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- मोबाइल लोक की जय!
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वे मोबाइलगामी हुए तो उन्होंने उस वक्त भी सारी मोहमाया छोड़ मोबाइल हाथ में कसकर पकड़ रखा था वैसे ही भक्त ज्यों देह त्याग करने के बाद प्रभु को पकड़े रखता है। उनके मोबाइल चाहने वाले उनके घरवालों ने तब उनके हाथ से मोबाइल छुड़ाने की बहुत कोशिश की, पर उन्होंने मोबाइल न छोड़ा, तो न छोड़ा। उसे वे छोड़ भी कैसे सकते थे जिस मोबाइल के लिए उन्होंने बीवी सहर्ष छोड़ दी। जिस मोबाइल के लिए उन्होंने अपने रिश्तेदार सहर्ष त्याग दिए थे। जिस मोबाइल के लिए उन्होंने समाज तक मजे से त्याग दिया था। जिस मोबाइल के लिए उन्होंने अपने तक को त्याग दिया था। जब देखो तब, बस, मोबाइल पर लीन! उनके लिए उनके मां बाप, भाई बंधु, सब यह मोबाइल ही तो था। वे उठते बैठते उसे हरदम अपने सीने से लगाए रखते थे। एक पल भी उससे जुदा होकर जीना उन्हें ऐसा लगता था ज्यों प्रभु से उनका परम भक्त अलग होकर जी रहा हो। जब उनके हाथ से कोई उनका मोबाइल नहीं छीन पाया तो तय हुआ कि उन्हें उनके मोबाइल के साथ ही भेज दिया जाए। उन्हें लेने आए यमदूतों ने भी उनसे वह मोबाइल वहीं छोड़ऩे को आग्रह किया।
पर वे नहीं माने तो नहीं माने। उन्होंने उनसे दो टूक कहा, 'देखो बंधु! मैं अपना सबकुछ यहां छोड़ सकता हूं पर मोबाइल नहीं। मोबाइल में मेरी आत्मा का वास है बंधु!' ज्यों ही वे हाथ में अपना मोबाइल लिए प्रभु के दरबार में पास हाजिर हुए प्रभु ने उनके हाथ में अजीब सा यंत्र देख उनसे पूछा, 'और बंधु! ये हाथ में साथ क्या लाए हो? कहीं कोई असंदिग्ध वस्तु तो नहीं?' 'लाना क्या साहब ! बस, मोबाइल है।' 'इससे जीव क्या करता है?' 'जनाब ! ये पूछो कि क्या नहीं करता है। इस पर वह हर किस्म की गेम खेल सकता है। इसके माध्यम से ऑनलाइन खरीददारी से लेकर रंगदारी की जा सकती है। इसके माध्यम से वह मौसम का हाल जान सकता है। इसके माध्यम से वह अपना भूत, वर्तमान, भविष्य जान सकता है। इसके माध्यम से वह स्टॉक एक्सचेंज से लेकर हर एक्सचेंज ऑफर जान सकता है। इसमें आज के जीव की धडक़न है प्रभु!आज का जीव दिल के सहारे नहीं, इसके सहारे जी रहा है।
इसके बिना जीव का शरीर होते हुए भी उसका कोई अस्तित्व नहीं। आज का शादीशुदा अपने बीवी बच्चों के बिना रह सकता है, पर इसके बिना नहीं। आज के बच्चे अपने मां बाप के बिना रह सकते हैं, पर इसके बिना नहीं। आज की बीवी अपने पति के बिना रह सकती है, पर इसके बिना नहीं। आज का जीव जल के बिना रह सकता है, पर इसके बिना नहीं। आज का जीव धरती पर धरती के बिना रह सकता है, पर इसके बिना नहीं। आज का जीव वायु के बिना रह सकता है, पर इसके बिना नहीं। आज का जीव आटा चावल के बिना रह सकता है, पर इसके बिना नहीं। आज का जीव आकाश के बिना रह सकता है, पर इसके बिना नहीं। कुल मिलाकर प्रभु! आज के जीव के लिए यह सबसे अनिवार्य तत्व है। आपने जीव कल्याण के लिए उसे क्या क्या नहीं दिया प्रभु! ऐसे में हो सके तो बस, मोबाइल प्रेमियों के हित में उनके कल्याणार्थ एक और लोक का निर्माण कर दीजिए ताकि मृत्युलोक में इसके होते गालियां खाने के बाद जब तक वह पुन: मोबाइल देह प्राप्त नहीं कर लेता तब तक वहां मोबाइल संग रहते आपकी जय जयकार करते में आराम से व्यतीत कर सकें।' 'तथास्तु!' मोबाइल प्रेमी का मोबाइल के प्रति अद्भुत प्रेम देख प्रभु गदगद हुए और मोबाइल प्रेमियों के हितार्थ उन्होंने दस लोकों में एक और लोक एड करते उसका नाम रखा, मोबाइल लोक!
अशोक गौतम
By: divyahimachal
Rani Sahu
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