- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- नई खेल नीति...
x
हिमाचल प्रदेश के खिलाड़ी व खेल प्रेमी सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि विधानसभा चुनाव सिर पर हैं, अब तो नई खेल नीति को कार्य रूप दे दो। हिमाचल प्रदेश की नई खेल नीति में इस बार बहुत बढिय़ा तरीके से खिलाडिय़ों व खेल प्रेमियों द्वारा आए सुझावों को कानूनी रूप दिया गया है। अब इसे जमीनी स्तर पर कार्यान्वित करने की बात है। हिमाचल प्रदेश के खिलाडिय़ों द्वारा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीते गए पदकों का ईनाम बांट सामरोह नई खेल नीति के अनुसार करके इसके कार्यशील होने का सबूत तो दे देते। हिमाचल प्रदेश में खेलों की हकीकत सबके सामने है। हिमाचल प्रदेश में कई खेलों के लिए विश्व स्तरीय खेल ढांचा तो बन कर तैयार हो चुका है मगर प्रशिक्षकों व अन्य सुविधाओं के अभाव में वहां पर उस तरह का प्रशिक्षण कार्यक्रम आरंभ नहीं हो पाया है। हिमाचल प्रदेश में अभी तक भी खेल संस्कृति का अभाव साफ देखा जा सकता है। पिछली खेल नीति में हिमाचल के खिलाडिय़ों को सरकारी नौकरी में तीन प्रतिशत आरक्षण व अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल ढांचा बहुत बड़ी सौगात है। अब दो दशक बाद विभिन्न पहलुओं के ऊपर नई खेल नीति में सुधार कर सबके सामने लाया जा रहा है। खेल मंत्री राकेश पठानिया की अध्यक्षता में धर्मशाला के मिनी सचिवालय में नई खेल नीति के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर चुके खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों व खेल संघों के पदाधिकारियों के साथ एक मैराथन बैठक हुई थी। इस बैठक में खेल उत्थान से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई। इसके बाद भी खेल मंत्री ने व्यक्तिगत तौर पर विभिन्न खेल संघों से मिल कर लंबी चर्चा की। फिर इसके बाद खेल विभाग के अधिकारी व खेल के जानकार खेल नीति को नए स्वरूप तक ले जाने के लिए संघर्षशील हो गए और तब जाकर खेल नीति की घोषणा हुई। अब हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि इस नीति को लागू भी कर दे, जिससे हिमाचल की खेलों को गति मिल सके क्योंकि इस खेल नीति में कहा गया है कि खेलों में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो।
इससे जब हजारों विद्यार्थी फिटनेस कार्यक्रम से गुजरेंगे तो उनमें कुछ अच्छे खिलाड़ी भी मिलेंगे। खिलाडिय़ों से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता प्रदर्शन के लिए राज्य में अधिक से अधिक खेल अकादमियां व शिक्षा संस्थानों में खेल विंग, स्थान की सुविधा व प्रतिभा को देखते हुए सरकारी व खेल संघों के माध्यम से खोलने को नई खेल नीति में कहा गया है तथा भविष्य में विभिन्न बड़ी कंपनियों से सीआरएस के माध्यम से राज्य में खेल ढांचे को सुदृढ़ करने की भी बात है। हिमाचल प्रदेश में विभिन्न खेलों का स्तर राज्य में खेल छात्रावासों के खुलने के बाद भी अभी तक सुधरा नहीं है। यह अलग बात है कि कुछ जुनूनी प्रशिक्षकों के बल पर कभी-कभी अच्छे परिणाम दे पाया है हिमाचल, पर राष्ट्रीय स्तर पर कुछ एक खेलों को छोड़ कर अधिकांश बार पिछड़ा ही रहा है। हिमाचल हो या देश का कोई अन्य