- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- वैश्विक व्यवस्था को...
डा. अभिषेक श्रीवास्तव।
रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के दौरान एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) अपनी भूमिका को निभा पाने में असफल प्रतीत हो रहा है। विगत वर्षों में ऐसी कई अंतरराष्ट्रीय घटनाएं हुईं जिसने इस वैश्विक संस्था की प्रासंगिकता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया है। इस वैश्विक संकट में सुरक्षा परिषद की असफलता 'विश्व सरकार' की संकल्पना को लगातार कमजोर कर रही है, जहां महाशक्तियां स्वयं नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती दे रही हैं। वर्तमान परिस्थितियों में यह भी त्रुटिपूर्ण है कि 77 वर्ष पूर्व हुए विश्व युद्ध के विजेता देशों को सुरक्षा परिषद में वीटो जैसी विशेष शक्तियां प्राप्त हैं, जिसका उपयोग कम और दुरुपयोग अधिक हुआ है। आज भी संयुक्त राष्ट्र विश्व युद्ध के बाद की भू-राजनीतिक संकीर्णताओं से बाहर नहीं निकल पाया है। सुरक्षा परिषद 21वीं सदी में भी 'शीत-युद्ध सिंड्रोम' से ग्रस्त दिख रहा है। यही वजह है कि पिछले कई दशकों से संयुक्त राष्ट्र की संरचना में बदलाव की मांग की जा रही है, परंतु चीन तथा अमेरिका के परस्पर टकराव के कारण सुरक्षा परिषद का सुधार वर्षों से लंबित है।