सम्पादकीय

बढ़ता जीएसटी संग्रह

Gulabi Jagat
3 Jun 2022 4:18 AM GMT
बढ़ता जीएसटी संग्रह
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भारत का वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी संग्रह मई में पिछले वर्ष के मुकाबले 44 फीसदी की वृद्धि के साथ 1.4 लाख करोड़ रुपये रहा
भारत का वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी संग्रह मई में पिछले वर्ष के मुकाबले 44 फीसदी की वृद्धि के साथ 1.4 लाख करोड़ रुपये रहा. हालांकि, मासिक आधार पर इसमें 16 फीसदी की गिरावट आयी है. अप्रैल, 2022 में जीएसटी संग्रह सर्वकालिक उच्चतम स्तर 1.68 लाख करोड़ रुपये था. मार्च से लगातार तीसरे महीने में जीएसटी संग्रह 1.4 लाख करोड़ से अधिक रहा, जबकि लगातार 11वें महीने में जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ के ऊपर दर्ज हुआ है. नियमों के अनुपालन पर करदाताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट जैसे उपायों से अप्रैल, 2022 तक जीएसटी संग्रह में तेजी बनी रही.
हालांकि, मई की मामूली गिरावट को उपभोक्ता बर्ताव और सामान्य व्यापारिक बदलाव के नजरिये से देखा जाना चाहिए. वित्त मंत्रालय के वक्तव्य के अनुसार, मई महीने में जीएसटी संग्रह, वित्तवर्ष के पहले महीने अप्रैल के रिटर्न से संबंधित है, वह हमेशा अप्रैल से कम रहा है, क्योंकि अप्रैल का संग्रह वित्त वर्ष के समापन महीने मार्च से संबंधित होता है. अप्रैल, 2022 में जारी कुल ई-वे बिलों की संख्या 7.4 करोड़ रही, जोकि मार्च 2022 के 7.7 करोड़ ई-वे बिलों के मुकाबले चार प्रतिशत कम है. हालिया भू-राजनीतिक घटनाओं और आर्थिक हलचल से दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं के सामने कठिनाई आयी है.
हालांकि, तीन महीने से लगातार जीएसटी संग्रह के 1.4 लाख करोड़ ऊपर रहना आर्थिक विकास का अच्छा संकेतक है और इसे जीडीपी आंकड़े समेत वृहद आर्थिक संकेतकों से भी जोड़ा जा सकता है. विशेषज्ञों का भी मानना है कि कर चोरी के खिलाफ ऑडिट और एनालिटिक्स जैसे बेहतर प्रयासों के चलते जीएसटी संग्रह में बढ़त देखी जा रही है. हालांकि, मुद्रास्फीति के मौजूदा रुझान और वृहत्तर आर्थिक कारणों को देखते हुए सरकार के सामने कर संग्रह के इन आंकड़ों को बरकरार रखने की बड़ी चुनौती होगी. लगातार उच्च मुद्रास्फीति के बावजूद समग्र मांग में लचीलापन रहने से पिछले महीने फैक्ट्री गतिविधि भी उम्मीद से बेहतर रही है.
वृद्धि की राह पर होने के बावजूद आंकड़े बहुत असरकारक नहीं हैं. खपत की स्थिति संतोषजनक नहीं है, फिर भी शहरी खपत अपेक्षाकृत बेहतर है. सार्वजनिक पूंजी खर्च में तेजी आ रही है और सरकार भी निवेश के माध्यम से सुधार के लिए प्रयासरत है. महंगाई के आठ साल के उच्चतम स्तर पर रहने, ऊर्जा कीमतों में अनियंत्रित वृद्धि, कमोडिटी कीमतों में तेजी वर्तमान में अर्थव्यवस्था के सामने बड़ी चुनौती है.
रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष की अनिश्चितता दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं के लिए समस्या बनी हुई है. इन सबके बीच अच्छे मॉनसून की भविष्यवाणी राहत भरी है. अच्छी बारिश से न केवल कृषि क्षेत्र को मदद मिलेगी, बल्कि कीमतों की तेजी में भी ठंडक आयेगी. महंगाई का मौजूदा रुझान निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था के लिए समस्याजनक बन सकता है. ऐसे में उम्मीद है कि अच्छे मॉनसून से ग्रामीण मांग में बेहतरी आयेगी, जिससे अर्थव्यवस्था के सुधार को भी गति मिलेगी.
प्रभात खबर के सौजन्य से सम्पादकीय
Gulabi Jagat

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