सम्पादकीय

अचानक सिरदर्द के बाद बेहोशी मतलब 'सेरेब्रल एन्यूरिज्म' का खतरा, हर हाल में कराएं ब्रेन स्क्रीनिंग

Rani Sahu
15 May 2022 9:03 AM GMT
अचानक सिरदर्द के बाद बेहोशी मतलब सेरेब्रल एन्यूरिज्म का खतरा, हर हाल में कराएं ब्रेन स्क्रीनिंग
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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ‘सेरेब्रल एन्यूरिज्म’ (Cerebral Aneurysm) से पीड़ित हो सकते हैं

उन्नति गोसाईं |

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 'सेरेब्रल एन्यूरिज्म' (Cerebral Aneurysm) से पीड़ित हो सकते हैं और कथित तौर पर कुछ महीने पहले उनका इलाज हुआ था. हालांकि, इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई, लेकिन पिछले कुछ समय से उनकी हेल्थ को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के राष्ट्रपति (Xi Jinping) को 2021 के आखिर में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हालांकि, उन्होंने सर्जरी नहीं कराने का फैसला किया. साथ ही, पारंपरिक चीनी दवाओं से इलाज कराना पसंद किया, जिससे रक्त वाहिकाएं नरम हो जाएंगी और एन्यूरिज्म सिकुड़ जाएगा.
इससे पहले 'गेम ऑफ थ्रोन्स' की अभिनेत्री एमिलिया क्लार्क (Emilia Clarke) ने अपनी हालत के बारे में जानकारी दी थी और उस स्थिति को जानलेवा बताया था. दरअसल, 2019 में द न्यू यॉर्कर को दिए एक इंटरव्यू में एमिलिया क्लार्क ने बताया था कि उन्हें कई सर्जरी करानी पड़ी, जिसके चलते रिकवरी में भी काफी ज्यादा वक्त लग गया.
सेरेब्रल एन्यूरिज्म क्या है?
मुंबई स्थित वॉकहार्ट अस्पताल में कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. प्रशांत मखीजा ने समझाते हुए कहा कि दिमाग में रक्त वाहिका की दीवार के कमजोर हिस्सा में आने वाली सूजन को सेरेब्रल एन्यूरिज्म कहा जाता है. इससे रक्त वाहिका की दीवार फटने का खतरा होता है, जिसकी वजह से इंटरनल ब्लीडिंग होने लगेगी. ऐसे में यह ब्लड दिमाग में फैल सकता है, जिससे मरीज का जीवन खतरे में पड़ सकता है.'
असहनीय सिरदर्द ही सबसे आम लक्षण
डॉ. मखीजा ने बताया कि इस बीमारी के कई लक्षण हैं. इनमें अचानक होने वाला सिरदर्द, जिसे 'थंडर-क्लैप' सिरदर्द कहा जाता है, सबसे आम लक्षण है. उन्होंने बताया, 'अगर अप्रत्याशित सिरदर्द के बाद मरीज बेहोश हो जाता है तो खतरा बढ़ सकता है. इस तरह के मामले में अगर अचानक सिरदर्द के बाद मरीज अपना होश खो देता है तो तुरंत ब्रेन स्क्रीनिंग करानी चाहिए.' उन्होंने कहा कि इस तरह के दौरों की वजह से सेरेब्रल एन्यूरिज्म का खतरा बढ़ सकता है. मखीजा ने बताया, 'इस तरह की टूट-फूट आनुवंशिक भी हो सकती है. यदि किसी मरीज को आनुवंशिक कारणों की वजह से यह बीमारी होती है तो इसका पता लगाना बेहद मुश्किल हो जाता है. इस तरह के मामलों में आमतौर पर किसी भी तरह के लक्षण नहीं होते हैं.'
इसकी वजह से क्या खतरा हो सकता है?
डॉ. मखीजा ने बताया, 'ब्रेन एन्यूरिज्म में टूट-फूट से जान का खतरा बढ़ सकता है और मरीज की मौत भी हो सकती है. दरअसल, टूट-फूट के दौरान रक्त वाहिकाओं में ऐंठन होने लगती है, जिसकी वजह से स्ट्रोक भी आ सकता है.' उन्होंने यह भी कहा कि एन्यूरिज्म दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है और दिमाग पर प्रेशर भी बढ़ा सकता है. इस तरह के मामलों में इलाज हर मरीज की जरूरत, जगह और एन्यूरिज्म के साइज के आधार पर निर्भर होता है.
उन्होंने आगे कहा, 'चिकित्सा शास्त्र के मुताबिक, अगर गुब्बारे जैसी संरचना का आकार 7 मिलीमीटर से ज्यादा है तो टूट-फूट का खतरा भी बढ़ जाता है. इस तरह के मामलों में इलाज के दो तरीके हैं. पहला विकल्प ओपन सर्जरी का है, जिसमें सिर की हड्डी को काटना पड़ता है, जिससे ब्रेन के टिश्यू सामने आ जाते हैं. इस वजह से ओपन ब्रेन सर्जरी भी कहा जाता है. वहीं, दूसरा विकल्प माइक्रोसर्जिकल क्लिपिंग का है. यह एक ऐसी तकनीक है, जिसमें मेटल क्लिप का इस्तेमाल करके एन्यूरिज्म को मिलने वाले ब्लड की सप्लाई रोकी जाती है.
डॉ. मखीजा ने यह भी कहा कि इस तरह के मामलों में इलाज के विकल्प एन्यूरिज्म के आकार, जगह के अलावा टूट-फूट हुई है या नहीं और मरीज की जरूरत के आधार पर निर्भर होते हैं. उन्होंने कहा कि ऐंठन के मामलों, दिमाग पर पड़ रहे दबाव को नियंत्रित करने और इलेक्ट्रोलाइट इमबैलेंस की स्थिति में मरीजों को दवाएं भी दी जाती हैं. मखीजा ने अंत बताया, 'जिन मरीजों में बीमारी का कोई भी लक्षण नहीं है, लेकिन उन्हें संयोग से हालात का पता लग जाता है, उन मरीजों में देखा जाता है कि क्या समय-समय पर संरचनाओं का आकार बढ़ता-घटता है.
Rani Sahu

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