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स्वामी विवेकानंद ऐसी शिक्षा चाहते थे जिससे बालक का सर्वांगीण विकास हो सके। हमारे देश में आज भी ऐसे शिक्षकों की कमी नहीं है जो अपने शिष्यों को नैतिकता, इंसानियत का सबक भी पढ़ाते हैं। हमारे देश की सभ्यता-संस्कृति और धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि गुरु भगवान से भी बढक़र होता है। कबीर जी ने एक दोहे में गुरु की महिमा बताई है। देश और समाज को सही राह पर ले जाने में शिक्षकों की भी मुख्य भूमिका होती है। समय के साथ-साथ कुछ रिश्तों के नाम के उच्चारण में भी बदलाव आ गया है। आज गुरु नही बल्कि अंग्रेजी शब्द टीचर के नाम से उच्चारण किया जाता है। गुरु-शिष्य के रिश्ते की मर्यादा को कुछ लोग भूल गए हैं। आज जिस तरह समाज में अनैतिक कार्य बढ़ते जा रहे हैं, समाज को आदर्श शिक्षकों की ज्यादा जरूरत है।
-राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टीहरा
By: divyahimachal
Rani Sahu
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