राज्य, उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने के लिए केवल प्रशिक्षक ही मुख्य किरदार दिखाई देता है। यही कारण है कि भारत का खेल मंत्रालय व कई राज्यों ने भी अपने यहां हाई परफॉर्मेंस प्रशिक्षण केन्द्र खोलने पर जोर दे रहे हैंं तथा वहां पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले प्रशिक्षकों को अनुबंधित कर रहे हैं। खेलो इंडिया के उच्च खेल परिणाम दिलाने वाले प्रशिक्षण केन्द्रों की तरह ही हिमाचल प्रदेश में भी अधिक से अधिक इस तरह के हाई परफॉर्मेंस केंद्र व अकादमी खोलनी होगी। इन प्रशिक्षण केन्द्रों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता प्रदर्शन करवाने वाले अनुभवी प्रशिक्षकों को उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने की शर्तों पर अनुबंधित करना चाहिए ताकि हिमाचल प्रदेश की संतानों को भी हिमाचल प्रदेश में रह कर ही वह प्रशिक्षण सुविधा मिल सके।
केन्द्र व केरल सरकार की तर्ज पर प्रशिक्षकों को भी खिलाड़ी की तरह नगद ईनामी राशि व अवार्ड देने की बात भी नई खेल नीति में है। अच्छा होगा चुनावों की घोषणा से पहले इस पर अमल भी हो जाए जिससे पता चले कि नई खेल नीति को जमीन पर उतारना शुरू कर दिया है। हर विद्यार्थी को फिटनेस के लिए खेल मैदान में ले जाएंगे उनमें से जरूर कुछ अच्छे खिलाड़ी भी मिलेंगे। प्रतिभा खोज के बाद पढ़ाई के साथ साथ प्रशिक्षण के लिए अच्छी खेल सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए। इसके लिए राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान की तजऱ् पर अपना राज्य क्रीड़ा संस्थान हो। वहां पर हिमाचल प्रदेश के खिलाडिय़ों को वैज्ञानिक आधार पर लंबी अवधि के प्रशिक्षण शिविर लगें तथा प्रदेश के शारीरिक शिक्षकों व पूर्व राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों के लिए सेमिनार व कम अवधि के प्रशिक्षक बनने के कोर्सेज हों। साथ ही साथ यहां पर राष्ट्रीय प्रतियोगिता के पूर्व लगने वाले कोचिंग कैम्प भी अनिवार्य रूप से लगाए जाएं ताकि पहाड़ के लोगों को भी वही सुविधा उपलब्ध हो जिससे राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किए जा सकें। खेल नीति में उन राष्ट्रीय पदक विजेताओं के लिए वजीफे की बात भी है जो खेल छात्रावास के बाहर हैं। उन्हें भी खेल छात्रावास के अंतर्गत दैनिक खुराक भत्ता व अन्य सुविधाओं के ऊपर खर्च होने वाली राशि के बराबर वजीफा देने की वकालत की है। जिन अवार्डी खिलाडिय़ों व प्रशिक्षकों के पास कोई नौकरी नहीं है, उन्हें साठ साल आयु के बाद पेंशन का प्रावधान है। जब खेल नीति खिलाड़ी व प्रशिक्षक के इर्द-गिर्द होगी तो विश्व स्तर के परिणाम जरूर आएंगे। खेल शारीरिक व मानसिक दोनों तरह की फिटनेस देते हैं जो किसी भी राज्य व देश की तरक्की के लिए बहुत जरूरी हैं। नई खेल नीति में किए गए सुधार व सुविधाएं हिमाचल प्रदेश में खेल संस्कृति के लिए मील का पत्थर साबित होंगे। देखते हैं हिमाचल प्रदेश की वर्तमान सरकार इस नई खेल नीति को जमीन पर लाती है या यूं ही हवा में बातें कर कागजों तक ही सीमित रखती है।
भूपिंद्र सिंह
अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक
ईमेल:bhupindersinghhmr@gmail.कॉम
By: Divyahimachal
Rani Sahu
Next Story