सम्पादकीय

शादी की उम्र बढ़ाना जनसंख्या नियंत्रण में कारगर कदम; नए कानून को अमली जामा पहनाना जरूरी

Rani Sahu
25 Dec 2021 5:16 PM GMT
शादी की उम्र बढ़ाना जनसंख्या नियंत्रण में कारगर कदम; नए कानून को अमली जामा पहनाना जरूरी
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देश में अब युवकों-युवतियों की शादी की उम्र एक समान 21 हो जाएगी

डॉ. वेदप्रताप वैदिक देश में अब युवकों-युवतियों की शादी की उम्र एक समान 21 हो जाएगी। अब तक इसमें तीन साल का अंतर था। युवकों की न्यूनतम आयु 21 वर्ष थी और युवतियों की 18 साल! 1929 में शारदा एक्ट के मुताबिक युवतियों की यह उम्र 14 साल थी। इसे 1978 में बढ़ाकर 18 साल किया गया और अब यह 21 साल हो गई है। इस कानून का कई विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं, पर उनके तर्क बेहद कमजोर हैं। उनका कहना है कि यह कानून सरकार ने उसी तरह संसद से पारित करवा लिया है, जैसे उसने कृषि-कानून पास करवाए थे। हड़बड़ी तो जरूर हुई है। जितनी बहस इस पर होनी चाहिए थी, नहीं हुई है लेकिन इसके लिए जिम्मेदार कौन है? क्या विपक्ष नहीं है? इस मुद्दे पर एक आयोग पिछले दो साल से गंभीरतापूर्वक कार्य करता रहा है। उसमें विशेषज्ञों ने सभी पहलुओं पर विचार करके अपनी राय दी है। संसदीय समिति ने भी इस पर विचार किया है। संसद में जब यह विधेयक पेश किया गया तो जो तर्क इसके विरुद्ध विपक्षी सांसदों ने दिए, वे भी काफी कमजोर थे। ये भी कोई तर्क है कि लड़कियों को जब 18 साल में वोट का अधिकार दिया हुआ है तो आप उसी उम्र में उन्हें शादी का अधिकार क्यों नहीं दे देते? इन लोगों से मैं पूछता हूं कि वोट का अधिकार 18 साल के लड़कों को भी है। आपने उन्हें 21 साल में शादी का अधिकार देने का विरोध क्यों नहीं किया? आप उनकी शादी की उम्र भी 18 साल करने की मांग क्यों नहीं करते? अब आप इस कानून का विरोध कर रहे हैं, जो नर-नारी समता का प्रतीक है। इसका विरोध करके आप अपने आप को नारी-विरोधी साबित कर रहे हैं और दुनिया को यह भी बता रहे हैं कि आप नारियों को नरों के मुकाबले कमजोर मानते हैं। दूसरा तर्क यह दिया जा रहा है कि यदि युवतियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल कर दी गई तो गांवों की गरीब, अशिक्षित और कमजोर वर्गों की महिलाओं की दुर्गति हो जाएगी। वे अत्याचार-दुराचार की शिकार होंगी। इनसे बचने के लिए ही उनके माता-पिता उनकी शादियां छोटी उम्र में ही कर देते हैं। इस तर्क में कुछ दम जरूर है। अब भी 30% शादियां ऐसी होती हैं, जिनमें लड़कियों की उम्र 18 साल से कम रहती है लेकिन पहले 50% से ज्यादा शादियां ऐसी ही होती थी। अब लड़किया शादी की वजह से अपनी पढ़ाई और काम-काज को अधूरा नहीं छोड़ेंगी। शादी की उम्र तक वे पढ़ती रहीं और काम-काज से आमदनी होती रही तो उनका आत्म-विश्वास बढ़ेगा। मेरे हिसाब से लड़कियों को मुफ्त शिक्षा की सीमा 14 साल से बढ़ाकर 21 साल कर देनी चाहिए ताकि आगे जाकर संसद, विधानसभाओं, सरकारों, विश्वविद्यालयों और उद्योग-धंधों में महिलाओं की संख्या अपने आप 50% तक पहुंच जाए। शादी की न्यूनतम उम्र के कानून का उल्लंघन देश में बराबर हो रहा है। फिर भी इस समय देश में लड़कियों की शादी की औसत उम्र 22 साल हो गई है। यानी लड़कियां अब 25-30 साल की उम्र में शादी करना पसंद करती हैं। मैं तो चाहता हूं कि युवक-युवतियों, दोनों की शादी 25 साल की उम्र में ही हो। इसे ही हमारे शास्त्रों में ब्रह्मचर्य कहा है। इसके कारण पूरे राष्ट्र के स्वास्थ्य, कार्यशक्ति और सदाचरण में अपूर्व सुधार होगा। आर्यसमाज के प्रवर्तक महर्षि दयानंद सरस्वती ने इस तथ्य पर बहुत जोर दिया था। उन्हीं की प्रेरणा के फलस्वरुप 90 साल पहले शारदा एक्ट बना था। भारत शायद दुनिया का पहला देश होगा, जिसमें युवतियों की शादी की उम्र 21 साल होगी। सिर्फ चीन में 20 साल है, क्योंकि यह जनसंख्या-नियंत्रण का बड़ा साधन है। अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, जापान आदि में यह 18 साल है। रूस में 16 साल और ईरान में 13 साल है। जनसंख्या की बढ़ोतरी में भारत चीन को भी मात देनेवाला है। अगर इस विभीषिका से बचना है तो उसे इस नए कानून को अमली जामा पहनाना होगा।


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