- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- कश्मीर में जय हिन्द का...
आदित्य चोपड़ा | विगत 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर राज्य का पुनर्गठन हो जाने के बाद पहली बार केन्द्र इस राज्य में राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करना चाहता है। गृहमन्त्री श्री अमित शाह ने विगत 3 मार्च को जब राज्य के चुनाव क्षेत्र परिसीमन आयोग के अध्यक्ष अवकाश प्राप्त न्यायाधीश रंजन प्रकाश देसाई का कार्यकाल एक साल बढ़ाया था तो अंदाजा लगाया जा रहा था कि चालू वर्ष 2021 के भीतर राज्य में विधानसभा चुनाव कराने की तैयारी की जा सकती है। इसी सन्दर्भ में हमें ताजा घटनाक्रम को देखना होगा और नतीजा निकालना होगा कि क्या केन्द्र सरकार जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने पर भी विचार कर रहा है? ऐसा करना इसलिए जरूरी हो सकता है क्योंकि राज्य के प्रमुख राजनीतिक दल 5 अगस्त, 2019 के बाद से लगातार यह घोषणा कर रहे हैं कि वे तब तक प्रत्यक्षतः किसी चुनाव में भाग नहीं लेंगे जब तक कि जम्मू-कश्मीर का रुतबा केन्द्र प्रशासित 'अर्ध राज्य' से बढ़ाकर 'पूर्ण राज्य' का नहीं कर दिया जाता। 5 अगस्त, 2019 को भारत की संसद के उच्च सदन राज्यसभा में लोकसभा द्वारा यथा पारित उस प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई थी जिसमें राज्य को दो केन्द्र शासित राज्यों लद्दाख व जम्मू-कश्मीर में विभक्त करते हुए इसका अनुच्छेद 370 के तहत विशेष रुतबा समाप्त कर दिया गया था।