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सम्पादकीय
आनलाइन गेम्स का बढ़ता दायरा, गेमिंग पर बने ठोस राष्ट्रीय नीति
Gulabi Jagat
23 March 2022 3:58 PM GMT
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नवंबर 2021 में बीसीजी-सिकोइया इंडिया द्वारा जारी ‘मोबाइल गेमिंग
आकाश कुमार सिंह। संसद के वर्तमान बजट सत्र के दूसरे चरण के साथ पिछले कुछ सत्रों के दौरान कई ऐसे मुद्दे जोर-शोर से उठाए गए जिन पर बहुत तीखी बहस हुई है। ऐसा ही एक मुद्दा आनलाइन गेमिंग का है। संसद के वर्तमान बजट सत्र के पहले चरण में भी इस मसले पर चर्चा हुई थी। हाल ही में आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था पर दिए एक वक्तव्य के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आनलाइन गेमिंग क्षेत्र से जुड़े नए कीवर्ड को गढ़ते हुए कहा, 'आज देश में एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, और कामिक- एवीजीसी सेक्टर का भी तेजी से विकास हो रहा है। भारत आनलाइन गेमिंग को लेकर दुनिया के टाप फाइव मार्केट में से एक है। लेकिन क्या हमारे बच्चे विदेशों से आई हुई गेम्स खेलेंगे कि हिंदुस्तान भी कुछ करेगा?'
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, 'हमारे देश की प्रतिभा को मौका मिले तो इस सेक्टर में 'क्रिएट इन इंडिया' और 'ब्रांड इंडिया' को सशक्त करने की पूरी क्षमता है। भारत को ग्लोबल गेम डेवलपर्स और गेमिंग सर्विसेज का हब बनाने के लिए इस बजट में टास्क फोर्स के गठन की बात की गई है।' प्रधानमंत्री के इस बयान के पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में भी एवीजीसी सेक्टर का उल्लेख किया था।
नवंबर 2021 में बीसीजी-सिकोइया इंडिया द्वारा जारी 'मोबाइल गेमिंग : पांच अरब डालर के बाजार की संभावनाएं' रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में भारतीय गेमिंग उद्योग 1.5 अरब डालर का राजस्व उत्पन्न कर रहा है और साल 2025 तक भारत का गेमिंग बाजार पांच अरब डालर का हो जाएगा। भारत में पिछले पांच वर्षो के दौरान इस क्षेत्र में तेजी से विस्तार हुआ है। केपीएमजी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में आनलाइन गेमर्स की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और साल 2018 में यहां करीब 25 करोड़ गेमर्स थे, जो 2020 तक बढ़ कर 40 करोड़ हो गए। अब तक इनकी संख्या और बढ़ी होगी।
बढ़ रही चिंता : इस सेक्टर के विस्तार लेने के साथ ही कई चिंताएं अभी भी कायम हैं जिन पर केंद्र सरकार को विचार करने की आवश्यकता है। भारत के गेमिंग बाजार का आकार अभी भी काफी सीमित है और वैश्विक गेमिंग बाजार का यह केवल एक प्रतिशत ही है, जिसे और अधिक गति से बढ़ाया जाना चाहिए। कई राज्य सरकारें आनलाइन गेमिंग को लेकर बारीक समझ विकसित कर पाने में नाकाम साबित हुई हैं और कुछ राज्यों ने आनलाइन गेमिंग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। सबसे अधिक चिंताजनक तथ्य यह है कि भारत के आनलाइन गेमिंग क्षेत्र पर विदेशी कंपनियों का, विशेष कर चीनी निवेश का खासा दबदबा है। कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि प्रतिबंधों के बावजूद चीन भारत के गेमिंग बाजार में पिछले दरवाजे से घुसपैठ करने में कामयाब रहा है। नीतिगत स्तर पर भी कई ऐसे विषय हैं, जिन पर आज देश में बहस हो रही है और उन मुद्दों पर सर्व-समावेशी नीतियां बनाने के लिए सरकार लंबे समय से विचार कर रही है। इस संदर्भ में सबसे बड़ा मुद्दा डाटा लोकलाइजेशन यानी आंकड़ों के स्थानीयकरण का है। मतलब देश का डाटा केवल स्वदेशी सर्वरों में ही स्टोर किया जाना चाहिए, ताकि विदेशी शक्तियों को आर्थिक या वैचारिक स्तर पर इनका फायदा उठाने से रोका जा सके।
