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महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray MNS) के खिलाफ मंगलवार (3 मई) को औरंगाबाद सिटी चौक पुलिस थाने में केस दर्ज कर लिया गया है
शमित सिन्हा
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray MNS) के खिलाफ मंगलवार (3 मई) को औरंगाबाद सिटी चौक पुलिस थाने में केस दर्ज कर लिया गया है. इसके साथ ही राज ठाकरे की गिरफ्तारी की आशंकाएं बढ़ गई हैं. इससे पहले एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi AIMIM) ने यह सवाल उठाया था कि मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा पढ़ने की जिद करने पर सांसद नवनीत राणा (Navneet Rana) और उनके विधायक पति पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया और राज ठाकरे ने मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतारने का अल्टीमेटम दिया तो उन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई? राज ठाकरे सीएम उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई हैं इसलिए उनके लिए कानून अलग है और नवनीत राणा के लिए कानून अलग? आज जब राज ठाकरे के खिलाफ केस दर्ज हो गया तो अब भी एआईएमआईएम से औरंगाबाद के सांसद इम्तियाज जलील (Imtiyaz Jaleel AIMIM) ने ठीक इसी तरह का आरोप लगाया है. इम्तियाज जलील ने कहा है कि जानबूझ कर राज ठाकरे के खिलाफ ऐसी धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है, जिनमें जमानत आसानी से मिल सकती है. जबकि नवनीत राणा पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया, जो गैर जमानती है.
राज ठाकरे ने औरंगाबाद में 1 मई को दिए गए अपने भाषण में महाराष्ट्र सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि अगर 3 तारीख तक मस्जिदों से लाउडस्पीकर (Loudspeaker) नहीं उतारे जाते हैं तो 4 तारीख से एमएनएस के कार्यकर्ता मस्जिदों के सामने दुगुनी आवाज में हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करेंगे. राज ठाकरे के खिलाफ भड़काऊ भाषण करने और दो समुदाओं के बीच तनाव पैदा करने के आरोप में केस दर्ज किया गया है. उन पर आपीसी की धारा 116,117, 153 और महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 135 के तहत केस दर्ज किया गया है. साथ ही राज ठाकरे को सभा करने से पहले इजाजत दिए जाने के वक्त जो 16 शर्तें रखी गई थीं उनमें से 12 शर्तों के उल्लंघन करने का इल्जाम है.
एक जैसे गुनाह पर अलग-अलग इंसाफ, नवनीत राणा और राज पर दो अलग-अलग बात
इम्तियाज जलील ने हमारे सहयोगी न्यूज चैनल TV9 मराठी को इंटरव्यू देते हुए यह सवाल उठाया कि आखिर राज ठाकरे ने नवनीत राणा से क्या अलग किया जो दोनों पर अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज किया गया? क्या राज ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार को चुनौती नहीं दी? फिर राज ठाकरे पर राजद्रोह (IPC 124-A) क्यों नहीं लगा? राज ठाकरे ने भी कानून व्यवस्था और शांति-सुव्यवस्था भंग करने की कोशिश की. लेकिन उन पर आईपीसी की धारा 153 लगी और नवनीत राणा पर 153-A क्यों?
नवनीत राणा के खिलाफ गई कौन सी बात, राज के पक्ष में क्या हुआ खास?
इम्तियाज जलील ने जो सवाल उठाए , उन्हें थोड़ा समझने की जरूरत है. राजद्रोह का केस तब दर्ज होता है जब कोई राज्य प्रशासन को अस्थिर करने की साजिश रच रहा हो या उसे चुनौती देता हो. नवनीत राणा के केस में सरकारी वकील ने अपनी दलील में कहा है कि नवनीत राणा ने मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ने के बहाने राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की. राज्य सरकार को हिंदू विरोधी दर्शााने की कोशिश की. यह दर्शाना चाहा कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था का पालन करवाने में सक्षम नहीं है. राज ठाकरे ने भी सीधे-सीेधे मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतरवाने का अल्टीमेटम दिया वरना एमएनएस कार्यकर्ताओं द्वारा मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा का पाठ किए जाने की धमकी दी. राज्य प्रशासन को चुनौती दोनों दे रहे हैं, लेकिन नवनीत राणा पर आईपीसी की धारा लगती है 153-A और राज ठाकरे पर धारा लगती है 153. ऐसा क्यों?
क्या फर्क है नवनीत राणा पर लगी धारा 153-A और राज ठाकरे पर लगी धारा 153 में
आईपीसी की धारा 153 दो समुदाओं के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश के मामले में लगााई जाती है. राज ठाकरे पर धारा 153 इसलिए लगी क्योंकि उनके भाषण से कोई हिंसा होने या अप्रिय घटना का अंदेशा था, लेकिन हिंसा हुई नहीं. 153-A तब लगाई जाती है जब घटनाएं हो जाती हैं. सवाल यह है कि नवनीत राणा और रवि राणा ने भी मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा पढ़ने का फैसला दोपहर 3 बज कर 40 मिनट में वापस ले लिया. वे मातोश्री गए ही नहीं. यानी घर से निकले ही नहीं, फिर भी उन पर धारा 153-A के तहत केस कैसे दर्ज किया गया है. नवनीत राणा के वकील रिजवान मर्चंट ने मुंबई सेशंस कोर्ट में यही दलील दी है कि जो गुनाह हुआ ही नहीं, उस गुनाह के लिए केस दर्ज कैसे हो सकता है?
Rani Sahu
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