सम्पादकीय

गांवों में इंटरनेट का विकास

Rani Sahu
6 July 2022 7:05 PM GMT
गांवों में इंटरनेट का विकास
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प्रधानमंत्री जी ने 30 जून को कहा है कि सरकार हर गांव को तेज गति वाला इंटरनेट उपलब्ध कराने के लिए काम कर रही है

प्रधानमंत्री जी ने 30 जून को कहा है कि सरकार हर गांव को तेज गति वाला इंटरनेट उपलब्ध कराने के लिए काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु में प्रौद्योगिकी और सेवाओं के एक प्रमुख सप्लायर बॉश इंडिया के नए 'स्मार्ट' कैंपस का उद्घाटन किया था जिसे 800 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस बात में कोई भी दो राय नहीं रह गई है कि इंटरनेट गांवों के विकास की ताकत बन कर उभर रहा है। इस समय भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। भारत में दिसंबर 2021 तक 64.6 करोड़ इंटरनेट यूजर थे। खास बात यह है कि भारत में शहरों के मुकाबले गांवों में इंटरनेट का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या 20 फीसदी ज्यादा है। यही नहीं, पिछले दो वर्षों में इंटरनेट का यूज करने वाली महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी की रफ्तार पुरुषों से ज्यादा रही है। डेटा और मार्केट रिसर्च करने वाली फर्म निल्सन के एक सर्वे में ये तथ्य सामने आए हैं। फर्म ने देशभर के 27900 घरों के 110000 सदस्यों को इस सर्वे में शामिल किया था। यह सर्वे सितंबर 2021 से दिसंबर 2021 तक किया गया। सर्वे के नतीजों के अनुसार भारत की 60 फीसदी ग्रामीण आबादी अब भी इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर रही है। वहीं शहरी आबादी में से 59 फीसदी इंटरनेट का प्रयोग कर रहे हैं। शहरों में 29.4 करोड़ एक्टिव इंटरनेट यूजर्स हैं। इसी तरह से लाइव मिंट डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार 12 साल से अधिक उम्र के एक्टिव इंटरनेट यूजर्स की संख्या अब 59.2 करोड़ हो गई है। 2019 के मुकाबले इसमें 37 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ग्रामीण इलाकों में एक्टिव यूजर्स 45 फीसदी बढ़े हैं तो शहरों में यह तेजी 28 फीसदी रही है। गांव और देहात में इंटरनेट यूजर्स में बढ़ोतरी आर्थिक विकास के लिए एक सकारात्मक संकेत है। इसी तरह यह सर्वे बताता है कि पिछले दो वर्षों में महिला इंटरनेट यूजर्स की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है तथा इस मामले में उन्होंने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है। दो सालों में इंटरनेट यूज करने वाली महिलाओं की संख्या में 61 फीसदी का उछाल आया है, जबकि पुरुषों की संख्या इस अवधि में केवल 24 फीसदी बढ़ी है। इसी सर्वे के अनुसार 90 फीसदी यूजर्स रोजाना इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। 50 साल या इससे अधिक आयु के व्यक्ति भी इंटरनेट का यूज करने में पीछे नहीं हैं। सर्वे में शामिल इस आयु वर्ग के 81 फीसदी लोगों ने माना कि वे इंटरनेट का उपयोग करते हैं। इंटरनेट चलाने के लिए मोबाइल फोन का देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। भारत में इंटरनेट का सबसे ज्यादा यूज सोशल नेटवर्किंग और चैटिंग के लिए होता है।

