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केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की अवधि इस वर्ष सितंबर तक बढ़ाने का सराहनीय निर्णय किया है
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की अवधि इस वर्ष सितंबर तक बढ़ाने का सराहनीय निर्णय किया है. देश की वंचित आबादी को कोरोना महामारी के असर से राहत देने के लिए इसकी शुरुआत मार्च, 2020 में की गयी थी. इसके तहत खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिलनेवाले अनाज के अलावा पांच किलोग्राम राशन मुफ्त दिया जाता है. इससे लगभग 80 करोड़ लोगों को लाभ मिल रहा है. योजना का पांचवा चरण इस माह खत्म होनेवाला था.
इस योजना पर अब तक करीब 2.60 लाख करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. अप्रैल से सितंबर के बीच इस योजना पर 80 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. अब तक अन्न योजना के लिए 759 लाख मिट्रिक टन अनाज का मुफ्त वितरण हुआ है. आगामी छह माह में 244 लाख मिट्रिक टन अनाज दिया जायेगा.
योजना के विस्तार का निर्णय गरीब व वंचित समुदायों की चिंता और उनके प्रति संवेदनशीलता के कारण लिया गया है. वैसे तो समाज और अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र पर महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगी पाबंदियों का नकारात्मक असर पड़ा है, लेकिन इससे सबसे अधिक प्रभावित गरीब तबका रहा है. जब मार्च, 2020 में इस पहल की शुरुआत हुई थी, तब इसके साथ अन्य राहतों का भी प्रावधान किया गया था.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज में मुफ्त राशन के साथ 20 करोड़ जन-धन खाताधारक महिलाओं को पांच सौ रुपये हर महीने देने, ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) में मजदूरी में बढ़ोतरी करने, तीन करोड़ गरीब बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांग जनों को वित्तीय सहायता देने, किसान सम्मान राशि निर्गत करने तथा स्वास्थ्यकर्मियों का बीमा आवरण 50 लाख रुपये करने का निर्णय भी हुआ था.
इसके अलावा भवन निर्माण के काम में लगे श्रमिकों को राहत देने के लिए इन कामगारों के कल्याण कोष का उपयोग करने का निर्देश भी राज्य सरकारों को दिया गया था. उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में सरकार ने उद्योग जगत, विशेषकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों, के लिए व्यापक पैकेज जारी किया था. ऐसे उद्यमों पर बड़ी संख्या में कामगार और उनके परिवार निर्भर करते हैं.
इन उपायों के कारण महामारी के भयावह असर से बड़ी आबादी को बचा पाना संभव हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दो वर्षों में महामारी को काबू पाने तथा वंचित आबादी को राहत देने की सरकार की प्राथमिकता और प्रतिबद्धता को बार-बार रेखांकित किया है.
कोई भी प्रवासी कामगार या लाभार्थी एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड कार्ड पहल के तहत देश के करीब पांच लाख राशन दुकानों से उचित मूल्य पर राशन और मुफ्त अनाज हासिल कर सकता है. अब तक 61 करोड़ से अधिक लाभार्थी अपने घरों से दूर इस योजना का लाभ उठा रहे हैं. वर्ष 2022-23 के बजट में सरकार ने कुल आवंटन का लगभग 5.2 फीसदी हिस्सा खाद्य अनुदान कार्यक्रम के लिए निर्दिष्ट किया है. महंगाई और मंदी के मौजूदा माहौल में ऐसी पहलें संजीवनी सरीखी हैं.
प्रभात खबर के सौजन्य से सम्पादकीय
Gulabi Jagat
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