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10 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पास होने के बाद सत्ता गंवाने वाले इमरान खान (Imran Khan) ने कई पार्टियों के गठबंधन वाले सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ चौतरफा लड़ाई छेड़ दी है
प्रशांत सक्सेना |
10 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पास होने के बाद सत्ता गंवाने वाले इमरान खान (Imran Khan) ने कई पार्टियों के गठबंधन वाले सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ चौतरफा लड़ाई छेड़ दी है. सरकार के खिलाफ नवीनतम हमले में पूर्व मानवाधिकार मंत्री और पाकिस्तान (Pakistan) तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) कोर कमेटी की सदस्य शिरीन मजारी ने संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूतों को चिट्ठी लिखकर इमरान खान और पीटीआई के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ सरकार के "ईशनिंदा कानून के दुरुपयोग" को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है. अखबार डॉन का दावा है कि उसके पास 2 मई की उस चिट्ठी की कॉपी है जो संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदकों को एक्स्ट्रा जूडीशियल समरी, फ्रीडम ऑफ ओपिनियन और फ्रीडम ऑफ रिलीजन और धार्मिक विश्वास जैसे मुद्दों पर लिखी गई है.
पिछले महीने के अंत में सऊदी अधिकारियों ने प्रतिष्ठित इस्लामी तीर्थस्थल मदीना में पाकिस्तानी तीर्थयात्रियों के खिलाफ मस्जिद-ए-नबवी में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व में आने वाले प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्यों पर नारेबाजी और हमले को लेकर कार्रवाई की. प्रदर्शनकारी स्पष्ट रूप से इमरान खान की पीटीआई के प्रति निष्ठा रखने वाले थे. पवित्र परिसर का उपयोग देश के भीतर की राजनीति को निपटाने के लिए करने पलर पीटीआई का पूरे पाकिस्तान में खूब निंदा हुई.
ये पांच बड़े-बुजुर्ग लोग न्यायपालिका और सुरक्षा से संबंधित हैं
पाकिस्तान की तेजी से उभरती विभाजनकारी राजनीति में इमरान के सहयोगियों ने गृहयुद्ध की चेतावनी दी है. देश की सेना ने अब तक खुद को राजनीति से अलग रखा है जबकी पीटीआई प्रदर्शनकारी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा और आईएसआई प्रमुख नदीम अंजुम पर लगातार हमले कर रहे हैं. खबर है कि सेना भी कथित रूप से वैचारिक स्तर पर विभाजित हो गई है क्योंकि कई शीर्ष और कनिष्ठ स्तर के अधिकारियों ने खुले तौर पर सवाल किया है कि जिस तरह से इमरान खान को हटाया गया और उनकी जगह "भ्रष्ट लोगों के एक समूह" ने जगह ले ली है वह गलत है.
बढ़ती राजनीतिक दूरी के बीच पूर्व गृह मंत्री शेख रशीद अहमद ने कहा है कि उन्होंने इस्लामाबाद के सचिवालय पुलिस स्टेशन में एक आवेदन डाला है कि अगर उनकी हत्या होती है तो पीएमएल-एन के नेतृत्व वाली सरकार के नेताओं को इसके लिए जिम्मेदार माना जाए. मैं सरकार से राणा सनाउल्लाह (वर्तमान गृह मंत्री) पर लगाम लगाने के लिए कहना चाहता हूं जो देश को गृहयुद्ध की तरफ धकेलना चाहते हैं. अगर इमरान खान और मुझे गिरफ्तार किया जाता है तो लोग खुद इस्लामाबाद की तरफ मार्च करेंगे, रशीद ने कहा. रविवार (1 मई) को इस्लामाबाद में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए रशीद ने कहा कि "वे मुझे मारना चाहते हैं" और उन्होंने देश के "पांच बड़ों" को इसी तरह का आवेदन भेजा है. ये पांच बड़े-बुजुर्ग लोग न्यायपालिका और सुरक्षा से संबंधित हैं.
पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि सरकार इमरान खान के लॉन्ग मार्च को विफल करना चाहती है और इमरान खान के साथ खड़े होने के कारण उन्हें भी परेशान किया जा रहा है. रशीद ने दावा किया कि शनिवार को दो बार कुछ लोगों ने उनका पीछा किया. उन्हें इमरान खान के साथ गिरफ्तार किये जाने का भी डर है. मस्जिद-ए-नबवी वारदात के संबंध में पीटीआई और उनकी अवामी मुस्लिम लीग के नेताओं के खिलाफ देश भर में दर्ज 150 से अधिक प्राथमिकी का जिक्र करते हुए रशीद ने कहा कि नई सरकार उन लोगों के खिलाफ "फर्जी" मामले तैयार कर रही है.
दोनों पक्षों के बीच औपचारिक बातचीत के कोई संकेत नहीं मिले हैं
इससे पहले पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी भी देश में गृह युद्ध की चेतावनी दे चुके हैं. पाकिस्तान के पंजाब विधानसभा में अराजकता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि देश तेजी से अशांति की ओर बढ़ रहा है. पिछले महीने विधानसभा के अंदर हिंसा में डिप्टी स्पीकर दोस्त मुहम्मद मजारी की पीटाई की गई और उन्हें बालों से खींच कर घसीटा गया और हमला किया गया.
पाकिस्तान एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है जिसमें देश में विदेशी मुद्रा भंडार मुश्किल से दो महीने के आयात करने भर बचा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने आगे उधार देने के लिए अपनी शर्तों को सख्त कर दिया है क्योंकि सऊदी अरब और यूएई इस्लामाबाद के साथ उधार देने और निवेश बढ़ाने को लेकर बातचीत कर रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में वृद्धि, अतिरिक्त पेट्रोलियम लेवी और मुद्रा अवमूल्यन को देश में आवश्यक चीजो की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि का मुख्य कारण माना जा रहा है. सेना प्रमुख बाजवा और पाकिस्तान के कुछ प्रमुख व्यवसायियों ने भारत के साथ व्यापार संबंधों को फिर से शुरू करने की मांग की है मगर अब तक दोनों पक्षों के बीच औपचारिक बातचीत के कोई संकेत नहीं मिले हैं. बुधवार (4 मई) को वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने कहा कि सरकार ने सऊदी अरब से अनुरोध किया है कि वह स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) में अपनी जमा राशि वापस नहीं निकाले और पाकिस्तान को तेल देना जारी रखे.
मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से वादे करने के लिए दोषी ठहराया जो "राष्ट्र के हितों के खिलाफ" हैं. उन्होंने कहा, "वे वादे बारूदी सुरंगों से कम नहीं हैं." पिछले महीने, मिफ्ताह ने कहा कि आईएमएफ ने 6 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज को दोबारा प्रभावी करने के लिए पांच प्रमुख शर्तें रखी हैं, जिनमें ईंधन सब्सिडी को वापस लेना और कर माफी योजना को वापस लेना शामिल है. दूसरी शर्तें बिजली शुल्क में बढ़ोतरी, नये करों को लागू करना और अनुमानत प्राथमिक बजट घाटे को 1.3 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये (एक पाकिस्तानी रुपया 0.41 भारतीय रुपये के बराबर है) से कम करके पहले की तरह तय 25 अरब रुपये पर लाना है.
Rani Sahu
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