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बाबा के हमन भगवान मानल जाला, जउले जियब तउले भगवान मानब और जउले जिउब तउले उनहीं के वोट देइब
डा. रहीस सिंह ।
बाबा के हमन भगवान मानल जाला, जउले जियब तउले भगवान मानब और जउले जिउब तउले उनहीं के वोट देइब, यह कथन वनटांगिया गांव की दुर्गावती नाम की महिला का है। इस कथन में न कोई कृत्रिमता है और न किसी प्रकार का बनावटीपन। यह इनकी आत्माभिव्यक्ति है जो यह बताती है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोगों के जीवन में बदलाव लाने का जो कार्य किया है, वह अकल्पनीय है।
दरअसल वनटांगिया लोगों को आजादी के बाद भी कोई पहचान मिलना तो दूर की बात, अब तक उन्हें बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल पाई थीं जो जीवन जीने के लिए जरूरी होती हैं। इनके गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा न मिल पाने के कारण इन तक सरकार की योजनाएं पहुंच ही नहीं पाती थीं। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद इन्हें सही अर्थों में एक प्रभुता संपन्न गणराज्य के नागरिक होने का एहसास कराया, उन्हें एक पहचान दी और एक नया जीवन भी। यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन और अर्थव्यवस्था के माडल (योगीनामिक्स) का वह सच है जिसने वनटांगियाओं में ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के करोड़ों लोगों के जीवन में व्यापक परिवर्तन लाकर एक नई पहचान दी। महत्वपूर्ण बात यह है कि परिवर्तन की इस प्रक्रिया में इन करोड़ों लोगों ने योगी को अपने संरक्षक से लेकर एक नायक के रूप में हर जगह मौजूद देखा। जब ऐसा होता है तो कोई राजनीतिक दल या नेता चुनाव नहीं लड़ता, बल्कि जनता स्वयं अपने नेता अथवा नायक के लिए चुनाव लडऩे लगती है। यही उत्तर प्रदेश में हुआ।
विविध आयाम : योगीनामिक्स के विभिन्न आयामों की बात की जाए, इससे पहले उस 'कोर विषयÓ की ओर ध्यानाकर्षित कराना जरूरी है जिससे केवल नारी शक्ति को ही सुरक्षा और संबल नहीं मिला, बल्कि परिवार और समाज के साथ राज्य को भी समरसता के साथ आगे बढऩे का अवसर प्राप्त हुआ। हालिया संपन्न विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में महिला मतदाता पुरुषों की तुलना में काफी आगे रहीं। यह उनकी राजनीतिक सक्रियता का परिचायक तो है ही, साथ ही इस बात का भी संकेत है कि पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने जिस सुरक्षित परिवेश में गरिमा के साथ आर्थिक स्वावलंबन की स्थिति हासिल की है, अब वे उसे खोना नहीं चाहती हैं। लोकतंत्र में यह तभी संभव है जब वे उन्हें वोट दें जिन्होंने उन्हें सुरक्षा, सुशासन और स्वावलंबन देकर सशक्त बनाने का कार्य किया है।
अर्थव्यवस्था की सबसे छोटी या प्राथमिक इकाई 'परिवारÓ होता है। इस दृष्टि से यह कहना तर्कसंगत और तथ्यपरक है कि अर्थव्यवस्था में खुशहाली (हैपीनेस) के फैक्टर को आगे बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि 'परिवार अर्थव्यवस्थाÓ (हाउसहोल्ड इकोनमी) केंद्रित विकास हो। इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि बाजार अर्थव्यवस्था को नेपथ्य की ओर धकेल दिया जाए। परिवार अर्थव्यवस्था केंद्रित विकास इसलिए जरूरी है, क्योंकि परिवारों के खुशहाल और संपन्न होने से सामाजिक अर्थव्यवस्था में खिंची बहुत सी आड़ी तिरछी विभाजक रेखाएं मिट सकती हैं। इन रेखाओं के मिटते ही समाज आंतरिक संघर्षों से मुक्त होकर विकास और समृद्धि की दिशा में आगे बढऩे के मनोविज्ञान की ओर अग्रसर होता है। यही मन:स्थिति (स्टेट आफ माइंड) अंतत: राज्य की अर्थव्यवस्था (स्टेट इकोनमी) में तीव्र, स्थायी और समावेशी विकास को समझने और उसे आगे बढ़ाने में सहायक बनती है। इससे न केवल ईज आफ डूइंग बिजनेस के अनकूल परिवेश का सृजन होता है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था 'ईज आफ लिविंगÓ के साथ आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ती है। उत्तर प्रदेश ने इन्हीं विशेषताओं के साथ अपनी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ते हुए पिछले पांच वर्षों में देखा है।
