सम्पादकीय

एजेंसियों की सजगता से पकड़ी जा रही बड़ी मात्रा में ड्रग्स, देश में तस्‍करों के नेटवर्क को ध्वस्त करना आवश्यक

Rani Sahu
8 Oct 2022 6:25 PM GMT
एजेंसियों की सजगता से पकड़ी जा रही बड़ी मात्रा में ड्रग्स, देश में तस्‍करों के नेटवर्क को ध्वस्त करना आवश्यक
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सोर्स - Jagran
समुद्री रास्ते किस तरह देश में ड्रग्स लाने का जरिया बन गए हैं, इसका ताजा प्रमाण है तटरक्षक बल और गुजरात के आतंकवाद निरोधक दस्ते (NIA) के साझा अभियान में अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा के पास 50 किलो हेरोइन की बरामदगी। जिस नौका से यह हेरोइन पकड़ी गई, उसमें सवार छह पाकिस्तानी नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया है। पिछले महीने भी गुजरात के समुद्री तट से एक पाकिस्तानी नौका से ड्रग्स बरामद की गई थी। इसी तरह गुजरात के बंदरगाहों से भी रह-रहकर ड्रग्स (drugs) की खेप पकड़ी जाती रही है। पिछले साल सितंबर में गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह से तो राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 21 हजार करोड़ की ड्रग्स बरामद की थी।
देश के अन्य बंदरगाह भी ड्रग्स की आवक के ठिकाने बनते दिख रहे हैं। बहुत दिन नहीं हुए, जब मुंबई के बंदरगाह में एक कंटेनर से दिल्ली पुलिस ने हेरोइन की एक बड़ी खेप बरामद की थी। गत दिवस मुंबई में करोड़ों रुपये की जो ड्रग्स बरामद की गई, उसके बारे में यही अंदेशा है कि उसे समुद्री रास्ते से लाया गया होगा। दूसरे देशों और मुख्यतः अफगानिस्तान से लाई जाने वाली ड्रग्स का बड़ी मात्रा में पकड़ा जाना अच्छी बात है। इससे यह पता चलता है कि हमारी एजेंसियां सजग और सक्रिय हैं, लेकिन कहीं जितनी मात्रा में ड्रग्स पकड़े जा रहे हैं, उससे कहीं अधिक मात्रा में देश में खप तो नहीं रहे?
एक प्रश्न यह भी है कि भारत ड्रग्स तस्करों का आसान निशाना तो नहीं बन रहा है? इसकी आशंका इसलिए है, क्योंकि हाल के समय में देश के विभिन्न शहरों में अच्छी-खासी मात्रा में तरह-तरह के मादक पदार्थ पकड़े गए हैं। इसका अर्थ है कि देश में ड्रग्स तस्करों का एक नेटवर्क बन गया है। इसका अंदेशा ड्रग्स तस्करी में लिप्त लोगों की बड़ी संख्या में गिरफ्तारी से होता है। ऐसे किसी नेटवर्क को ध्वस्त करना आवश्यक है, क्योंकि ड्रग्स तस्करी से अर्जित धन केवल देशविरोधी गतिविधियों में नहीं खपाया जा रहा, बल्कि मादक पदार्थों का लती बनाकर युवा पीढ़ी को बर्बाद भी किया जा रहा।
हैरानी नहीं कि यह काम भारत की प्रगति से परेशान देश विरोधी शक्तियों की ओर से किया जा रहा हो। जो भी हो, यह सामान्य बात नहीं कि ड्रग्स की आवक थमने का नाम नहीं ले रही है। देश में ड्रग्स तस्करों की सक्रियता के पीछे की ताकतों का पता लगाने के साथ इस सवाल की तह तक भी जाना होगा कि कहीं भारत में ड्रग्स लाकर यहां से उसकी आपूर्ति अन्य देशों में तो नहीं की जा रही है? यदि ऐसा कुछ है तो एजेंसियों को और सजगता बरतनी होगी। इसी तरह की सजगता समाज को भी दिखानी होगी, ताकि देश में नशे के सेवन के खिलाफ माहौल बन सके।
Rani Sahu

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