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- मंडी होली के रंगों में...
हिमाचल के प्रगतिशील समाज के आइने मंडी में उस समय टूटते हैं, जब होली के रंगों का उल्लास आपसी वैमनस्य के कत्लखाने में टुकड़े-टुकड़े हो जाता है। सेरी मंच के कान कल तक जिस होली के आनंदोत्सव से सराबोर थे, आज उसी के बगल से बहती ब्यास का क्रंदन सुन सकते हैं। पूरा समाज अपाहिज नजर आता है, जब एक व्यक्ति से हुआ तकरार मौत के वीभत्स दृश्य में हम सभी की भूमिका को लुंज पुंज होते देखता है। हो सकता है मृतक के व्यवहार से होली में हुड़दंग पैदा हुआ हो या उसकी किसी अशोभनीय हरकत से माहौल में उत्तेजना पैदा हुई हो, लेकिन इसका यह जवाब कैसे हो सकता है कि एक बनाम अनेक युद्ध की घोषणा में, बदला लेने की नौबत मौत को अंजाम दे। यह सारा परिदृश्य एक वायरल वीडियो के साक्ष्य और सोशल मीडिया के संदर्भों में राज्य की कानून व्यवस्था को जगा देता है। इसी का नतीजा है कि होली के झगड़े में एक लाश नौ लोगों को पकड़वा सकी। परिदृश्यजनक अपराध की पटकथा को सोशल मीडिया इतना फैला देता है कि इनसाफ खुद साक्ष्य बन कर इसे निहारता है। कैसे एक व्यक्ति को दौड़ा-दौड़ा कर ब्यास नदी में डूबने को मजबूर किया जाता है, इससे नंगा सबूत और क्या होगा। अगर यह दृश्य मोबाइल के कैमरे में पकड़ा नहीं जाता, तो एक लावारिस लाश के सबूत में अपराध कहीं छिप जाता या इन अंधेरों में कानून भी कुछ न देख पाता। ऐसे में सोशल मीडिया के ऐसे अवतार को कबूल करना ही पड़ेगा, क्योंकि पारंपरिक मीडिया अब औपचारिक व तयशुदा घटनाक्रम का वारिस बनता जा रहा है।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल