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इतवारी कथा: हर किसी का दिमाग़ पढ़ लेने में माहिर 'बापू अखबारवाला'
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हेमंत शर्मा | बापू ने देश को आजादी दिलवाई. उनकी शख्सियत बेमिसाल थी. उनके बारे में देश-दुनिया में बहुत कुछ लिखा-पढ़ा गया है मगर मैं यहां जिस बापू की बात कर रहा हू्ं, वह गुमनाम रहा. उसके बारे में लिखने का सौभाग्य मुझे ही हासिल है. इस बापू का आज़ादी की लड़ाई से दूर-दूर तक कोई ताल्लुक नही था. मगर वो इस आज़ाद मुल्क की नब्ज़ पर हाथ रखता था और इस नब्ज़ के नीचे से गुज़रने वाली देश की हर छोटी, बड़ी घटना का हिसाब करता था. वह इन घटनाओं को अलग-अलग अख़बारों की शक्लों में सहेजकर हमारे दरवाजे तक ले आता था. वाकई गजब किरदार था उसका. कोई पहचान का मिल जाता तो उससे चिपक लेता. उसके कान में फुसफुसा कर कोई रोचक खबर बताता और जाते-जाते उनके हाथ में दिल्ली का कोई अख़बार थमा देता. उसके व्यक्तित्व में इतना कौतुक था कि उससे जान छुड़ाना मुश्किल था. परम स्नेही, गजब का जिंदादिल. दिल्ली की राजनीति की सदाओं से लेकर सड़क पर झाड़ू लगाने वाली की अदाओं तक वह बेतकल्लुफ़ी से बातें करता था. पैदाईशी खबरी. उसे पूरे शहर की खबर रहती. था तो वह अख़बार का मामूली हॉकर पर हर किसी का दिमाग़ पढ़ लेने में उसे महारत हासिल थी.