सम्पादकीय

कितना आत्मनिर्भर है हिमाचल

Rani Sahu
15 Jun 2022 7:09 PM GMT
कितना आत्मनिर्भर है हिमाचल
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हिमाचल प्रदेश का एक ख़ास वर्ग जो स्वयं रोज़गार और स्टार्टअप शुरू करने में विश्वास रखता है

हिमाचल प्रदेश का एक ख़ास वर्ग जो स्वयं रोज़गार और स्टार्टअप शुरू करने में विश्वास रखता है, हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम ने ऐसे लोगों को अपने सपने साकार करने के लिए न केवल आर्थिक रूप से बल्कि तकनीकी रूप से भी विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा उनकी मदद की है। हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम के अनथक प्रयासों से हिमाचल का युवा और तकनीकी रूप से शिक्षित वर्ग अब स्वावलम्बन और आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से अग्रसर हैं। हि. प्र. कौशल विकास निगम की स्थापना 14 सितंबर 2015 में की गई थी। राज्य कौशल विकास मिशन और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत की गई थी। एशियाई विकास बैंक ने इस परियोजना में हिमाचल सरकार की सहायता की। एशियाई विकास बैंक ने 429 करोड़ रुपए की धनराशि प्रदेश में ज़रूरतमंदों की तकनीकी शिक्षा, सामान और स्वरोज़गार शुरू करने के लिए अनुबंधित की। कौशल विकास निगम की परियोजनाओं में 68 करोड़ की लागत से वाकनाघाट, सोलन जिला में, अतिथि सत्कार, पर्यटन और तकनीकी सूचना के लिए एक उत्कृष्ट केंद्र की स्थापना की जा रही है। हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम की प्रबंध निदेशक कुमुद सिंह ने यह निश्चित किया कि इन परियोजनाओं का लाभ हिमाचल के दूरदराज़ के क्षेत्रों में रह रहे उन बेरोज़गार लोगों को भी मिले जो अब तक किसी तरह स्वरोज़गार या सरकारी नौकरी से वंचित रह गए। उन्हें यह सब सुविधाएं और तकनीकी शिक्षा और रोज़गार के अवसर मिलें।

