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- चंद्रविजय का ऐतिहासिक...
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दुनिया में लोगों ने चांद को अपनी-अपनी कल्पना तथा अपनी नजर से देखा है। कभी मां ने बेटे को चंदा कहकर पुकारा है। कभी चंदा मामा कह कर अपने लला को दिखाया है। कभी अपने लाडले के खेलने के लिए चांद लाने की बात कही है। कभी प्यार भरी थपकी देकर चंदा मामा के आने का दिलासा देकर सुलाया है। कभी सुहागिनों ने बदली में छुपे हुए चांद को अपने पति की शक्ल में निहारा है। प्रेम में रत प्रेमियों ने प्रेमिकाओं को चांद के साथ सितारे तोडऩे की बात कही है। ये चांद वैज्ञानिकों के लिए एक ग्रह है। यही चन्द्रमा ज्योतिषियों के लिए गणनाओं का विषय है। यह चांद वैज्ञानिकों, दार्शनिकों, कवियों तथा शायरों के लिए भी अलग-अलग अभिव्यक्ति का कारण है। चांद की चांदनी, रोशनी तथा शीतलता की चर्चा भी हमारी बातचीत में अक्सर होती रहती है। प्रत्येक कृष्ण पक्ष तथा शुक्ल पक्ष की घटती-बढ़ती कलाओं में चंद्रमा की हर स्थिति को देखा जाता है। इस्लाम में चांद देखने पर ही इमाम ईद की घोषणा करते हैं। पूर्णिमा का चन्द्रमा, दूज का चांद, तीज का चांद, चौदहवीं का चांद, ईद का चांद, करवा चौथ का चांद तथा कलंकिनी चौथ का चांद भी सारी दुनिया में चर्चित रहता है। चांद को देख कर कभी व्रत रखे जाते हैं, कभी तोड़े जाते हैं, कभी आदमी के शायराना अंदाज ने चांद को कभी महबूब और महबूबा के रौशन चेहरे की तरह देखा है, कभी चांद के अंगड़ाइयां लेने की कल्पना की है। वैज्ञानिकों ने बताया कि चांद सौर परिवार का एक खगोलीय पिंड है। यह सब होने के बाद वर्षों पहले नील आर्मस्ट्रांग ने चन्द्रमा को जानने की जिज्ञासा में पहली बार उसकी सतह पर पांव रखा था। भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक राकेश शर्मा ने चांद पर जाकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ‘सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा’ बताया था।
चांद पर पानी तथा वायुमंडल के अभाव में अभी तक जीवन नहीं बसाया जा सकता है। आज पूरी दुनिया में चंद्रमा पर शोध और खोज कार्य चल रहे हैं। अभी कुछ समय पूर्व इसरो यानी इंटरनैशनल स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन ने 14 जुलाई को चंद्रयान-3 लांचिंग की। चांद पर जीवन की संभावनाओं का पता लगाने के उद्देश्य से शोध के लिए अनेकों यान भेजे जा चुके हैं। कई बार चन्द्रमा की उबड़-खाबड़ धरती तथा उस पर पानी होने के चित्र प्राप्त हुए हैं, लेकिन अभी भी अनगिनत रहस्य लेकर यह चांद सबके लिए जिज्ञासा तथा उत्सुकता का विषय बन चुका है। आलमगीर खान का एक शे’र याद आ रहा है, ‘अच्छी सूरत भी क्या बुरी शय है, जिसने डाली बुरी नजर डाली’। इनसान की फितरत तो देखिए, जहां भी कोमल, शीतल, सुन्दर तथा आकर्षक वस्तु मिलती है उसे पाने की चेष्टा करता है। आजकल आदमी शान्त चांद से शरारत कर उसकी जमीन पर घुसपैठ कर रहा है, किसी में हिम्मत हो तो सूरज की ओर देखने की गुस्ताखी तो करे? मनुष्य की इस कल्पना के आगे जाकर इसरो के वैज्ञानिकों ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य एल-1 मिशन प्रक्षेपित करने की तैयारी शुरू कर दी है। सूर्य का अध्ययन करने वाली यह पहली अंतरिक्ष आधारित भारतीय वेधशाला