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इस रविवार ग्वालियर-बरौनी एक्सप्रेस ट्रेन नंबर 11123 सुबह 5.27 बजे सिवान स्टेशन पहुंची
एन. रघुरामन
इस रविवार ग्वालियर-बरौनी एक्सप्रेस ट्रेन नंबर 11123 सुबह 5.27 बजे सिवान स्टेशन पहुंची। ट्रेन ग्रीन सिग्नल का इंतज़ार कर रही थी, तभी असिस्टेंट लोको पायलट नीचे उतरकर कहीं चले गए। सुबह 5.30 बजे ट्रेन को ग्रीन सिग्नल मिला और वह असिस्टेंट के बिना ही स्टेशन से चल पड़ी। लेकिन थोड़ी दूर जाकर रेलवे क्रॉसिंग पर रुक गई। इसलिए नहीं कि वहां रेड सिग्नल था, बल्कि वहां असिस्टेंट हाथों में दो कप गरमागरम चाय लेकर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे, जो उन्होंने रेलवे क्रॉसिंग के पास की गुमटी से ली थी।
हालांकि रेलवे ने ड्राइवरों के इस व्यवहार पर इंक्वायरी का आदेश दिया है, लेकिन मेरे स्रोत ने मुझे बताया कि रेलवे का कहना है कि ज्यादातर ट्रेन ड्राइवरों को नींद की कमी और गर्मी के कारण सिरदर्द की शिकायत होती है। शायद इसीलिए उन्होंने चाय खरीदी होगी। दुनिया में रोजाना हर 6 में से एक व्यक्ति को सिरदर्द की शिकायत होती है। सिरदर्द की बीमारियां तकलीफदेह और कमजोर करनेवाली होती हैं। इनके पीछे तनाव से लेकर दर्दनाशक दवाओं का ज्यादा सेवन और नींद की समस्या जैसे कई कारण हैं।
नॉर्वे की यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की रिसर्च के मुख्य लेखक प्रोफेसर लार्स जैकब स्टोवनर कहते हैं, 'सिरदर्द की बीमारी बहुत आम हो गई है और सभी देशों में पाई जाती है।' स्टोवनर और उनकी टीम ने 1961 से 2020 के बीच सिरदर्द पर प्रकाशित 357 पेपर्स का अध्ययन किया है। उन्होंने दुनियाभर में सिरदर्द की बीमारियों के प्रसार को समझने के लिए अलग-अलग टाइम जोन और विभिन्न देशों के डेटा का आकलन किया।
हाल ही में 'जर्नल ऑफ़ हेडेक एंड पेन' में प्रकाशित नतीजे बताते हैं कि दुनिया में 52% यानी आधे से ज्यादा आबादी को सक्रिय सिरदर्द की बीमारी है, जिसे पिछले वर्षों में किसी न किसी तरह के सिरदर्द के रूप में बताया जाता रहा है। जिन अध्ययनों में सिरदर्द का प्रकार बताया गया है, उनके मुताबिक 7% आबादी रोजाना माइग्रेन से पीड़ित होती है, वहीं करीब 9% को तनाव वाला सिरदर्द होता है।
स्टोवनर की समीक्षा कहती है कि किसी भी वर्ष में 8.6% पुरुषों की तुलना में 17% महिलाएं माइग्रेन की शिकार रहीं। स्टोवनर की टीम ने पाया कि 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में माइग्रेन काम की क्षमता को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारण है। हर महीने 15 या ज्यादा दिनों तक सिरदर्द की शिकायत महिलाओं में ज्यादा देखी गई। ग्लोबल कैंपेन अगेंस्ट हेडेक के लिए काम करने वाले स्टोवनर कहते हैं, 'रिटायरमेंट की ओर बढ़ते हुए शरीर में कई तरह के दर्द बढ़ते जाते हैं, लेकिन माइग्रेन और सिरदर्द सक्रिय कामकाजी वर्षों में सबसे ज्यादा होता है।'
लगभग हर किसी को सिरदर्द होता है और कईयों को चिंता की जरूरत नहीं। लेकिन अगर सिरदर्द गतिविधियों, काम व निजी जीवन को प्रभावित कर रहा है, तो डॉक्टर से जरूर मिलें। दर्द हमेशा नहीं रोक सकते, लेकिन डॉक्टर लक्षणों के प्रबंधन में मदद कर सकते हैं। कभी-कभी सिरदर्द किसी और बीमारी के लक्षण होते हैं और कभी-कभी इनका कारण स्पष्ट नहीं होता। पर कुछ आसान सिद्धांत अपना सकते हैं।
जैसे सामान्य जीवनशैली अपनाएं, खूब पार्टी न करें, वह भी हफ्ते में तीन-तीन दिन। इसके अलावा जल्दी सोएं और उठें, क्या खा रहे हैं, कब खा रहे हैं, इसपर नजर रखें और किसी बीमारी के लिए अपनी मर्जी से दवाएं लेने (दवाओं के ओवरयूज) से बचें। इससे सिरदर्द की आशंका कम होगी।
फंडा यह है कि इस जटिल होती दुनिया में, अनुशासित जीवनशैली उस साधारण सिरदर्द से आपको बचा सकती है, जो जीवनभर का सिरदर्द बन सकता है।
Rani Sahu
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