- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- किसानों के हक की लड़ाई,...
रवीश कुमार। करनाल में किसानों के प्रदर्शन ने एक बार फिर से उजागर किया है कि प्रदर्शन करने का अधिकार भी लड़ कर लिया जाता है. करनाल में किसानों ने सचिवालय का घेराव कर सरकार की बनाई लक्ष्मण रेखा की जगह अपनी लक्ष्मण रेखा खींच दी है कि वे कहां तक जा सकते हैं. दिल्ली की सीमाओं पर 9 महीने से रोके गए किसानों ने करनाल शहर के भीतर लघु सचिवाल के पास अपना नया मोर्चा बना लिया है. हज़ारों की संख्या में किसान यहां रात भर मौजूद रहे. खुले आसमान के नीचे रात बिताई. यहीं खाना खाया और सो गए. संयुक्त किसान मोर्चा ने ट्वीट किया कि किसानों ने फुटपाथ पर रात गुज़ारी है. सुबह तक यहां टेंट लगने शुरू हो गए. कोरोना के काल में सेवा करने वाले गुरुद्वारे से श्रद्धालु यहां सेवा देने आ चुके हैं. इसका मतलब यह नहीं कि गर्मी और उमस से भी किसानों को राहत मिल गई है. हमारे सहयोगी शरद ने बताया कि सभी धर्मों के लोग यहां पर भंडारा चला रहे हैं. मुफ्त में मेडिकल सेवा देने वाले डाक्टर भी किसानों की मदद के लिए आगे आए हैं. बारिश सर्दी गर्मी और लाठी चार्ज की आशंका में किसानों ने अपने प्रदर्शन को लेकर कितने इम्तिहान दिए लेकिन अब भी ये किसान सरकार को कुछ लोगों द्वारा भरमाए हुए लगते हैं. गर्मी और उमस के बीच किसानों ने आज का दिन भी काटा. किसानों की यह गृहस्थी बता रही है कि उनका इरादा भी शांति बनाए रखने में है लेकिन अपनी मांग से कोई समझौता नहीं करेंगे.
करनाल शहर के भीतर हज़ारों किसानों के आने के बाद भी शहर बंद नहीं हुआ है. किसानों ने अपना धरना इस तरह से लगाया है कि शहर भी चलता रहे. जिस लघु सचिवालय का घेराव किया गया है उसके भीतर में अधिकारियों के आने जाने का रास्ता बंद नहीं किया गया है. अधिकारी आराम से आ-जा रहे हैं.