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- जम्मू-कश्मीर में सेना...
यह घटना भी चर्चा में रह चुकी है कि मारे जा चुके एक आतंकी का बेटा अपने पिता के रास्ते पर न चलकर कश्मीर की सबसे अहम परीक्षा पास कर प्रशासनिक सेवाएं दे रहा है। नई पीढ़ी को विदेशी आतंकियों के जाल से बचाना जरूरी है। यह समय बड़ा उपयुक्त है क्योंकि एक तरफ भारतीय सेना विदेशी आतंकवादियों को टिकाने लगा रही है दूसरी तरफ विश्व स्तर पर पाकिस्तान आतंकवाद के मामले में बुरी तरह घिरा हुआ है। अब तो पाकिस्तान की इमरान सरकार के साथ-साथ सेना की भी आलोचना हो रही है। इन परिस्थितियों में पाकिस्तान में आतंकियों का मनोबल कमजोर हो सकता है। आतंक में लिपटे कुछ कश्मीरी युवक यदि इसी तरह बदलाव लाएंगे, तब अमन-शांति को बहाल करना आसान होगा।
यह भी आवश्यक है कि आतंकवाद का रास्ता छोड़कर वापिस लौटे युवाओं को सुरक्षा के साथ-साथ रोजगार भी मुहैया करवाया जाए। सुरक्षा मिलने से अन्य युवाओं को भी घर वापिसी की प्रेरणा मिलेगी। पिछले कुछ समय में ऐसी कई घटनाएं घट चुकी हैं जो मुख्य धारा में लौटे पूर्व आतंकियों को आतंकवादी संगठनों ने मौत के घाट उतार दिया। सेवामुक्त जनरल जेजे सिंह की यह खास रणनीति रही थी कि मुकाबले के दौरान भटके हुए युवाओं के लिए वापिसी का प्रयास किया जाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी भी यह कह चुके हैं कि कश्मीरियों को गोली नहीं बल्कि गले लगाने की आवश्यकता है।