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दो दिन पहले मैं अपने एक मित्र की कार में बैठा हुए ‘विश्वस्तरीय’ हबीबगंज स्टेशन (अब कमलापति) के नजदीक भोपाल के सबसे खराब ट्राफिक जाम में फंस गया
एन. रघुरामन। दो दिन पहले मैं अपने एक मित्र की कार में बैठा हुए 'विश्वस्तरीय' हबीबगंज स्टेशन (अब कमलापति) के नजदीक भोपाल के सबसे खराब ट्राफिक जाम में फंस गया, स्टेशन इस सोमवार को पीएम मोदी के हाथों उद्घाटन के लिए तैयार किया जा रहा है। मेरे दाईं ओर दो लोग गलत तरीके से कार डालने पर कार से ही एक-दूसरे पर चिल्ला रहे थे। वहीं मेरे बाईं ओर अपनी स्कूटी पर बैठी एक गर्भवती महिला एक बुजुर्ग कार ड्राइवर के पीछे लगातार हॉर्न बजाए जा रही थी और बाएं मुड़ने के लिए रास्ता मांग रही थी।
बुुजुर्ग आदमी अनसुना कर रहे थे, लेकिन लगातार हॉर्न बजाने से बाकी लोग खीझ रहे थे। एक मिनट तक हॉर्न देने के बाद उसने बीच रोड पर अपनी स्कूटी खड़ी की और कार के शीशे पर दस्तक देते हुए उन्हें कार के अगले पहिए दाएं घुमाने के लिए कहा, जो कि लगभग 60 डिग्री बाएं मुड़े थे, ताकि वह बाईं ओर रेलवे ब्रिज के नीचे से निकल जाए। बुजुर्ग सच में उस पर चिल्लाते हुए बोले, 'तुम्हें मैं पागल दिखता हूं, मुझे भी बाईं ओर ही जाना है। तुम्हें पता है कि मैं कितने साल का हूं?
मैं 80 साल का शुगर पेशेंट हूं और मुझे भी घर जाने की जरूरत है।' वह महिला चुपचाप वापस स्कूटी पर जाकर बैठ गई। वहां हवा में ही झुंझलाहट थी। उस सड़क पर कम से कम उस दिन तो कोई सहानुभूति नहीं थी। भोपाल के इस दौरे में मैंने यहां के वाहन चालकों के व्यवहार में बड़ा अंतर देखा, जो कि आमतौर पर उत्साही और परवाह करने वाले होते हैं। शायद दफ्तर में अच्छे प्रदर्शन का दबाव हो, क्योंकि पिछले 18 महीने में कोरोना के कारण बिजनेस में काफी नुकसान हुआ है।
या हो सकता है कि वर्क फ्रॉम होम खत्म हो गया है, ऐसे में वे घर से काम का आनंद नहीं उठा पा रहे हों। या शायद वजह मेट्रो के लिए हो रहे निर्माण से सड़कें संकरी होने के कारण रोजाना लगने वाला जाम हो। या फिर शायद उद्घाटन की तैयारियों के कारण अव्यवस्था से उनमें से कुछ लोग झल्लाए हुए हों! चूंकि मैं कार में आगे अपने मित्र के बगल वाली बाईं ओर की सीट पर बैठा था, तो मैंने कार के शीशे नीचे किए और मुस्कुराते हुए बुजुर्ग से कहा, 'सर, आप ऐसे दिखते हैं जैसे अपनी उम्र के 20वें साल का चौथी बार जश्न मना रहे हों।
आप हर्गिज 80 के नहीं लगते।' और तब मैंने गर्भवती महिला की ओर इशारा करते हुए उन्हें कहा, 'कृपया उसे जाने दें, बेचारी गर्भवती है।' उन्होंने तुरंत कार के पहिए सीधे किए और स्कूटी पर बैठी महिला हम दोनों को जोर से धन्यवाद देते हुए तेजी से बाईं ओर चली गई। तब मैंने उन्हें कहा, 'मुझे दिख रहा है कि आपका दिन बुरा बीता होगा, इसलिए आप खीझ रहे हैं। ट्राफिक के लिए मैं कुछ नहीं कर सकता, पर ये एक चीज जरूर कर सकता हूं।'
और तब मैंने अपनी हथेली उनकी ओर बढ़ाते हुए कहा, 'आज रात अपनी परेशानियां घर लेकर न जाएं, बस मुश्किलें मुझे दे दें। मैं वैसे भी बड़ी झील जा रहा हूं और उन सबको मैं वहां पानी में डुबो दूंगा।' वह थोड़ा चौंके। लेकिन फिर मुस्कुराए और अपना हाथ मेरे हाथ पर रखते हुए ऐसे दिखाया जैसे सच में मेरी हथेली पर कुछ रख रहे हों।
पीछे बाइक पर खड़े कुछ लड़के हंस रहे थे पर उन बुुजुर्ग की आंखें भीगी थीं। ट्राफिक धीरे-धीरे खुल रहा था और हम अलग हो रहे थे, लेकिन मैं अभी भी देख पा रहा था कि वह रूमाल से अपने आंसू पोंछ रहे थे। फंडा ये है कि किसी का मान बढ़ाने वाला आपका महज एक अच्छा काम रोशनी से वीरान (हताश पढ़ें) इस दुनिया में उजाला भरने के लिए काफी है।
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