सम्पादकीय

पंजाब में मल्टीलेयर प्लास्टिक के दोबारा उपयोग में लाने के लिए चल रहे प्रोजेक्ट का ठप होना सरकार की लापरवाही

Gulabi Jagat
19 July 2022 4:15 PM GMT
पंजाब में मल्टीलेयर प्लास्टिक के दोबारा उपयोग में लाने के लिए चल रहे प्रोजेक्ट का ठप होना सरकार की लापरवाही
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प्रोजेक्ट का ठप होना सरकार की लापरवाही
सिंगल यूज प्लास्टिक पर देश भर में रोक लगने के बाद जहां इसका प्रयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है वहीं पंजाब में मल्टीलेयर प्लास्टिक के दोबारा उपयोग में लाने के लिए चल रहे प्रोजेक्ट का ठप होना पर्यावरण की दृष्टि से कतई ठीक नहीं है। हैरानी की बात यह भी है कि इस बारे में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कोई जानकारी नहीं है। जिस विभाग का काम ही पर्यावरण की चिंता करना है उसी की ओर से इस तरह की शिथिलता तो समझ से परे है। ऐसा भी नहीं है कि यह प्रोजेक्ट अभी ठप हुआ है।
प्रदेश में बने सात केंद्रों पर तीन महीने से यदि कलेक्शन नहीं हो रहा है तो इसकी चिंता सरकार को भी करनी चाहिए थी। प्लास्टिक कितनी बड़ी समस्या है इसका अंदाजा मानसून आने के बाद शहरों के हालात को देखकर लगाया जा सकता है। जल जमाव का एक प्रमुख कारण लोगों की ओर से फेंका गया प्लास्टिक भी है जिसके कारण नालियां जाम हो जाती हैं और वर्षा के पानी का निकास नहीं हो पाता है। जब भी नालियों की सफाई होती है तो उसमें से निकलने वाले प्लास्टिक का अंबार लग जाता है। इतना ही नहीं, कूड़े के ढेर में से भोजन तलाशने वाले पशु कई बार प्लास्टिक भी निगल जाते हैं जिसके कारण उनकी जान खतरे में पड़ जाती है।
सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को यह देखना होगा कि प्लास्टिक कलेक्शन का प्रोजेक्ट कैसे यथाशीघ्र शुरू हो। बीते पांच वर्ष से यह प्रोजेक्ट चल रहा था और अमृतसर, नवांशहर, रूपनगर, ब¨ठडा, पटियाला, संगरूर व मोहाली में प्लास्टिक इकट्ठा करने का काम हो रहा था।
यदि इस प्रोजेक्ट के तहत वर्ष में लगभग पांच हजार टन प्लास्टिक इकट्ठा करके उसका दोबारा प्रयोग किया जा रहा था तो यह सवाल पैदा होना स्वाभाविक है कि अब वह प्लास्टिक कहां जा रहा है? जब तक सरकार पर्यावरण को उच्च प्राथमिकता में नहीं लेगी तब तक प्रदूषण पर रोक लगना मुश्किल है। सरकार को इच्छाशक्ति दिखाते हुए यह प्रोजेक्ट फिर से शुरू करवाने के साथ ही संबंधित विभागों की जवाबदेही भी तय करनी होगी जिससे इस तरह के प्रोजेक्ट बंद न हों।


दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
Gulabi Jagat

Gulabi Jagat

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