परिवार अर्थव्यवस्था (हाउसहोल्ड इकोनमी) के केंद्र में मातृशक्ति (महिला) होती है। उसी को सही अर्थों में परिवार के पुरुष द्वारा अर्जित-उपार्जित आय का प्रबंधन करना होता है जिसमें भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के सामाजिक दायित्वों में समन्वय व संतुलन बनाना एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। उसे इस बात की चिंता होती है कि संबंधों का कहीं कोई धागा कमजोर न पड़ जाए, रिश्तों की कोई डोर छोटी न हो जाए। इसलिए यदि परिवार की महिला तक राज्य की योजनाएं सीधे पहुंचने लगती हैं या महिला सही अर्थों में लाभार्थी बनती हैं तो इसका अर्थव्यवस्था में समरसता और संवेदनशीलता का तत्व प्रभावी होता है। यदि परिवार की महिला आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ती है तो एक इकाई के रूप में परिवार मजबूत होता है। यही विशेषता समरस समाज के निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाती है।
विकास की दिशा में महत्वपूर्ण फैक्टर : उत्तर प्रदेश जिस योगीनामिक्स के साथ आगे बढ़ा, उसमें उपरोक्त विशेषताओं के साथ ही अन्य फैक्टर भी शामिल हैं। पहला है- तीव्र विकास के साथ अर्थव्यवस्था के फारवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज के बीच संतुलन। दूसरा- सुरक्षा और सुशासन के साथ विकास, हैपीनेस तथा ईज आफ लिविंग को प्रमुखता। तीसरा- बुनियादी जरूरतों के साथ-साथ निवेश के लिए परिवेश का निर्माण और निवेश आकर्षण। चौथा- उत्तर प्रदेश की मेधा, प्रतिभा और कौशल के लिए बेहतर व्यवस्था व प्रबंधन के साथ-साथ व्यापक स्तर पर अवसरों का सृजन। पांचवां- सूक्ष्म, लघु और मध्यम (एमएसएमई) उद्योगों को अतिरिक्त वित्तीय सहायता व प्रोत्साहन देकर, नियमों को सरल व पारदर्शी बनाकर, कार्य संस्कृति में बदलाव लाकर एक व्यापक फलक प्रदान करना। एमएसएमई उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, बल्कि कृषि के बाद रोजगार का सबसे बड़ा स्रोत भी।
इससे उत्तर प्रदेश के लोगों का दूसरे राज्यों की ओर होने वाला पलायन रुका, और दूसरे राज्यों से वापस आने वाले प्रदेश के श्रमिकों व कर्मकारों को इनसे जोड़कर रोजगार भी दिया गया। छठा- प्रदेश में स्टार्टअप एवं उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा। इससे प्रदेश का युवा 'जाब सीकरÓ से 'जाब क्रिएटरÓ बनने की दिशा में आगे बढ़ा। सातवां- सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम देना। इससे उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासतों का पुनरुद्धार होने के साथ धार्मिक पर्यटन का उन्नयन और पर्यटन अर्थव्यवस्था में वृद्धि भी हुई। इस दिशा में सरकार द्वारा जो कार्य किए जा रहे हैं, आने वाले समय में वे सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था को एक नई ऊंचाई देंगे और पर्यटन अर्थव्यवस्था को विस्तार।
आठवां है- गाय और गंगा के धार्मिक-आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ उनकी आर्थिक महत्ता को रेखांकित करना और प्रदेश की जीडीपी (जीएसडीपी) में इसे निर्णायक फैक्टर बनाकर अर्थव्यवस्था में वैल्यू एडीशन करना। नौवां है- अर्थव्यवस्था के परंपरागत घटकों का तकनीकी उन्नयन कर बाजार के साथ जोडऩा जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विस्तार हो और ग्रामीण आय में आधारभूत परिवर्तन संभव हो सके। 'एक जनपद-एक उत्पादÓ इसका सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण है। 10वां है- कनेक्टिविटी क्योंकि हाइवेज, एक्सप्रेसवेज, वाटरवेज और एयरवेज अर्थव्यवस्था के ग्रोथ इंजन के साथ-साथ जीवन की सुगमता के भी प्रतिनिधि होते हैं।
11वां है- प्रदेश की आधी आबादी के लिए अतिरिक्त अवसरों का सृजन कर उन्हें विभिन्न उत्पादक गतिविधियों से जोडऩा। इसके तहत 10 लाख महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से एक करोड़ महिलाओं को आर्थिक सहायता मुहैया कराकर विभिन्न आर्थिक गतिविधियों से जोडऩा, प्रत्येक ग्राम पंचायत में बैंकिंग कारेस्पांडेंट सखी की नियुक्ति, एक करोड़ वृद्धजनों, दिव्यांगजनों और निराश्रित महिलाओं को 12 हजार रुपये वार्षिक पेंशन देना, कन्या सुमंगला योजना के तहत जन्म लेते ही कन्या को आर्थिक सहायता से जोडऩा आदि ऐसी बहुत सी पहले हैं जो मातृशक्ति को समर्थ और स्वावलंबी बनाने की दिशा में प्रभावी ढंग से क्रियान्वित की गईं। योगीनामिक्स का 12वां घटक है- इनोवेशन, इन्वेंशन, ट्रांसपेरेंसी, डिलीवरी, असेसमेंट, इनफारमेशन आदि, जो पहल, प्रबंधन और परिणाम की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।
कुल मिलाकर योगीनामिक्स का सार वही है जो महात्मा गांधी, विनोबा भावे और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों में था, जो नाथपंथ के सामाजिक समरसता और सामाजिक न्याय के साथ-साथ समाजोत्थान की मूल भावना में था। ये विशेषताएं वास्तव में एक शांतिपूर्ण क्रांति की तरह होती हैं जिन्हें कभी नवजागरण जैसा नाम दिया जाता है तो कभी आधारभूत बदलाव का अथवा सामाजिक-आर्थिक आंदोलन का।
Rani Sahu
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