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- मतदान में अनुत्साह
Written by जनसत्ता: हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। लोकतंत्र की आन-बान और शान हर चुनाव में सत प्रतिशत मतदाताओं का चुनाव में भाग लेने से बढ़ेगी। हर चुनाव में मतदाताओं को अपने कीमती मत का जरूर इस्तेमाल करने की सरकारों, चुनाव आयोग, प्रशासन, समाजसेवी संस्थाओं, मीडिया और बुद्धिजीवियों द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं।
मगर फिर भी बहुत से चुनावों में मतदान का आंकड़ा संतोषजनक नहीं होता। पंजाब में भी विधानसभा चुनाव था। मतदाता जागरूकता अभियान चलाए गए थे, लेकिन इसके बावजूद यहां मतदान लगभग सत्तर प्रतिशत ही हुआ। पंजाब में ही नहीं, उत्तर प्रदेश में भी कोई खास नहीं रहा। यह भी बताया जा रहा है कि पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इस बार मतदान प्रतिशत कुछ कम ही रहा।
सवाल है कि विधानसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत क्यों कम रहा? क्यों नहीं मतदान प्रतिशत नब्बे प्रतिशत के पार हो पाता? क्या कारण है कि लोग जागरूकता अभियान चलाए जाने के बाद भी घरों से मतदान के लिए बाहर नहीं निकले? चुनाव आयोग को इस पर मंथन जरूर करना चाहिए। कहीं चुनाव प्रणाली में कोई कमी तो नहीं? जनसंख्या और नए रिहायशी इलाकों में बढ़ोतरी के साथ मतदान बूथ न बढ़ाने से वहां भीड़ देख कर कुछ मतदाताओं का मतदान न करने का मन बनाना तो नहीं? या फिर मतदाता सूची में गलतियां वजह तो नहीं? चुनाव में बार-बार एक ही उम्मीदवार को चुनाव लड़ना कारण तो नहीं? या फिर राजनेताओं के झूठे वादों से आमजन का विश्वास मतदान से उठना तो नहीं? चुनाव आयोग को चुनाव प्रणाली की उन कमियों को जरूर ढूंढ़ना चाहिए, जो चुनाव में मतदान के आंकड़े बढ़ने से रोक रही हैं।
पिछले एक साल से देखा जा रहा है कि महंगाई पूरी दुनिया में बढ़ती जा रही है। इसके कई कारण हैं। मुख्य तो यह है कि महामारी के चलते दुनिया भर में होने वाली आपूर्ति में रुकावट आई है। बंदी के चलते आने-जाने पर रोक लगाई गई। इसके साथ र्इंधन के दाम भी बढ़े हैं। रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते महंगाई बढ़ने की आशंका है। रूस दुनिया में तेल आपूर्ति करने वाला वाला दूसरा बड़ा देश है। उसका जो तेल यूरोप की तरफ जाता है, वह यूक्रेन से होकर गुजरता है। जब तक दोनों का झगड़ा चलेगा, तेल के दाम भी बढ़ेंगे और इसके साथ खाद्य पदार्थों के दाम भी बढ़ेंगे। भारत में जितना भी खाने का तेल इस्तेमाल होता है उसका साठ प्रतिशत बाहर से आता है। जो हम तेल आयात करते हैं उसका अस्सी प्रतिशत यूक्रेन से आता है।
खाद्य असुरक्षा और भूख की समस्या इस वजह से भी बढ़ी कि सिर्फ खाद्य पदार्थों के दाम नहीं बढ़ रहे, घरेलू गैस के दाम भी बढ़ रहे हैं। उस पर सब्सिडी घट गई है। भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में अभी नौ करोड़ टन से ज्यादा अनाज पड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना जो मार्च में खत्म होने वाली है, उसे चालू रखा जाना चाहिए। जब तक महामारी है, इस योजना में उन्हें भी जोड़ा जाए, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। दूसरा, सरकार को चाहिए कि दाल और तेल भी राशन की दुकानों के जरिए उपलब्ध कराए। इससे लोगों को काफी राहत मिलेगी।