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Written by जनसत्ता: पूर्वोत्तर राज्यों में सीमा विवाद अक्सर उग्र रूप ले लिया करता है। सात बहनों के नाम से जाने जाने वाले इन राज्यों की सीमाएं असम से जुड़ी हुई हैं। इसलिए इन विवादों का सीधा और सबसे अधिक असर असम पर पड़ता है। उसका अपने लगभग हर पड़ोसी राज्य के साथ विवाद है। पिछले साल असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद इस कदर तल्ख हो गया कि भारी हिंसा हुई। इसी तरह अरुणाचल, मणिपुर आदि के साथ भी तल्खियां उभर आती हैं। दरअसल, असम को काट कर जब इन राज्यों का गठन किया गया, तो उनकी सीमाओं का निर्धारण करते समय बहुत वैज्ञानिक तरीका नहीं अपनाया गया, जिसके चलते ये राज्य अलग-अलग भूभागों पर अपना अधिकार जताते रहे हैं।
मेघालय के साथ भी असम का सीमा विवाद करीब पचास सालों से बना हुआ है। कुल बारह इलाकों में विवाद था। उनमें से छह इलाकों का सीमा विवाद अब निपटा लिया गया है। केंद्रीय गृहमंत्री की उपस्थिति में मेघालय और असम के मुख्यमंत्रियों ने छह इलाकों के सीमा विवाद पर समझौता किया। निस्संदेह यह एक ऐतिहासिक पहल है और यह असम के साथ दूसरे राज्यों के सीमा विवाद सुलझाने में नजीर बन सकती है।
हालांकि जब भी नए राज्यों का गठन होता है, तो उनका सीमा निर्धारण करते समय मुश्किलें आती ही हैं। कई राज्यों में आज भी सीमा विवाद बने हुए हैं। मगर पूर्वोत्तर राज्यों में असम के साथ सीमा विवाद उभरने की वजहें अलग हैं। दरअसल, पूर्वोत्तर राज्यों में अनेक जनजातियां हैं और सबकी अपनी संस्कृति है, तो उनकी कुछ ऐतिहासिक पहचानें भी हैं, जिनसे उनका गहरा लगाव है।
इसलिए अक्सर जनजातीय अस्मिताएं अपनी पहचान और ऐतिहासिकता को लेकर विरोध पर उतर आती हैं। असम और मेघालय के बीच भी इन्हीं वजहों से अक्सर तनाव उभर आता था। अभी दोनों राज्यों की साझा सीमा के छह स्थानों के छत्तीस गावों के भूखंड से जुड़ा विवाद सुलझा लिया गया है। दोनों राज्यों की जमीन का बंटवारा हो गया है। इसके लिए एक समिति गठित की गई थी, जिसने ग्रामीणों से बातचीत के आधार पर उनकी पहचान, संस्कृति और ऐतिहासिकता आदि का ध्यान रखते हुए नए सिरे से सीमा निर्धारण किया। उस पर दोनों राज्यों की सहमति बन गई।
हालांकि इन छह स्थानों में विवाद अधिक गहरे नहीं थे, इसलिए इनमें सीमा निर्धारण की पहल पहले की गई। बाकी छह स्थानों में विवाद अधिक बताया जाता है, वहां बाद में सुलह की प्रक्रिया शुरू होगी। जाहिर है, ताजा समझौते के सूत्र उसमें मददगार साबित होंगे।
इस समझौते से स्वाभाविक ही भरोसा बना है कि अब दोनों राज्यों के बीच विवाद की स्थितियां नहीं पैदा होंगी। मगर इसका अंतिम रूप से दावा नहीं किया जा सकता। मिजोरम में भी इसी तरह गृहमंत्री की अध्यक्षता में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में सीमा विवाद सुलझाने की पहल हुई थी। मगर उसके कुछ महीने बाद ही वहां सीमा विवाद इस कदर तीखा हो गया कि दोनों राज्यों की पुलिस आपस में ही भिड़ गर्इं और छह पुलिसकर्मी मारे गए थे।
दोनों राज्यों में एक ही पार्टी की सरकार होने के बावजूद उनके मुख्यमंत्री एक-दूसरे पर मुकदमा कर बैठे। इसलिए मेघालय में वैसी स्थिति न पैदा हो, यह सुनिश्चित होना चाहिए। इसके लिए दोनों राज्यों की सीमाओं पर बसे गांवों के लोगों के बीच जनजातीय पहचान और संस्कृति के प्रति सम्मान का भाव बनाए रखना होगा। इसके लिए दोनों राज्यों की सरकारों को सकारात्मक माहौल बनाना पड़ेगा।