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रवीश कुमार हमारा दो घंटे का समय बर्बाद हुआ. चीफ जस्टिस एन वी रमना की यह टिप्पणी ज़हरीली हवा को लेकर होने वाली सारी सुनवाइयों का सार है. आज और सोमवार की नहीं, बल्कि हवा में फैल रहे ज़हर को लेकर पिछले पांच छह साल में सुप्रीम कोर्ट की जितनी भी सुनवाई हुई है उसका यही सार है. लोग मर गए मगर सरकारों ने तरह तरह के आंकड़ों और आरोप प्रत्यारोपों से सुनवाई को इतना उलझा दिया कि सब बर्बाद हो गया. देश की सर्वोच्च अदालत की टिप्पणी उन सरकारों के काम के बारे में है जिनके अरबों रुपये के विज्ञापनों के प्रोपेगैंडा के जाल में फंस कर रिश्तेदार, दोस्त, मोहल्ला औऱ देश आपस में भिड़ा हुआ है. आज सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान पांच पांच सरकारों के काम की पोल खुल गई. पूरी बहस के दौरान आपको उद्योग धंधों के द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण, कार बसों के द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण पर कम आवाज़ सुनाई देगी. इस तरह से सुप्रीम कोर्ट का दो घंटा बर्बाद हो गया. इसमें आप प्राइम टाइम का आधा घंटा भी जोड़ लीजिए और इसकी तैयारी में लगे आठ दस घंटे भी. वो सब बर्बाद होने जा रहा है. क्योंकि कल सरकार का कुछ और मसले पर विज्ञापन आ जाएगा कि ऐतिहासिक काम किया जा रहा है.