वीडियो देखना और ऑनलाइन म्यूजिक सुनना भी इंटरनेट के टॉप 5 यूजेज में शामिल है। भले ही गांवों में इंटरनेट का इस्तेमाल शहरों के मुकाबले 20 फीसदी ज्यादा होता हो, परंतु ऑनलाइन बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट के मामले में शहरी आबादी गांवों से आगे है। 20 से 39 साल के आयुवर्ग के दो-तिहाई शहरी लोग ऑनलाइन बैंकिंग का प्रयोग करते हैं। यह असमानता दूर करनी होगी। केंद्र सरकार हर गांव तक ब्राडबैंड सर्विसेज पहुंचाने के उद्देश्य से चल रही भारतनेट परियोजना को देश में डिजिटल असमानता को दूर करने और गांवों तक प्रशासनिक सेवाओं को पहुंचाने का सबसे बड़ा जरिया बता रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 फरवरी 2022 को आम बजट 2022-23 पर आयोजित एक वेबिनार में कहा था कि ब्रॉडबैंड न केवल गांवों में सुविधाएं प्रदान करेगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कौशल प्राप्त युवाओं का एक बड़ा पूल भी तैयार करेगा। उनकी बात में दम है। यक़ीनन ब्रॉडबैंड इंटरनेट वाईफाई जैसी सुविधाएं ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा क्षेत्र का विस्तार करने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करेगा। दरअसल भारत के लिए डिजिटल असमानता और प्रौद्योगिकी के जरिए शासन (टेक्नोलॉजी गवर्नेंस) एक बड़ी चुनौती बन गया है। विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) द्वारा जनवरी 2022 में जारी ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2022 ने सरकार की चिंता को और बढ़ा दिया है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के लिए पांच बड़े खतरों में चौथा खतरा डिजिटल गवर्नेंस की असफलता और पांचवां बड़ा खतरा डिजिटल असमानता है। अंतरराज्यीय संबंधों में बिखराव को पहला, अर्थव्यवस्था पर कर्ज बढ़ने को दूसरा, युवाओं में आक्रोश को तीसरा बड़ा खतरा बताया गया। महत्त्वपूर्ण यह है कि अगर गांवों में डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ती है तो भारत दो बड़े खतरों को कम कर सकता है जिसमें टेक्नालॉजी गवर्नेंस और डिजिटल असमानता शामिल हैं। इस संदर्भ में 2011 में ही विश्व बैंक की एक स्टडी रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि 10 प्रतिशत ब्रॉडबैंड कनेक्शन बढ़ने से किसी भी अर्थव्यवस्था की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1.5 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है। इस स्टडी को आधार बनाते हुए तत्कालीन केंद्र सरकार (यूपीए) ने राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (एनओएफएम) योजना की शुरुआत की। इसका मकसद देश की ढाई लाख ग्राम पंचायतों तक तेज गति का ब्रॉडबैंड नेटवर्क पहुंचाना था। 25 अक्तूबर 2011 को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इसे मंजूरी दी गई।
तब कहा गया था कि इस योजना से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और युवाओं को अतिरिक्त रोजगार, ई-एजुकेशन, ई-हेल्थ, ई-एग्री जैसी सुविधाएं मिलेंगी। इससे गांवों से शहरों की ओर पलायन कर रहे लोगों को भी रोका जाएगा। इसके लिए 2012 में एक नया केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पीएसयू) भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (बीबीएनएल) का गठन किया गया। सहयोग की जिम्मेवारी रेलवे की दूरसंचार कंपनी रेलटेल और भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को दी गई। लेकिन 2014 तक केवल 350 किमी ओएफसी बिछाई जा सकी। साल 2014 में सरकार बदली। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने परियोजना की स्थिति की जांच की और इसे भारतनेट के नाम से शुरू करने का फैसला लिया। इस योजना के तहत बीएसएनएल द्वारा जिलों में ब्लॉक स्तर पर बनाए गए एक्सचेंज से ग्राम पंचायत तक अंडरग्राउंड ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाए जाते हैं। हर ग्राम पंचायत भवन में सोलर पैनल, राउटर, मॉडम और जीपीओएन (गीगाबाइट पेसिव ऑप्टिकल नेटवर्क) उपकरण लगाए जाते हैं और 100 एमबीपीएस क्षमता की ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू की जाती है। हर ग्राम पंचायत से पांच कनेक्शन सेवाएं देने वाले संस्थानों या विलेज लेवल एंटरप्रेन्योर (वीएलई) को दिए जाते हैं। इन कनेक्शनों का इंस्टॉलेशन मुफ्त होता है और एक साल के लिए सर्विस चार्ज भी नहीं लिया जाता। इसके बाद ग्रामीणों को व्यक्तिगत सेवाएं दी जाती हैं। ये दो तरीके से दी जाती हैं। एक, पंचायत भवन और गांव में जगह-जगह वाईफाई हॉटस्पॉट कर अलग-अलग रिचार्ज प्लान के तहत इंटरनेट सर्विस दी जाती है। दूसरा, जो लोग फाइबर टू दी होम (एफटीटीएच) कनेक्शन लेने चाहते हैं, उनके घरों तक फाइबर केबल के जरिए कनेक्शन दिए जाते हैं। गांवों तक हाईस्पीड इंटरनेट पहुंचाने वाली यह परियोजना जहां पूरे देश के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है, वहीं इसकी चुनौतियां भी बहुत अधिक हैं। प्रधानमंत्री जी की इच्छा को अमलीजामा पहनाने के लिए हमें ऐसी ही अनेक परियोजनाओं के ऊपर काम करना होगा। गांवों में इंटरनेट का विकास इन्हें देश की मुख्य धारा से जोड़ेगा और देहात से शहरों की ओर पलायन रोकेगा। यह देहात के युवाओं को अपने गांव से मौलिक रूप से जोड़ने का काम करेगा। इससे देश के आर्थिक विकास को द्रुत गति मिलेगी और डिजिटल इंडिया के मिशन को कामयाबी भी अवश्य हासिल होगी।
डा. वरिंदर भाटिया
कालेज प्रिंसीपल
ईमेल : [email protected]

सोर्स- divyahimachal

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