हि. प्र. कौशल विकास निगम ने अब तक विभिन्न शिक्षण और तकनीकी प्रशिक्षण योजनाओं के अंतर्गत 29648 लोगों को प्रशिक्षित किया जिनमें 1792 लोगों को कई कंपनियों में रोज़गार भी दिलवाया। दिसंबर 2022 तक 59154 और अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण एवं तकनीकी शिक्षा दी जाएगी। यही नहीं प्रदेश में हस्तकरघा और हस्तशिल्प के विकास में भी कौशल विकास निगम ने एक मह्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कुल्लू, कांगड़ा, मंडी, बिलासपुर, चंबा, सोलन, हमीरपुर में हस्तकरघा, हस्तशिल्प, पॉटरी, बांस की चीज़ें बनाना, पाइन नीडल से चीज़ें बनाना, शाल, पट्टू, चम्बा रुमाल, बुनाई, सिलाई, कढ़ाई में भी हस्तशिल्प और हस्तकरघा कार्पोरेशन लिमिटेड के साथ मिलकर काम किया ताकि नए-नए डिजाइन और इनकी क्षमता को बढ़ाया जा सके। आर्थिक दृष्टि से अगर देखा जाए तो हिमाचल बागवानी और पर्यटन पर ज्यादा निर्भर करता है या फिर लोग सेना में जाना पसंद करते हैं। क्योंकि पहाड़ी अपने शौर्य और देशभक्ति के लिए जाने जाते हैं। सरकारी नौकरियां सब के लिए दे पाना कठिन है। पिछले कुछ वर्षों में हिमाचल में एक वर्ग सरकारी नौकरी न मिलने की वजह से कुंठित है। कोरोना काल में पर्यटन केवल नाम मात्र ही था। जो लोग अनुबंध पर काम करते थे उनकी नौकरियां भी चली गई थी। लेकिन हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम और एशियाई विकास बैंक के प्रयासों से प्रदेश में रोज़गार के नए अवसर मिलने लगे हैं। लोग आत्मनिर्भर होना चाहते हैं। हिमाचल में साहसिक पर्यटन की बहुत संभावनाएं हैं, जिनमें पर्वतारोहण, ट्रैकिंग, हैंग ग्लाइडिंग, स्कीइंग, स्केटिंग व रिवर रॉफ्टिंग शामिल है। पिछले दिनों हिमाचल कौशल विकास निगम ने अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के साथ मिलकर 72 ऐसे युवकों, जिनमें कुल्लू, मंडी, सोलन और शिमला के युवा शामिल हैं, को प्रशिक्षित किया गया जो रिवर राफ्टिंग को अपना व्यवसाय बनाना चाहते थे। इस महीने में और युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
कुल्लू में व्यास नदी में 500 से अधिक राफ्ट्स चलती थीं। कुछ हादसों की वजह से कुछ समय के लिए इन्हें बंद कर दिया गया था। इस प्रशिक्षण की वजह से रिवर राफ्टिंग और भी सुरक्षित हो जाएगी। निगम आने वाले समय में दूसरे साहसिक खेलों में 1400 लोगों को प्रशिक्षण देगा। इससे न केवल रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि पर्यटन विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। इंटरनेट के इस युग में सूचना का प्रचार और प्रसार बहुत आसान हो गया है, लेकिन क्या सही है क्या गलत है, कई बार यह पता नहीं चल पाता। हिमाचल के दूरदराज़ के इलाकों में अभी भी लोग व्यक्तिगत सम्पर्क के माध्यमों में विश्वास रखते हैं। हिमाचल कौशल विकास निगम ने हिमाचल के सभी 12 जिलों तथा 68 विधानसभा क्षेत्रों में जगह-जगह कौशल रथ द्वारा प्रचार और प्रसार का बीड़ा उठाया है। यह महत्वपूर्ण पहल है। प्रदेश के स्कूलों, आईटीआई के मौजूदा छात्रों या जो छात्र किसी तरह अपनी शिक्षा, प्रशिक्षण पूरा नहीं कर पाए, उनको विभिन्न प्रशिक्षणों के बारे में विस्तृत रूप से समझाना, उनके रोजगार के अवसरों के बारे में बताना और सरकार द्वारा अनुदान तथा जो सुविधाएं निशुल्क दी जा रही हैं, उनकी व्यक्तिगत रूप से जानकारी देना। निगम से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 5 मई 2022 तक प्रदेश के 12 जिलों में 49630 छात्रों का पंजीकरण किया गया। हिमाचल सरकार अगर चाहे तो आईटीआई के पाठ्यक्रमों में हिमाचली हस्तशिल्प और हस्तकरघा को शामिल कर सकती है। हिमाचल में 238 आईटीआई हैं जिनमें 103 सरकार द्वारा चलाए जाते हैं और 135 निजी संस्थाओं द्वारा चलाए जाते हैं। इस नए परिवेश में पाठ्यक्रमों में बहुत बदलाव करने की ज़रूरत है क्योंकि बदलते समय के साथ व्यवसाय भी बदल गए हैं और ज़रूरतें भी। हिमाचल प्रदेश में सरकार की सहायता से कई कुटीर उद्योग, पूरी आधुनिकता और नई सोच के साथ चलाए जा सकते हैं।
हिमाचल का वातावरण और परिवेश उद्योग धन्धों के लिए बहुत उपयुक्त है। प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रदेश में निवेश के लिए कई सुविधाएं भी प्रदान की हैं। हिमाचल प्रदेश में 41 औद्योगिक क्षेत्रों का विकास किया गया है। हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम ने हिमाचल में विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षण और रोज़गार के अवसर प्रदान कर बहुत सराहनीय कार्य किया है । प्रबंध निदेशक कुमुद सिंह और उनकी टीम ने कौशल विकास को एक नया स्वरूप दिया है। आने वाले समय में हिमाचल का वह वर्ग जो अपना स्टार्टअप शुरू करना चाहता है, वह चाहे किसी भी स्तर पर हो, इन योजनाओं से जरूर लाभान्वित होगा। इसी के साथ प्रदेश आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी होगा।
रमेश पठानिया
स्वतंत्र लेखक
सोर्स- divyahimachal


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