान सरकार को इसके लिए साधुवाद दिया जाना चाहिए कि उसके प्रयासों से देश में पहली बार मध्य प्रदेश में चिकित्सा की पढ़ाई हिंदी में शुरू होने जा रही है। इस प्रयोग की प्रतीक्षा लंबे समय से की जा रही थी, क्योंकि चीन, जापान, जर्मनी, फ्रांस और रूस समेत कई देश अपनी भाषा में उच्च शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। अच्छा होता कि भारत में इसकी पहल स्वतंत्रता के बाद ही की जाती।
यदि ऐसा किया गया होता तो संभवत: आज उच्च शिक्षा की पढ़ाई हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में हो रही होती। देर से ही सही, चिकित्सा की हिंदी में पढ़ाई का शुभारंभ भारतीय भाषाओं को सम्मान प्रदान करने की दृष्टि से एक मील का पत्थर है। इस प्रयोग की सफलता के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने चाहिए। साथ ही जो शुरुआत मध्य प्रदेश से हो रही है वह देश भर में तेजी से आगे बढ़े। यह उत्साहजनक है कि चिकित्सा के साथ इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिंदी में शुरू करने के कदम उठाए जा रहे हैं।
अगला प्रयास कानून, विज्ञान, वाणिज्य आदि विषयों की पढ़ाई हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में शुरू करने का होना चाहिए। जब अन्य अनेक देशों में ऐसा हो सकता है तो भारत में क्यों नहीं हो सकता। आवश्यकता है तो वैसी इच्छाशक्ति की जैसी केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार ने दिखाई। हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में उच्च शिक्षा की पढ़ाई में प्रारंभ में कुछ समस्याएं आ सकती हैं, लेकिन उनसे आसानी से पार पाया जा सकता है। इस क्रम में इस पर विशेष ध्यान देना होगा कि शिक्षा की गुणवत्ता से कोई समझौता न होने पाए।
मातृभाषा में पढ़ाई की महत्ता किसी से छिपी नहीं। कई देशों ने यह सिद्ध किया है कि मातृभाषा में उच्च शिक्षा प्रदान कर उन्नति की जा सकती है। मातृभाषा में शिक्षा इसलिए आवश्यक है, क्योंकि एक तो छात्रों को अंग्रेजी में दक्षता प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा नहीं खपानी पड़ती और दूसरे वे पाठ्यसामग्री को कहीं सुगमता से आत्मसात करने में सक्षम होते हैं। इसी के साथ वे स्वयं को कहीं सरलता से अभिव्यक्त कर पाते हैं। इसकी भी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि एक बड़ी संख्या में प्रतिभाशाली छात्रों को भी चिकित्सा, इंजीनियरिंग एवं ऐसे ही अन्य विषयों की पढ़ाई में अंग्रेजी की बाधा का सामना करना पड़ता है।
चिकित्सा, इंजीनियरिंग आदि की पढ़ाई की सुविधा प्रदान करते समय इस पर भी ध्यान देना आवश्यक है कि भाषा सहज-सरल हो और उसमें अंग्रेजी के प्रचलित शब्दों का प्रयोग करने में हिचका न जाए। उचित यह होगा कि जो पहल मध्य प्रदेश में हुई उसका अनुकरण अन्य राज्य भी करें। और भी उचित यह होगा कि वे मातृभाषा में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर ऊंचा रखने के मामले में प्रतिस्पर्धा का भी परिचय दें।
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