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- सिविल सेवा परीक्षा में...
डा. विजय अग्रवाल।
देश की आजादी के 75 वर्षों के लंबे दौर में वह शुभ घटना पहली बार घटी, जिसमें 'स्वतंत्रता' शब्द के आत्मा तक पहुंचने की ललक और ऊर्जा, दोनों का अनुभव हो रहा है। यह घटना है-राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सरकार की ओर से पेश किया गया एक नीतिगत बयान। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लिखित रूप से कहा कि 'प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह मानना है कि अब जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो हमें सभी औपनिवेशिक कानूनों को समाप्त करने की कोशिश करनी चाहिए।' इस सराहनीय पहल के बाद मोदी सरकार का ध्यान देश के लिए सर्वोच्च नौकरशाहों की भर्ती करने वाले संघ लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में एक औपनिवेशिक भाषा के प्रभुत्व एवं जकडऩ की ओर जाना चाहिए। जाहिर है यह भाषा अंग्रेजी है, जिसने भारत की प्रतिभा और अभिव्यक्ति को लकवाग्रस्त कर दिया है।
सोर्स- Jagran.TV