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- मेडिकल डिवाइस पार्क की...
''आत्मनिर्भर भारत'' की अवधारणा कोविड काल में 12 मई 2020 को उत्पन्न हुई, जिसका मुख्य उद्देश्य था कि परमुखापेक्षी न बनकर हर क्षेत्र में देश आत्मनिर्भर बने। भारत की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण घोषणा थी। भारत में चिकित्सा उपकरणों का बाज़ार लगभग 70 हजार करोड़ रुपए का है, परंतु वर्तमान में लगभग 80 प्रतिशत चिकित्सा उपकरणों को आयात करना पड़ता है। हालांकि हमारा देश विश्व में चिकित्सा उपकरणों की खपत के लिहाज से 20 शीर्ष देशों में शामिल है व एशिया में जापान, चीन व कोरिया के बाद चौथा सबसे बड़ा बाज़ार है। अभी तक भारत उच्च गुणवत्ता व प्रौद्योगिकी वाले चिकित्सा उपकरणों को अमेरिका, सिंगापुर, चीन, जापान व जर्मनी आदि देशों से आयात करता है, जो कि देश तक पहुंचते-पहुंचते काफी महंगे हो जाते हैं और फलस्वरूप चिकित्सा की लागत भी बढ़ जाती है। इन्हीं बातों को ध्यान मंे रखते हुए 21 जुलाई 2020 को भारत सरकार के उर्वरक मंत्रालय के अंतर्गत औषधीय विभाग ने आत्मनिर्भर भारत योजना में चिकित्सा उपकरण पार्कों को बढ़ावा देने वाली योजना की घोषणा की। यह उद्योग ''इंजीनियरिंग व चिकित्सा'' क्षेत्र के समन्वय का एक अनूठा उदाहरण है, जिसमें चिकित्सा शिक्षा के नियमों व मानदंडों के अनुसार मशीनों को विकसित किया जाता है। इन चिकित्सा उपकरणों में सर्जिकल उपकरण व डायग्नोस्टिक उपकरण जैसे कार्डिएक इमेजिंग, सीटी स्कैन, एक्स-रे, मॉलिक्यूलर इमेजिंग, एमआरआई और हाथ से प्रयोग किए जाने वाले उपकरण शामिल हैं। आसान सी भाषा में यदि समझने का प्रयास करें तो देश में मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित होने से चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन सस्ते में हो सकेगा, जिससे इलाज़ का खर्चा भी घटेगा व बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत हो सकेगी।