सम्पादकीय

हिंदी अनुवाद की नहीं, संवाद की भाषा है

Rani Sahu
11 Sep 2022 6:54 PM GMT
हिंदी अनुवाद की नहीं, संवाद की भाषा है
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यूं तो हर तारीख का कोई न कोई इतिहास होता है, लेकिन 14 सितंबर का इतिहास कई मायनों में, खासतौर पर हिंदी प्रेमी लोगों के लिए काफी अहम है। इस दिन हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा द्वारा हिंदी को राजभाषा के रूप में दर्जा दिया गया था। हिंदी के महत्व को लोगों को बताने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा हर साल 14 सितंबर को हिंदी राजभाषा दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया गया। संविधान निर्माताओं ने हिंदी के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे संविधान में जगह दी। भारत के संविधान में भाग 17 के अनुच्छेद 343 (1) में कहा गया है कि राष्ट्र की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। इसके बाद 14 सितंबर के दिन को चुना गया और इस दिन हिंदी दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। एक दिन या फिर पखवाडा मनाने से हिंदी को वह दर्जा नहीं मिल सकेगा जो उसे मिलना चाहिए। हिंदी भाषा हमें स्नेह, ममता, प्रेम, करुणा और प्यार करना सिखाती है। पूरे परिवार, समाज को एक कड़ी में बांधकर रखना सिखाती है। हिंदी भाषा अच्छी तरह बोलने और लिखने वालों की संख्या दिनोंदिन कम होती जा रही है।
आओ, हम हिंदी दिवस पर संकल्प लें कि हिंदी का प्रचार-प्रसार करेंगे। हम पचास भाषाएं सीखें, अच्छी बात है, लेकिन हमें मातृभाषा को अधिक प्यार करना चाहिए। भारतवर्ष को आजाद कराने में हिंदी की अहम भूमिका रही है। हिंदी सिर्फ भाषा नहीं बल्कि संस्कृति भी है। हमें इसका सम्मान करना चाहिए। ऐसा लगता है कि आज आर्थिक और तकनीकी विकास के साथ-साथ हिंदी भाषा का महत्व भी कम होता चला जा रहा है। आज हम सफलता पाने के लिए अंग्रेजी भाषा सीखना और बोलना चाहते हैं। आजकल शिक्षा व्यवस्था खासतौर पर अंग्रेजी मीडियम विद्यालयों में हिंदी का कोई विशेष महत्व नहीं है। इसकी वजह से बच्चे हिंदी की अहमियत को अच्छे से समझ नहीं पाते। इसी कारण हिंदी भाषा हमारे समाज से धीरे-धीरे गायब होती जा रही है। दूसरा बड़ा कारण, जब कोई युवा नौकरी के लिए जाता है तो उसके सामने सबसे पहले अंग्रेजी बोलने की शर्त रख दी जाती है। हिंदी सिनेमा ने भी हिंदी के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभाई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हिंदी को लोकप्रियता मिली, लेकिन आज हिंदी सिनेमा भी अंग्रेजी के शिकंजे में है। आजकल आलम यह है कि फिल्म तो हिंदी में होती है, लेकिन नाम अंग्रेजी में होता है।
हम जिस तरह अपने बच्चे को अंग्रेजी पढ़ाने पर जोर देते हैं, उसी तरह हिंदी पढ़ाने पर भी जोर देना चाहिए। सरकार द्वारा भी प्राथमिक शिक्षा के माध्यम से हिंदी को बनाए रखना चाहिए। हम अपनी भाषा की उपेक्षा क्यों करने लग जाते हैं, जबकि पश्चिमी देशों में हिंदी पढ़ाए जाने पर हमें गर्व होता है। यह हिंदी के लिए अच्छा है कि आज दुनिया के कई शिक्षण संस्थानों में हिंदी का अध्ययन हो रहा है। अमेरिका, जर्मनी में भी हिंदी को पढ़ाया जा रहा है। हमें अन्य देशों से सीखना चाहिए कि कैसे वह अपनी भाषा के साथ ही अन्य भाषा को भी अपनाने की कोशिश करते हैं। हमारे देश के लिए विडंबना ही है कि हिंदी भाषा बोलने से लोग हिचकिचाते हैं। आज अंग्रेजी बोलने वाले को अच्छी नजर से देखा जाता है। दूसरी तरफ जब कार्यालयों में लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं तो हीन दृष्टि से देखा जाता है या फिर कमजोर समझा जाता है। आज हिंदी दिवस पर यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने जीवन में हिंदी को महत्वपूर्ण स्थान देंगे। मैं आसपास के युवाओं और युवतियों को देखता हूं, जो नए-नए माता-पिता बनते हैं, अपने बच्चे से हिंदी या मातृभाषा में बात करने में शर्म महसूस करते हैं, आपस में चाहे किसी भी भाषा में बात करें, पर बच्चे से बस अंग्रेजी भाषा में ही बात करते हैं, उसको तो बस अंग्रेज ही बनाना चाहते हैं, और अगर बच्चा एक शब्द भी अपनी मातृभाषा में बोल दे तो उसको ऐसे डांटते हैं जैसे बच्चे ने पता नहीं कितना बड़ा गुनाह कर दिया हो। ये किस तरफ जा रहे हैं हम? क्या ये हमारी संस्कृति है? अपनी भाषा बोलने में शर्म कैसी? हां, मैं ये मानता हूं कि हर भाषा का ज्ञान होना अच्छी बात है, फिर चाहे वो हिंदी हो या अंग्रेजी, पर मातृभाषा बोलने में शर्म महसूस करना सही नहीं है।
आजकल के बच्चों को 49, 59, 69, 79, 89 अंकों को हिंदी में क्या बोलते हैं और कई घरेलू वस्तुओं को हिंदी या अपनी मातृभाषा में क्या कहते हैं, ये भी पता नहीं होता। अंग्रेज बनाने से क्या फायदा, जब बच्चे को व्यावहारिक ज्ञान ही नहीं है। ये मेरे व्यक्तिगत विचार हैं। आपके भिन्न हो सकते हैं। आज सभी अंग्रेजी के पीछे भाग रहे हैं। हमारे देश में अंग्रेजी का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। हम अपने जीवन में हिंदी को महत्वपूर्ण स्थान दें। यही संकल्प लेना चाहिए। देश में तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ अंग्रेजी पूरे देश पर हावी होती जा रही है। हिंदी देश की राजभाषा होने के बावजूद आज हर जगह अंग्रेजी का वर्चस्व कायम है। हिंदी अनुवाद की नहीं, बल्कि संवाद की भाषा है। किसी भी भाषा की तरह हिंदी भी मौलिक सोच की भाषा है। स्वतंत्रता से लेकर अब तक हिंदी ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं। सरकार द्वारा विकास योजनाओं और नागरिक सेवाएं प्रदान करने में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। हिंदी भाषा के माध्यम से हम बेहतर जन सुविधाएं लोगों तक पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय द्वारा विश्व हिंदी सम्मेलन और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के माध्यम से हिंदी को अंतरराष्ट्रीय पटल पर लोकप्रिय बनाने का कार्य किया जा रहा है। हिंदी दिवस की सभी को शुभ कामनाएं।
प्रत्यूष शर्मा
लेखक हमीरपुर से हैं
By: divyahimachal
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