होगी। मिशन चंद्रयान की बड़ी सफलता के कुछ घण्टों के बाद ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के प्रमुख ने इसे सितम्बर माह में सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोडऩे की घोषणा की। सूर्य का अध्ययन करने वाला यह भारतीय मिशन होगा। इस मिशन में अंतरिक्ष यान को लग्रांज बिन्दु-1 के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है। आजकल चांद पर भी जमीन के सौदे हो रहे हैं। कई अमीर घरानों के लोग जमीन खरीद कर अपनी बेटी, पत्नी या किसी खास अपने सगे को उपहार के रूप में भेंट कर रहे हैं। यह हैरत भरी खरीददारी का शौक हिमाचल प्रदेश में भी पहुंच चुका है। अभी हमीरपुर तथा नादौन के दो लोगों ने चांद पर जमीन की रजिस्ट्री तक बनवा ली है। इससे पूर्व भी विख्यात अभिनेता शाहरुख खान तथा सुशांत सिंह राजपूत ने भी चन्द्रमा पर जमीन खरीदी है। यह सुनकर किसी साधारण तथा गरीब आदमी ने जब हैरानी से पूछा, ‘सुना है चांद पर लोग जमीन खरीद रहे हैं, कितनी कीमत होगी?’ तो जवाब मिला, ‘कीमत कोई ज्यादा नहीं, बस आने-जाने का ही खर्चा होगा’। हालांकि इंटरनेशनल आऊटर स्पेस ट्रीटी 1967 के कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति तथा देश किसी ग्रह तथा चन्द्रमा पर स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता।
चांद पर जमीन खरीदना तथा बेचना गैर कानूनी है। बावजूद इसके लूना सोसायटी इंटरनेशनल तथा इंटरनेशनल लूनार जैसी कम्पनियां चांद पर जमीन बेचने का दावा करती हैं। लूनर रजिस्ट्री कॉम के अनुसार चांद पर एक एकड़ जमीन की कीमत 37.50 अमरीकी डॉलर यानी लगभग 3112 रुपए है। कम कीमत होने के कारण लोग अपनी भावनाओं तथा अपने प्रियजन के प्रति प्रेम प्रदर्शित करने के लिए इस रजिस्ट्री के बारे में अधिक नहीं सोचते, हालांकि यह महज कागज का एक टुकड़ा खरीदने की ही कीमत होती है। बहरहाल, अनन्त काल से मनुष्य की कल्पनाओं को साकार करते हुए भारतवर्ष ने 23 अगस्त 2023 को शाम 6 बजकर चार मिनट पर अपने तीसरे प्रयास में चंद्रयान -3 दक्षिणी ध्रुव पर उतार कर दुनिया में इतिहास रच दिया। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सुरक्षित एवं सॉफ्ट लैंडिंग करवाने वाला भारत मून मिशन चंद्रयान-3 दुनिया का पहला देश बन चुका है। अब वैज्ञानिकों को भारतीय धारणा के अनुरूप चन्दा मामा के यहां आना-जाना तथा छिपे हुए रहस्यों को जानने के लिए आसान हो जाएगा। पूर्व पन्द्रह वर्षों में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान द्वारा यह निरन्तर तीसरा प्रयास था। वर्ष 2008 में चंद्रयान -1 के प्रक्षेपण के पश्चात 22 जुलाई, 2019 को श्री हरिकोटा से लॉन्च किया गया था, लेकिन इस मिशन को छह सितम्बर 2019 को अपने अंतिम अवतरण तक त्रुटिहीन रूप में आगे बढऩे पर सफलता नहीं मिल पाई। चंद्रयान-3 पिछली इन सफलताओं तथा असफलताओं की निरंतर सीख का ही परिणाम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुशी व्यक्त करते हुए वैज्ञानिकों को तुरंत बधाई देते हुए उनका मनोबल बढ़ाया। अब इस सफल प्रयास के बाद भारतीय वैज्ञानिकों के हौसले बुलंद हो चुके हैं तथा सूर्य, शुक्र और मंगल पर अगले मिशन की चर्चा प्रारंभ हो गई है।
प्रो. सुरेश शर्मा
शिक्षाविद
By: divyahimachal
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