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- महंगाई ने बढ़ाई
पेट्रोलियम गुड्स, कमॉडिटी और लो बेस इफेक्ट के कारण मई में थोक महंगाई दर 12.94 फीसदी और खुदरा महंगाई दर 6.30 फीसदी तक चली गई, जो पिछले 6 महीने में सबसे अधिक है। यह रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 2-6 फीसदी के लक्ष्य से ज्यादा है। यह बुरी खबर है क्योंकि इससे आरबीआई पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने का दबाव बढ़ेगा। यह बात और है कि वह ऐसा नहीं करेगा क्योंकि असल चिंता जीडीपी ग्रोथ बढ़ाने की है। कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन और मांग में कमी आने के कारण ग्रोथ कमजोर बनी हुई है। दूसरी तरफ, चीन, अमेरिका और अन्य अमीर देशों में आर्थिक गतिविधियां तेज हो रही हैं, जिससे कच्चे तेल और दूसरी कमॉडिटी के दाम और बढ़ेंगे। यानी आगे भी आरबीआई के लिए ग्रोथ और महंगाई दर के बीच संतुलन बनाना आसान नहीं होगा। कमॉडिटी के अधिक दाम से उद्योग-धंधों पर भी बुरा असर पड़ेगा क्योंकि उनके लिए कच्चे माल की लागत बढ़ जाएगी। इससे मैन्युफैक्चर्ड गुड्स और महंगे होंगे। इसे कोर इन्फ्लेशन कहते हैं। इसमें