सम्पादकीय

दिल छूने की दुहाई

Rani Sahu
22 April 2022 7:26 PM GMT
दिल छूने की दुहाई
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सत्ता की धूप में दही खाने का मजा, भाजपा की रैली में कांगड़ा को जरूर आया

सत्ता की धूप में दही खाने का मजा, भाजपा की रैली में कांगड़ा को जरूर आया, क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का आगमन अपने साथ स्पर्श, सबूत तथा शैली का निमंत्रण लेकर आया। यह दीगर है कि चुनावी रैलियों में संदेश की भाषा को पढ़ना आसान नहीं, फिर भी संबोधन की पराकाष्ठा में भाजपा की कांगड़ा रैली को सुना गया। जाहिर तौर पर भाजपा अपना चुनावी पैकेज तैयार कर रही है, तो डबल इंजन सरकारों का उल्लेख होगा और इसी सेतु पर चलते हुए नड्डा ने हिमाचल पर पुष्प वर्षा कर दी। भाजपा की निगाह के उजले पक्ष पर खड़े मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की तारीफ के पुल बांधते हुए नड्डा ने कांग्रेस को हर सीमा तक खारिज किया, लेकिन प्रदेश में लंगर डाल कर बैठी आम आदमी पार्टी का जिक्र तक नहीं किया। संदेश इतना तो स्पष्ट है कि भाजपा पूरे प्रयास में है कि 'आप' की गिनती न की जाए, लेकिन क्या यह आगे चल कर संभव होगा। जहां तक आम आदमी पार्टी की कोशिश है, वह हिमाचल में सीधे सत्ता को चुनौती देना चाहती है और इसीलिए अपने अभियान की शुरुआत मंडी से कर चुकी है तथा शनिवार (आज) के दिन कांगड़ा से मिलन करेगी। ऐसे में दोनों पार्टियांे के संदेश पढ़े जाएंगे और मुकाबला इसी सूरत में होगा कि कौन क्या कहता है।

अपनी मंडी रैली में आम आदमी पार्टी स्पष्ट संदेश देने में कामयाब नहीं हुई है, लेकिन उम्मीद यह है कि नड्डा आगमन के बाद अरविंद केजरीवाल भी हिमाचल को दिल से छूने की दुहाई देंगे। बहरहाल 'आप' को देखने का हिमाचली नजरिया विकसित हो रहा है और इसके लिए पार्टी भी अपने आगोश में कांग्रेस और भाजपा के रेवड़ से कुछ भेड़-बकरियां पकड़ रही है। इसे 'आप' अपना करिश्मा बनाती है या गूदड़ में लाल बनाती है, यह देखना बाकी है, लेकिन इतना तय हो चुका है कि यह पार्टी अपना आधार ढूंढते हुए परंपरावादी पार्टियों से वोट छीन सकती है। इस बार हिमाचल के चुनावी शब्दकोष से कौन से नए शब्द ईजाद होते हैं या नए मुहावरे गढ़े जाते हैं, यह 'आप' के प्रोफाइल की कसौटी बनेगा। मिशन रिपीट की सीमा रेखा पर पुनः कांगड़ा उभर रहा है और ऐसे में जगत प्रकाश नड्डा का आगमन बहुत कुछ खोज रहा है। भाजपा के राजनीतिक कला कौशल का सारा साजोसामान गगल एयरपोर्ट से नगरोटा तक बिखरा था और सियासी सन्नाटे के बीच नड्डा के अभिनंदन का जोश भर गया।
यानी चार राज्यों की जीत की मुस्कराहट लिए नड्डा के पास कहने को बहुत कुछ था, मगर कहीं भीड़ के बीच वे प्रश्न भी लटके थे जिन्होंने इससे ठीक पूर्व हिमाचल में भाजपा को चार उपचुनाव हारते हुए देखा था। सीने पे फौलाद लिए कांगड़ा की शौर्य गाथा, धार्मिक आस्था के तिलक और राजनीतिक भूमिका के अरमान, गगल से नगरोटा तक शिरकत करते रहे, लेकिन जिस हवाई पट्टी पर नड्डा उतरे, वह अपने विस्तार को लेकर उदास दिखाई दी। जिस सड़क से नड्डा गगल से नगरोटा के तोरण द्वारों तक पहुंचे, वे पूछ रहे थे कि कांगड़ा की फोरलेन परियोजनाओं में इतनी देर क्यों कर दी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जो कहा, वह अति महत्त्वपूर्ण था, लेकिन जो जनता ने सुना वह कितना चरितार्थ हुआ। बदलाव की आंधियों से गुजर कर नड्डा अपने गृह राज्य की जयराम सरकार को साधुवाद दे रहे हैं। जाहिर है उनका हर बार आना मुख्यमंत्री जयराम को सशक्त करता है और एक बार फिर यही संदेश हिमाचल को मिल गया, लेकिन कांगड़ा आकर नड्डा कांगड़ा को क्या संदेश दे गए, इसके ऊपर मंथन होगा। चुनाव के लंगोट पहनकर रैलियां आएंगी और सरकार बना कर चली जाएंगी। कांगड़ा अपनी वचनबद्धता से सदा शिमला की सरकार बनाता आया है, लेकिन भाजपा को अब बताना होगा कि इसकी सत्ता ने इस क्षेत्र को कितना नजदीक से देखा और इसकी महत्त्वाकांक्षा को पूरा करने की कितनी ईमानदारी दिखाई।

साभार : divyahimachal


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