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सम्पादकीय
सफलता की राह पर जल जीवन मिशन, आधे से अधिक ग्रामीण परिवारों तक पहुंचा नल से जल का कनेक्शन
Gulabi Jagat
21 Aug 2022 4:42 PM GMT
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रमेश कुमार दुबे : गोवा देश का पहला राज्य और दमन दीव एवं दादरा नगर हवेली पहला केंद्र शासित प्रदेश बन गया है, जहां के हर घर को स्वच्छ जलापूर्ति नल से हो रही है। जल्द ही इस सूची में और राज्यों के जुड़ने की संभावना है। दरअसल भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार जल जीवन मिशन के तहत तेलंगाना, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, पुदुचेरी और हरियाणा के भी 100 प्रतिशत ग्रामीण घरों को नल के जरिये साफ पानी का कनेक्शन दिया जा चुका है, लेकिन अभी इन राज्यों के जिलों को सत्यापित नहीं किया गया है। इसके अलावा कई राज्यों ने अपने 90 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण आवासों तक नल से जल पहुंचाने का काम पूरा कर लिया है। इसमें उल्लेखनीय हैं पंजाब 99 प्रतिशत, गुजरात 95.56 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश 93 प्रतिशत और बिहार 92.72 प्रतिशत।
जैसे कि लेह (लद्दाख) के 13,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित डेमचोक गांव के लोगों ने यह नहीं सोचा था कि कभी उनके घरों में भी नल का पानी आएगा, लेकिन जल जीवन मिशन के तहत अब गांव में नल से पानी की आपूर्ति होने लगी है। इस दुर्गम गांव तक पानी पहुंचाने के लिए 325 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाई गई है। सर्दियों के मौसम में पाइपलाइन में बर्फ न जमे इसके लिए सौर ऊर्जा सिस्टम लगाया गया है। डेमचोक गांव की ही भांति मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के लोगों ने 2019 में यह नहीं सोचा था कि मात्र तीन वर्षों में जिले के हर घर तक नल से जल मिलने लगेगा, लेकिन आज यह हकीकत बन चुका है। उल्लेखनीय है कि बुरहानपुर जिले के 254 गांवों के सभी घरों में नल से जल के कनेक्शन दिए जा चुके हैं। 2019 में केवल 37 प्रतिशत घरों में नल से जल की सुविधा थी, लेकिन मात्र तीन वर्षों के भीतर सभी घरों में नल से जल की सुविधा उपलब्ध हो गई। जिले के सभी 640 स्कूलों, 547 आंगनबाड़ी केंद्रों और 440 अन्य सार्वजनिक संस्थानों में भी नल से जल का कनेक्शन दिया गया है।
मोदी सरकार ने देश के सभी गांवों में हर घर तक साफ और सुरक्षित पानी पहुंचाने की संकल्पना के साथ 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य अधिक से अधिक पानी की बचत करके भारत के ग्रामीण इलाकों में नल के जरिये स्वच्छ जल पहुंचाना है। जल जीवन मिशन के तहत चलाए गए इस कार्यक्रम को हर घर जल का नाम दिया गया है। इसके तहत प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 55 लीटर स्वच्छ एवं सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जाता है।
3.6 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली इस योजना को 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह योजना पूरे देश में तेजी से लागू की जा रही है। जल शक्ति मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 15 अगस्त, 2019 को सिर्फ 3.23 करोड़ परिवारों तक पेयजल का कनेक्शन था। अब यह संख्या बढ़कर 9.85 करोड़ तक पहुंच गई है। अर्थात मात्र तीन वर्षों में नल से जलापूर्ति वाले ग्रामीण घरों की संख्या में 203 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस प्रकार देश के कुल 19 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से आधे से अधिक (51 प्रतिशत) परिवारों तक नल से जल का कनेक्शन पहुंचा दिया गया है।
इस योजना के सामने एक बड़ी चुनौती जल उपलब्धता की है। सूखती नदियों-झीलों, लगातार घटते भूजल स्तर, विलुप्त होते तालाबों और बढ़ते जल प्रदूषण के बीच सभी ग्रामीण घरों तक स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति आसान नहीं है। इसी को देखते हुए यह योजना जनभागीदारी से चलाई जा रही है और इसमें जल संरक्षण पर भी बराबर ध्यान दिया गया है। अब तक स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में 14 लाख से अधिक जल संग्रहण पिट बनाए जा चुके हैं।
यह योजना महिला सशक्तीकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है, क्योंकि घर में पानी की व्यवस्था की जिम्मेदारी आम तौर पर महिलाओं की होती है। कई इलाकों में पीने के पानी के लिए महिलाओं को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। एक आंकड़े के अनुसार भारतीय महिलाएं हर साल औसतन 15 करोड़ काम के दिन पानी लाने में खर्च करती हैं, जिसका इस्तेमाल उनकी शिक्षा, हुनर विकास या किसी मानसिक-शारीरिक विकास में हो सकता है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत जहां महिलाओं को परंपरागत चूल्हे के धुएं के बीच खाना बनाने की मजबूरी से मुक्ति मिली, उसी तरह अब उन्हें पेयजल के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
इससे पहले संप्रग सरकार ने 2009 में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम की शुरुआत की था, लेकिन वह योजना अपने लक्ष्य में पूरी तरह सफल नहीं रही। इसी तरह बिजली, रसोई गैस, आवास, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए सैकड़ों योजनाएं बनीं, लेकिन राजनीतिक प्रतिबद्धता में कमी और भ्रष्टाचार आदि के कारण वे लक्ष्य हासिल करने में नाकाम रहीं। दूसरी ओर मोदी सरकार ने मात्र आठ वर्षों में इन सुविधाओं को बिना किसी भेदभाव के सभी देशवासियों तक पहुंचा दिया। मोदी सरकार की बढ़ती लोकप्रियता का कारण यही है।
देखा जाए तो आजादी के बाद से ही सरकारें बिजली, पानी, सड़क, शौचालय, आवास का सपना दिखाकर सत्ता हासिल करती रहीं, लेकिन ये मूलभूत सुविधाएं आम लोगों तक नहीं पहुंच पाईं। मोदी सरकार इन सब मामलों में अलग साबित हुई। सरकार ने इन सुविधाओं को देश के सभी लोगों तक पहुंचाने का समयबद्ध कार्यक्रम तय किया। राजनीतिक प्रतिबद्धता, क्रियान्वयन पर सूचना प्रौद्योगिकी आधारित निगरानी, नौकरशाही की जवाबदेही सुनिश्चित करने का परिणाम यह हुआ कि योजनाएं समय से पहले पूरी हो रही हैं।
(लेखक केंद्रीय सचिवालय सेवा में अधिकारी हैं)
Gulabi Jagat
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