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- कोरोना में नैतिकता
कोरोना से जुड़े नैतिक सवालों की सूची बढ़ती चली जा रही है। दुनिया में कोरोना टीके के बूस्टर डोज को लेकर बहस तेज हो गई है। कुछ देश दुनिया में ऐसे हैं, जहां टीका ठीक से पहुंचा भी नहीं, लेकिन कुछ ऐसे विकसित देश भी हैं, जिन्होंने अपने नागरिकों को बूस्टर डोज देने की तैयारी पूरी कर ली है। जहां विकसित देशों की नैतिकता पर प्रश्न उठ रहे हैं, वहीं टीकों की तीसरी डोज या बूस्टर डोज की उपयोगिता पर भी सवाल उठ रहे हैं। संकेत हैं कि वैक्सीन-प्रेरित प्रतिरक्षा कम हो रही है। नीति-निर्माता भी इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्या बूस्टर शॉट्स मदद कर सकते हैं? क्या बिना टीकाकरण वाले लोगों को टीका लगाना सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए? कुल मिलाकर, बूस्टर डोज की कारगरता को लेकर वैज्ञानिक भी सुनिश्चित नहीं हैं, लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में बूस्टर डोज की तैयारी आगे बढ़ चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक वरिष्ठ सलाहकार, चिकित्सक-महामारी विज्ञानी ब्रूस आयलवर्ड कहते हैं, 'हम यह नहीं समझते हैं कि बूस्टर की आवश्यकता किसे होगी?'
क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान