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शेर कितना भी बूढ़ा हो जाए, शिकार करना नहीं भूलता. माफ़ कीजिएगा महेंद्र सिंह धोनी बूढ़े नहीं हुए हैं
संजय किशोर,
शेर कितना भी बूढ़ा हो जाए, शिकार करना नहीं भूलता. माफ़ कीजिएगा महेंद्र सिंह धोनी बूढ़े नहीं हुए हैं, सिर्फ़ 40 साल के हैं. बस एक मिसाल दे रहा था. मुंबई के ख़िलाफ़ पिछले मैच में धोनी ने वही किया जिसके लिए जाने जाते रहे हैं. क्रीज़ पर धोनी हों तो उम्मीदें ख़त्म नहीं होती और हर गेंद के साथ विरोधी टीम की आशंकाएं बढ़ती जाती हैं. आख़िरी ओवर में चेन्नई को 17 रन बनाने थे और फिर नौबत अंतिम 4 गेंद पर 16 रन बनाने की आ गई. गेंदबाज़ थे जयदेव उनदकट. तीसरी गेंद पर धोनी ने छक्का लगाया. चौथी गेंद पर चौका. पांचवी गेंद पर 2 रन और आख़िरी गेंद पर चौका लगाकर सुपर फ़िनिशर ने अपने स्टाइल में चेन्नई को 3 विकेट से जीत दिला दी. धोनी 13 गेंद पर 28 रन बनाकर नॉट आउट रहे. उनका स्ट्राइक रेट रहा 215.38
मैच के बाद कप्तान रविन्द्र जडेजा भाग कर धोनी के पास पहुंचे और झुक कर उनका अभिवादन किया. दोनों की तस्वीर वायरल हो रही है. तस्वीर में धोनी मानो मोगांबो की तरह ख़ुश हो रहे हैं और जडेजा उनकी सजदा कर रहे हैं. तस्वीर अगर बोलती तो कहती -अभी तलवार भांजना सीखे हो, वार करना सीखना बाक़ी है
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और लगातार 7 हार के बाद प्ले ऑफ़ की रेस से लगभग बाहर हो चुकी 5 बार की चैंपियन मुंबई की टीम के लिए मानो धोनी का संदेश था...
जब फ़िनिश करता हूं... तो टीमें हारती नहीं, फ़िनिश्ड हो जाती हैं
आईपीएल में आख़िरी 4 गेंद पर जीत दिलाने का करिश्मा धोनी ने दूसरी बार किया है. इसके पहले 2016 में पुणे की ओर से खेलते हुए पंजाब के ख़िलाफ़ भी धोनी ने ठीक इसी तरह आख़िरी 4 गेंद पर 16 रन बना कर जीत दिलायी थी.
40 साल के महेंद्र सिंह धोनी बतौर खिलाड़ी शायद आखिरी आईपीएल खेल रहे हैं. करियर के आख़िरी चरण में उनके खेल पर सवाल भी उठते रहे हैं. 2020 में चेन्नई ने 14 में से सिर्फ 6 मैच जीते थे और प्ले ऑफ़ तक भी नहीं पहुंच पाए थे. टीम सातवें नंबर पर रही थी. ये 4 बार की चैंपियन का चेन्नई का आज तक का सबसे ख़राब प्रदर्शन था. लेकिन फिर 2021 में फिर चेन्नई चैंपियन बनी. ये सब संभव हुआ धोनी की करिश्माई कप्तानी से. हालांकि इस साल फिर टीम संघर्ष कर रही है.
एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल आईपीएल की टीआरपी कम हुई है. पहले हफ़्ते 229 मिलियन दर्शकों ने मैच देखे जबकि पिछले साल 267 मिलियन दर्शकों ने मैच देखे थे.
हालांकि दावा ये भी किया जा रहा है कि बहुत सारे दर्शक OTT प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट हो गए हैं. लोकप्रियता में कमी आने के कारणों में लगभग खाली स्टेडियम, कुछ ही शहरों में मैच और बहुत ज़्यादा और लगातार क्रिकेट भी शामिल हैं.
लेकिन मेरे ख़्याल से सबसे बड़ा कारण है-करिश्माई छवि के खिलाड़ी की कमी.
आईपीएल की लोकप्रिय बनाने में क्रिस गेल का बिंदास अंदाज़, विराट कोहली की आक्रमकता, रोहित शर्मा की आतिशी बल्लेबाज़ी, महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी, लसित मलिंगा का एक्शन शामिल रहा है. मेरा नहीं ख़्याल कि धोनी के पहले क्रिकेट में सुपर फ़िनिशर जैसी कोई चीज़ होती भी थी. और जब फ़िनिश हेलीकॉप्टर शॉट के साथ हो तो क्या ही बात हो. लेकिन इस बार ऐसा कुछ नज़र नहीं आ रहा है और इसी कारण आईपीएल में लोगों की दिलचस्पी कम हो रही है
किसी खेल की लोकप्रियता जीत और हार से नहीं बढ़ती या घटती है. हर खेल को एक हीरो की ज़रुरत होती है. ब्रैंड अंबेसेडर चाहिए. हम किसी एथलीट को उसके खेल से ज़्यादा उसकी करिश्माई छवि के कारण चाहते हैं. खिलाड़ी के साथ एक आभा, एक चमक होती है. इस चकाचौंध से खेल की भी लोकप्रियता बढ़ती है. सचिन तेंदुलकर एक मैच विनर नहीं थे. उनका खेल कई बार जीत का भरोसा नहीं दिलाता था. लेकिन उनकी बल्लेबाज़ी में ऐसा संगीत था जिसको एक बार सुनने पर लत लग जाती था. अर्जेंटीना के लियोनेल मेस्सी का खेल फ़ुटबॉल को कलात्मक बनाता है. मेस्सी के खेल में भी सचिन सा नशा है. बार-बार देखने को जी करता है. मेसी और सचिन के जश्न में सजदा है. मेस्सी जब गेंद के साथ दौड़ते हैं तो लय देखते ही बनती है. सचिन के ड्राइव के साथ आंखों को गेंद को सीमा पार तक पीछा करने में रूमानियत सुकून मिलता था. वहीं पुर्तगाल के रोनाल्डो चैंपियन खिलाड़ी रहे हैं. कुछ-कुछ अपने विराट कोहली की तरह. इनकी आक्रमकता में आपको जीत की गारंटी नज़र आएगी. इन खिलाड़ियों के कारण उस खेल की लोकप्रियता बढ़ी.
सचिन तेंदुलकर के बेजोड़ और अमर परंपरा को महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली आगे ले गए. अब भारतीय क्रिकेट और आईपीएल को नए करिश्माई खिलाड़ी की तलाश है.
Rani Sahu
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