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- भारतीय सेना और...
हमारा प्रदेश देवभूमि के नाम से विश्व विख्यात है, पर इसके साथ-साथ हिमाचल प्रदेश को वीर भूमि के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि हमारे प्रदेश के हर गांव में और यूं कहें कि हर घर से कोई न कोई सेना में सेवा दे रहा है या दे चुका है। राज्य में फौजियों की संख्या का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि हमारे हिमाचली लोकगीत भी ज्यादातर फौजियों की छुट्टी और उसकी नौकरी को बयान करने वाले हैं। अगर हम हिमाचल की किसी भी सड़क पर 50 किलोमीटर का सफर करें तो उसमें कम से कम तीन से चार शहीद के नाम पर बने हुए गेट मिल जाएंगे। इससे यह प्रमाणित होता है कि हर 10 से 12 किलोमीटर में हमारे देवभूमि के वीरों ने सेना में देश की रक्षा करते हुए अपना सर्वस्व न्यौछावर करते हुए शहीद का दर्जा हासिल करके हमारी मातृभूमि को गौरवान्वित किया है। हमारी वीर भूमि के सैनिकों का देश के प्रति त्याग प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध में तो था ही, पर आजादी के बाद 1962, 1965 और 1971 के युद्ध में भी उल्लेखनीय था। अगर वर्तमान पीढ़ी की बात करें, करीब 23 वर्ष पहले भारत और पाकिस्तान के बीच जो कारगिल युद्ध हुआ था, उसकी यादें आज भी हम लोगों के मन-मस्तिष्क में ताजा हैं। अभी दो दिन पहले 7 जुलाई को भारत मां के वीर सपूत तथा हमारी वीर भूमि से संबंध रखने वाले परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा कारगिल युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए थे, उनकी पुण्यतिथि के दिन उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कारगिल की यादें कुछ और भी ताजा हो जाती हैं।
सोर्स- divyahimachal