डाटा संप्रभुता पर कार्य कर रहे कई कार्यकर्ता आनलाइन गेमिंग के क्षेत्र में भी डाटा स्थानीयकरण की मांग करते रहे हैं। वे डाटा स्थानीयकरण को डिजिटल राष्ट्रवाद के एक अहम अंग के रूप में देखते हैं। दिसंबर 2019 में प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में स्वदेशी जागरण मंच ने कहा था कि डाटा स्थानीयकरण और डिजिटल राष्ट्रवाद 'समय की आवश्यकता' है। इस संगठन ने पत्र में लिखा, 'डाटा औद्योगिक क्रांति का 'नया आधार' है। हम भारतीय आबादी के मामले में दुनिया के छठे, इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के मामले में पांचवें और डिजिटल उपभोक्ताओं के मामले में दुनिया के एक चौथाई हिस्से का निर्माण करते हैं। भारत की सीमाओं के अंदर डाटा की गणना करने की आवश्यकता है। निश्चित रूप से भारत में ऐसा करने की प्रतिभा है।'
कुछ प्रख्यात भारतीय कंपनियां इस क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं और अपना डाटा भारतीय सर्वरों में ही स्टोर कर रही हैं। हालांकि यह केवल स्वैच्छिक रूप से किया जा रहा है और इस उद्योग के सभी हितधारकों द्वारा इसका अनिवार्य रूप से पालन किया जाना अभी बाकी है। इस मुद्दे पर कोई बाध्यकारी कानून बनाना अभी शेष है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी विदेशी शक्ति द्वारा आनलाइन गेमिंग के डाटा का दुरुपयोग कर भारत के युवाओं के मन-मस्तिष्क को प्रभावित न किया जा सके। तेजी से आगे बढ़ते हुए इस उद्योग ने अपनी प्रारंभिक अवस्था में ही उच्च विकास दर दिखाना शुरू कर दिया है। इस प्रकार के उद्योग इस समय भारत में गिने-चुने ही हैं और इसके प्रति सरकार की उदासीनता चिंता पैदा करती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फरवरी 2021 में नीति आयोग की एक बैठक में कहा था कि गूगल को भारत में विकसित किया जा सकता था यदि आवश्यक नीतिगत सहयोग प्रदान किया गया होता। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था, 'हमने हाल ही में भू-स्थानिक डाटा का उदारीकरण किया। अगर हम एक दशक पहले ऐसा कर पाते, तो संभावना है कि गूगल भारत में बना होता, बाहर नहीं। प्रतिभा भारतीय है, लेकिन उत्पाद नहीं।' शुरुआती दौर में गूगल, फेसबुक, अमेजन जैसी कंपनियों के मुकाबले की कंपनियां भारत में खड़ी नहीं हो पाई थीं। लेकिन गेमिंग उद्योग में स्थितियां भिन्न हैं। इसमें पहले ही भारत की कम से कम दो कंपनियां 'यूनिकार्न' का दर्जा पा चुकी हैं और कई अन्य स्वदेशी उपक्रम खुद को इस क्षेत्र में मजबूती से स्थापित कर रहे हैं।
विदेशी दिग्गजों के मामले में भारत के पास उस पैमाने का बड़ा विकल्प नहीं था जिससे भारतीय बाजार को उनके लिए खोलना पड़ा और भारत की प्रतिभाओं को देश छोड़ इन संस्थाओं के लिए काम करना पड़ा। चूंकि गेमिंग के क्षेत्र में आज हमारे देश में परिस्थितियां सर्वथा अनुकूल हैं और स्वदेशी कंपनियों का विस्तार हो रहा है, लिहाजा भारत इस समस्या से निजात पा सकता है। बस आवश्यकता इस बात की है कि अपने विचारों के अनुसार केंद्र सरकार गेमिंग क्षेत्र के लिए सुगम, सुचारु और स्पष्ट नीतियों के साथ आगे आए, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत की स्वदेशी गेमिंग कंपनियों और गेम डेवलपर्स की राह आसान करने के लिए सरकार उनके साथ खड़ी है। आनलाइन गेमिंग को लेकर एक राष्ट्रीय नीति बनाने का समय आ गया है, जिसके द्वारा राज्य सरकारों की बेतरतीब कानूनों से निजात पाया जा सके और एवीजीसी क्षेत्र को लेकर बजट में की गई घोषणाओं और प्रधानमंत्री द्वारा व्यक्त की कई आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके।
ऐसे में समय की मांग है कि केंद्र सरकार गेमिंग क्षेत्र के लिए सुगम, सुचारु और स्पष्ट नीतियों के साथ आगे आए, ताकि भारत की स्वदेशी गेमिंग कंपनियों को प्रोत्साहित किया जा सके।
[शोधार्थी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय]
Gulabi Jagat
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