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- घास काटने का हुनर
सबसे अद्भुत हुनर है घास काटना। हर कोई घास नहीं काट सकता, बल्कि घास की पहचान हो जाए तो कई खोटे सिक्के भी इस काटकर चल निकलते हैं। दुनिया में हर किसी ने घास की सबसे अधिक अवमानना की है, बल्कि अवमानना भी घास की तरह उगती है, लेकिन काटता कोई-कोई। घास अपनी निरंतरता के कारण सदियों से उगती आई, लेकिन इसने अपने काटे जाने पर कभी एतराज नहीं किया। कई बार लगता है कि घास की पैदाइश और इसके प्रसार में एक खास तरह की निरंतरता है जो अब लोकतांत्रिक सरकारों के व्यवहार में भी नहीं पाई जाती। सरकार और घास में सिर्फ हुनर का अंतर है। सरकार का बनना और बचना दो अलग-अलग तरह के हुनर हैं, जबकि घास का केवल कटना ही हुनर है। वक्त पे कट जाए तो घास अमृत है, वरना बदनाम तो इस काटने वाले को भी होना है। घास को लगता है कि वह भी बीपीएल जैसा परिवार बना सकती है या उसे इसी दृष्टि से देखा जाता है। वह बिना कर्ज उठाए उग सकती है, जबकि किसी सरकार में यह दम नहीं कि अपने तिनके भी बिना उधार के उठा पाए। घास को यह तकलीफ है कि उसके उगने के बावजूद पशु आवारा घूम रहे हैं। एक बार उसने आवारा गाय से पूछ लिया कि वह सड़कों पर घूमना क्यों पसंद करती है। गाय ने ऐसा जवाब दिया कि घास शर्म से तिनका-तिनका हो गई।