सम्पादकीय

अमेरिका में गहराती बंदूक संस्कृति

Gulabi
15 Dec 2021 4:31 AM GMT
अमेरिका में गहराती बंदूक संस्कृति
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अमेरिकी स्कूलों में किशोरवय बच्चों के द्वारा गोली चलाने की घटनाओं में एक नया मोड़ आया है
अमेरिकी स्कूलों में किशोरवय बच्चों के द्वारा गोली चलाने की घटनाओं में एक नया मोड़ आया है. मिशिगन राज्य में पहली बार स्कूल में गोलीबारी कर चार साथियों को मार देनेवाले छात्र इथन क्रंबले के माता-पिता पर भी मामला दर्ज किया गया है. आम तौर पर ऐसा नहीं किया जाता था. इथन के माता-पिता जेम्स और जेनिफर क्रंबले पर गैर इरादतन हत्या के गंभीर आरोप लगाये गये हैं तथा उन्हें गिरफ्तार कर अलग-अलग जेलों में रखा गया है.
पंद्रह साल का इथन भी गिरफ्तार किया जा चुका है. फोर्ब्स की रिपोर्ट को मानें, तो सिर्फ 2021 में ही अमेरिका में 1.8 करोड़ बंदूकें खरीदी गयी हैं, जबकि 2020 में लोगों ने 2.2 करोड़ बंदूकें खरीदी थीं. ये आंकड़े पिछले बीस साल में सबसे अधिक बताये जाते हैं. सेंटर फॉर होमलैंड डिफेंस एंड सिक्योरिटी के अनुसार, 2021 में स्कूलों में गोली चलाने की 222 घटनाएं हुई हैं. साल 2018 और 2019 में ऐसी घटनाएं सौ के करीब थीं. ये आंकड़े बीते दसेक सालों में तेजी से बढ़े हैं, क्योंकि इस अवधि में अमेरिका में बंदूक खरीदने का चलन बढ़ा है.
मिशिगन के ऑक्सफोर्ड हाईस्कूल के इथन ने भी जिस बंदूक से गोली चलायी थी, वह बंदूक थैंक्सगिविंग के दौरान उसके माता-पिता ने खरीदी थी. रिपोर्टों के अनुसार बंदूक खरीदने के लिए इथन के साथ उसके पिता भी गये थे और फिर इथन ने अपनी मां के साथ बंदूक चलाने की प्रैक्टिस की थी. इथन के माता-पिता पर आरोप लगाने के अप्रत्याशित फैसले के पीछे जो सबसे बड़ी वजह बतायी गयी है, वह स्कूल की रिपोर्ट है.
बताया जाता है कि गोली चलाने की घटना के एक-दो दिन पहले ही इथन अपने स्कूल में ऑनलाइन बंदूक की गोलियां खोजते हुए पाया गया था. इसके बारे में स्कूल ने उनके माता-पिता को जानकारी दी थी. इस शिकायत के बाद इथन की मां ने बेटे को मोबाइल से संदेश भेजा था कि वह ध्यान रखे कि ऐसा कुछ करते समय उसे स्कूल में कोई न देख पाए.
अभियोजन पक्ष के अनुसार माता-पिता का यह व्यवहार बेहद गैर जिम्मेदाराना है. अगर इस मामले में इथन और उसके माता-पिता को सजा होती है, तो यह एक नजीर बन सकती है कि अमेरिकी माता-पिता अपने बच्चों को बंदूक से दूर रखेंगे. हालांकि इस घटना के बाद भी अमेरिका में बंदूकों के खतरों को लेकर वैसी चर्चा नहीं हो रही है, जैसी होनी चाहिए.
अमेरिकी सांसद थॉमस मैसी ने इस घटना के कुछ दिन बाद ही सोशल मीडिया पर एक तस्वीर लगायी, जिसमें उनके परिवार के सभी सदस्यों के हाथ में बंदूकें हैं. इस तस्वीर की हर तरफ आलोचना हो रही है कि इससे गन कल्चर को ग्लैमराइज किया गया है, लेकिन सांसद ने यह फोटो नहीं हटाया है.
कई विशेषज्ञ ऐसी हिंसा के लिए अमेरिकी बंदूक उद्योग को जिम्मेदार ठहराते हैं. वे बताते हैं कि स्कॉटलैंड में भी इसी तरह की घटनाएं नब्बे के दशक में हुआ करती थीं, लेकिन 1996 में सोलह बच्चों और एक शिक्षक की मौत के बाद वहां बंदूकों पर प्रतिबंध लगाने के लिए व्यापक आंदोलन हुए और नये नियम बने. इसके बाद स्कॉटलैंड में एक भी ऐसी घटना नहीं हुई.
