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- आमदनी अठन्नी, खर्चा...
यह एक आम कहावत है। इस दौर का सबसे गंभीर अभिशाप महंगाई है। बीते एक पखवाड़े के दौरान पेट्रोल और डीजल के दाम 8.40 रुपए से ज्यादा बढ़ चुके हैं। तेल कंपनियों और सरकारों की अपनी ही अर्थव्यवस्था है। बुनियादी तौर पर तेल इतना महंगा नहीं है। राज्य सरकारें 40 रुपए से 53 रुपए प्रति लीटर तक उत्पाद शुल्क और वैट वसूलती हैं। यदि टैक्स कम किया जाए, तो पेट्रो पदार्थ काफी सस्ते हो सकते हैं। यह हमारा नहीं, देश की प्रमुख तेल कंपनी इंडियन ऑयल का खुलासा है। आम आदमी को इस अदृश्य कर-व्यवस्था की ज्यादा जानकारी नहीं है। वह विवश होकर महंगाई के दंश झेलता रहता है। घर की रसोई का खर्च बीते दो साल में करीब 45 फीसदी बढ़ गया है। सिर्फ रूस-यूक्रेन युद्ध और कच्चे तेल की कीमतों की दलीलें देने से काम नहीं चलेगा। भारत सरकार ने 2014 से लेकर 2021 तक तेल पर उत्पाद शुल्क बढ़ा-बढ़ा कर करीब 26 लाख करोड़ रुपए कमाए हैं। सरकार जीएसटी संग्रह भी 1.40 लाख करोड़ रुपए से अधिक कर रही है।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल