सम्पादकीय

इनसान को कहां तक झेल पाएगी प्रकृति?

Rani Sahu
20 July 2023 7:05 PM GMT
इनसान को कहां तक झेल पाएगी प्रकृति?
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भारत के कई क्षेत्रों में बाढ़ आ रही है तो उधर एशिया से लेकर अमरीका तक हीटवेव चल रही है। साल दर साल विश्व के तापमान में निरंतर वृद्धि हो रही है। इसके लिए प्रकृति के साथ-साथ इनसान भी बराबरी का दोषी है। जब एक वर्ष में पृथ्वी के समझदार निवासी 40 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करेंगे तो प्रकृति उसे कहां तक झेल पाएगी? सभी देश पर्यावरण सुधार के लिए कार्बन उत्सर्जन घटाने और अन्य कई प्रयास करने के लिए वचन देते हैं और हालत यह है कि इसके लिए जमीनी धरातल पर कुछ भी नहीं कर रहे हैं! पृथ्वी पर प्रतिवर्ष करोड़ों की संख्या में नए वाहन उतर रहे हैं। नई फैक्टरियां लग रही हैं। कार्बन उत्सर्जन करने वाले नए-नए उपकरण बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में प्रकृति का संरक्षण नियाहत जरूरी है।
-सुभाष बुड़ावनवाला, रतलाम, एमपी

By: divyahimachal

Rani Sahu

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