इसके उलट अमेरिका में पिछले कुछ समय में बंदूकों पर बैन करने के लिए चले सभी आंदोलन विफल रहे हैं. घरेलू बंदूकों का अमेरिका में कारोबार करीब तीन अरब डॉलर का है. ऐसे मामले भी देखे गये हैं, जहां अभिभावक अपने बच्चों को बुलेट प्रूफ जैकेट पहना कर स्कूल भेज रहे हैं. अमेरिका में बंदूक रखने को लेकर एक अलग तरह की संस्कृति है और उसकी पृष्ठभूमि को जाने बिना यह समझना असंभव है कि क्यों लोगों के पास इतनी बंदूकें हैं या बंदूक पर बैन लगाने को लेकर लोग इतना आंदोलित क्यों हो जाते हैं.
अमेरिकी संविधान के दूसरे संशोधन के तहत नागरिकों को बंदूक रखने के अधिकार मिले हुए हैं. इसके लिए किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं है. कोई भी व्यक्ति दुकान से बंदूक खरीद सकता है, हालांकि पिछले कुछ वर्षों में कुछ राज्यों ने खरीदारों के बैकग्राउंड चेक करने की प्रक्रिया शुरू की है. प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार, दस में से तीन अमेरिकी लोगों के पास बंदूकें हैं.
बंदूक रखनेवाले 44 प्रतिशत लोग खुद को रिपब्लिकन मानते हैं, जबकि 20 प्रतिशत लोग खुद को डेमोक्रेट पार्टी का समर्थक मानते हैं. कोविड के कारण भी अमेरिका में बंदूकों की खरीद में बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि कई लोगों का मानना था कि भोजन की कमी और रोजगार छिनने के बाद अपराध में बढ़ोतरी होगी और उन्होंने इससे बचने के लिए बंदूकें खरीदी हैं.
ज्यादातर अमेरिकी निजी सुरक्षा को कारण बताते हुए बंदूक खरीदते हैं और साथ ही आधे से अधिक अमेरिकी मानते हैं कि देश में बंदूकों से होनेवाली हिंसा चिंता का विषय है. आंकड़े ये भी बताते हैं कि 82 प्रतिशत काले लोग इस हिंसा को बहुत बड़ी समस्या मानते हैं, जबकि इसे बड़ी समस्या माननेवाले गोरे लोगों का प्रतिशत केवल 39 है.
शायद यह एक बड़ा कारण है कि स्कूलों में गोली चलानेवाले ज्यादातर बच्चे गोरे परिवारों के रहे हैं, लेकिन मरनेवालों में हर तरह के बच्चे होते हैं. वर्ष 2019 में बंदूकों को लेकर कड़े नियम लागू करने के पक्ष में 60 फीसदी लोग थे, लेकिन इस साल के सर्वे में यह प्रतिशत घट कर 53 हो गया है और इसके लिए कोविड महामारी को जिम्मेदार बताया जा रहा है.
अमेरिका में जब कभी स्कूल में बच्चों की मौत होती है, तो एक तबका कड़े कानूनों की वकालत करते हुए कोशिश करता है कि संसद में किसी तरह का कानून पारित किया जाए, ताकि इन घटनाओं पर लगाम लग सके. दूसरी तरफ बंदूकें रखने के समर्थन में भी कुछ लोग आ जाते हैं और मामला फिर जस का तस अटक जाता है.
इसके पीछे गन लॉबी की बड़ी भूमिका है, इससे कोई भी इंकार नहीं कर सकता है. फिलहाल ऑक्सफोर्ड की घटना के बाद माता-पिता पर आरोप तय करना इस पूरे मामले को एक अलग मोड़ दे रहा है और उम्मीद की जा रही है कि माता-पिता अपने बच्चों तक बंदूकों की पहुंच रोकने की शुरुआत करेंगे. फिलहाल अमेरिका में लोगों की नजर इस पर है कि मिशिगन की इस घटना में इथन क्रंबले के साथ उसके माता-पिता को कितनी कठोर सजा मिलती है.
अगर सजा कठोर होती है, तो लोगों को उम्मीद है कि स्कूल में गोलीबारी की घटनाओं में, आनेवाले समय में, कमी हो सकेगी. बहरहाल, देर-सबेर अमेरिका को इस समस्या पर प्रभावी पहल करना ही होगा.
प्रभात खबर
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