सम्पादकीय

जम्मू-कश्मीर में सेना का काबिले तारीफ कदम

Triveni
18 Oct 2020 4:36 AM GMT
जम्मू-कश्मीर में सेना का काबिले तारीफ कदम
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गत दिवस जम्मू-कश्मीर में एक मुकाबले दौरान सुरक्षा बलों ने एक युवक को आतंकवाद की दलदल से बाहर निकालकर समाज की मुख्य धारा में शामिल किया।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| गत दिवस जम्मू-कश्मीर में एक मुकाबले दौरान सुरक्षा बलों ने एक युवक को आतंकवाद की दलदल से बाहर निकालकर समाज की मुख्य धारा में शामिल किया। युवक अपने पिता के गले लगकर बहुत रोया। यह सुरक्षा कर्मियों की सूझ-बूझ और दमदार रणनीति का कमाल है कि ऐसी नाजुक स्थिति में किसी भटके हुए युवक को वापिस खुशहाली के रास्ते पर लाया गया। भले ही ऐसी घटनाएं एकआध ही होती हैं लेकिन इनका संदेश प्रभावशाली है। यदि सेना इसी तरह विदेशी दुश्मनों द्वारा भटकाकर आतंकी रास्तों पर चले युवाओं की घर वापिसी करेगी तब विदेशी ताकतों के साथ आधी लड़ाई बिना हथियारों के ही लड़ी जा सकती है।

यह घटना भी चर्चा में रह चुकी है कि मारे जा चुके एक आतंकी का बेटा अपने पिता के रास्ते पर न चलकर कश्मीर की सबसे अहम परीक्षा पास कर प्रशासनिक सेवाएं दे रहा है। नई पीढ़ी को विदेशी आतंकियों के जाल से बचाना जरूरी है। यह समय बड़ा उपयुक्त है क्योंकि एक तरफ भारतीय सेना विदेशी आतंकवादियों को टिकाने लगा रही है दूसरी तरफ विश्व स्तर पर पाकिस्तान आतंकवाद के मामले में बुरी तरह घिरा हुआ है। अब तो पाकिस्तान की इमरान सरकार के साथ-साथ सेना की भी आलोचना हो रही है। इन परिस्थितियों में पाकिस्तान में आतंकियों का मनोबल कमजोर हो सकता है। आतंक में लिपटे कुछ कश्मीरी युवक यदि इसी तरह बदलाव लाएंगे, तब अमन-शांति को बहाल करना आसान होगा।

यह भी आवश्यक है कि आतंकवाद का रास्ता छोड़कर वापिस लौटे युवाओं को सुरक्षा के साथ-साथ रोजगार भी मुहैया करवाया जाए। सुरक्षा मिलने से अन्य युवाओं को भी घर वापिसी की प्रेरणा मिलेगी। पिछले कुछ समय में ऐसी कई घटनाएं घट चुकी हैं जो मुख्य धारा में लौटे पूर्व आतंकियों को आतंकवादी संगठनों ने मौत के घाट उतार दिया। सेवामुक्त जनरल जेजे सिंह की यह खास रणनीति रही थी कि मुकाबले के दौरान भटके हुए युवाओं के लिए वापिसी का प्रयास किया जाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी भी यह कह चुके हैं कि कश्मीरियों को गोली नहीं बल्कि गले लगाने की आवश्यकता है।

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