सम्पादकीय

अभी बस शुरुआत है

Gulabi
23 Aug 2021 5:14 PM GMT
अभी बस शुरुआत है
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उन्नीस विपक्षी दलों ने साझा बैठक कर जो संदेश दिया, उसे सही दिशा में उनकी एक पहल माना जाएगा

sonia gandhi meeting opposition सिर्फ संविधान रक्षा का वादा एक सीमित दृष्टि है। असल सवाल है कि आम आदमी की रोजमर्रा की समस्याओं के बारे में इन दलों की साझा दृष्टि क्या है? इस बारे में जो मांगें उन्होंने रखी हैं, वो महज फौरी राहत वाली हैं। उन्होंने देश के जन-कल्याण का कोई वैकल्पिक एजेंडा पेश नहीं किया है।


उन्नीस विपक्षी दलों ने साझा बैठक कर जो संदेश दिया, उसे सही दिशा में उनकी एक पहल माना जाएगा। इन दलों में यह सहमति बनना महत्त्वपूर्ण है कि संविधान की रक्षा के मुद्दे पर तमाम विपक्षी दलों को एकजुट संघर्ष करना चाहिए, जिसका मकसद 2024 के आम चुनाव में सत्ताधारी भाजपा के खिलाफ एक विकल्प मुहैया कराना हो। संघर्ष की शुरुआत भी उन्होंने कर दी है। जो मांग पत्र उन्होंने रखा है, वह सीमित महत्त्व का है। फिर भी उस पर सहमति बनने का अपना महत्त्व है। लेकिन जहां तक 2024 में भाजपा को साझा टक्कर देने की बात है, तो इस पहल से कोई नई ताकत बनेगी, इसकी संभावना पैदा करने में अभी तक ये पहल कामयाब नहीं है। इसकी वजह यह है कि जो दल एकजुट हुए हैं, वे अलग-अलग राज्यों में मजबूत हैँ। वहां वैसे भी भाजपा को मुख्य टक्कर वही देते हैं। गठबंधन का मतलब तब होता है, जब दो या अधिक दलों के साथ जुड़ने से उनके वोट आधार का योग बढ़ने की संभावना बनती हो। फिलहाल, भाजपा विरोधी गठबंधनो की जो स्थिति है, वह राज्यों के स्तर पर पहले ही आकार ले चुकी है। उन राज्यों के बाहर वे दल आपस में जुड़ कर कोई नई ताकत पैदा करने की स्थिति में नहीं हैं।

बहरहाल, वे साझा तौर पर वे एक विकल्प हैं, यह संदेश जाना भी अहम है, क्योंकि तब लोकसभा चुनाव में वोट डालते वक्त मतदाताओं को ये भरोसा होता है कि वे राजनीतिक अस्थिरता के पक्ष में मतदान नहीं कर रहे हैं। बहरहाल, ये भरोसा उत्साह में बदल सके, इसके लिए अभी इन दलों को काफी आगे बढ़कर पहल करनी होगी। विपक्षी बैठक में तेजस्वी यादव ने कहा कि इन दलों को देश के लिए अपना विज़न जनता के सामने रखना चाहिए। जाहिर है, सिर्फ संविधान रक्षा का विज़न एक सीमित दृष्टि है। असल सवाल है कि आम आदमी की रोजमर्रा की समस्याओं के बारे में इन दलों की साझा दृष्टि क्या है? इस बारे में जो मांगें उन्होंने रखी हैं, वो महज फौरी राहत वाली हैं। उन्होंने देश के विकास और जन-कल्याण का कोई वैकल्पिक एजेंडा पेश नहीं किया है। मुश्किल यह है कि ऐसा एजेंडा इन दलों के पास अलग-अलग भी नहीं है। इसलिए बेहतर होगा, अगर ये दल इस पर ध्यान केंद्रित करें। भाजपा विरोध का नकारात्मक एजेंडा उन्हें बहुत आगे नहीं ले जा सकेगा।
क्रेडिट बाय नया इंडिया
Gulabi

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