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G-7 Summit : अर्थव्यवस्था को उबारने में सहयोगी बन सकता है अमीर देशों के इस मंच पर भारत की भागीदारी
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | संयम श्रीवास्तव | इसी हफ्ते ब्रिटेन में होने जा रहे है G-7 समिट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) भी हिस्सा लें रहे हैं, हालांकि उनका पार्टिसिपेशन वर्चुअल ही रहेगा. कोरोना के चलते उन्होंने ब्रिटेन में हो रहे इस सम्मेलन में उपस्थित होने में असमर्थता जताई थी. फिर भी यह समिट पश्चिमी देशों (Western Countries) के साथ भारत के एक नए रिश्ते को आयाम दे सकता है. करीब एक दशक से भारत का अंतरराष्ट्रीय मंचों पर महत्व बढ़ गया है. दरअसल साल 2008 के बाद से ही पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था में गिरावट दर्ज की गई है. वहीं चीन (China) इस मामले में तेजी से आगे निकल रहा है. जो बाइडेन से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रप (Donald Trump) की नीति 'अमेरिका प्रथम' की नीति थी, जिसने अमेरिका (America) और पश्चिमी देशों के बीच दरार पैदा कर दी थी. लेकिन अब जो बाइडेन इस दरार को भरने के लिए एक विदेशी दौरे पर निकल रहे हैं. इस दौरे में वह सभी यूरोपीय देशों के साथ-साथ दुनिया भर के देशों के साथ अमेरिका के रिश्ते मजबूत करेंगे. इसके साथ ही कोरोना महामारी से उभरी नई चुनौतियों का सामना करने के लिए भी अमेरिका भारत, ब्रिटेन और G-7 देशों के साथ मिलकर काम करने की भी बात कर रहा है. भारत के लिए यह एक बेहतरीन मौका है कि वह यूरोपीय देशों के साथ अपने संबंधों को एक नया विस्तार दे सके.