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साइबर सुरक्षा पुख्ता रखने की जरूरत एक बार फिर साबित हुई है
साइबर सुरक्षा पुख्ता रखने की जरूरत एक बार फिर साबित हुई है। अंतरराष्ट्रीय सीमा से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक चीन का जिस तरह भारत विरोधी रवैया कायम है, उसे देखते हुए यह सूचना कतई नहीं चौंकाती कि चीन लगातार भारतीय पावर ग्रिड सिस्टम में घुसपैठ की साजिश में लगा है। वैसे ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले जनवरी और फरवरी में भी चीनी हैकर्स की ओर से घुसपैठ की कोशिश हुई थी। खैर, यह अच्छी बात है कि हमने 2018 से ही अपनी साइबर सुरक्षा को काफी मजबूत कर लिया है और चीन के मनसूबे पूरे नहीं हो पा रहे हैं। भारत में चीन के रवैये को लेकर रोष है, चीन की अलोकप्रियता लगातार बढ़ रही है, लेकिन उसे इसकी कतई परवाह नहीं है। उसे तो हर हाल में भारत पर अपनी कूटनीतिक, आर्थिक, सामरिक और तकनीकी बढ़त के प्रचार का चस्का लगा हुआ है। वह खुद को नकारात्मक हरकतों से भी श्रेष्ठ सिद्ध करना चाहता है, ताकि ज्यादा से ज्यादा देशों को भारत से दूर और अपनी ओर खींच सके। ऐसे में, यदि भारत की साइबर सुरक्षा अभेद्य या चाक-चौबंद साबित हुई है, तो वास्तव में यही साइबर सुरक्षा श्रेष्ठता चीनी हैकर्स को मिला माकूल जवाब भी है।
किसी भी विकासशील देश की पावर ग्रिड के साथ खिलवाड़ या उसे ठप्प करने की साजिश या उसमें सेंध लगाकर किसी भी प्रकार के हमले या मौके का इंतजार करने की रणनीति असभ्यता के साथ-साथ शत्रुता नहीं, तो और क्या है? गुरुवार को चीनी हैकर यदि लद्दाख के आसपास के इलाकों में पावर ग्रिड के इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम को हैक करने की कोशिश कर रहे थे, तो क्या चीन सरकार को इसका पता नहीं था? विडंबना देखिए, चीनी सरकार की जुबान बोलने वाले ग्लोबल टाइम्स ने ऐसी किसी साजिश के सुबूत भी मांग लिए हैं और कहा है कि ऐसी किसी साजिश का लापरवाही बरतते हुए किसी भी प्रकार से सरकार से संबंध नहीं जोड़ना चाहिए। वैसे यह अच्छी बात है कि चीन सरकार तक बात पहुंच गई है और उसे भारत की किसी भी प्रकार की सुरक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। ध्यान रहे, पाकिस्तान भी आतंकियों की हर साजिश या हमले के बाद भारत से सुबूत मांगता था, लेकिन उसने सुधार की कोशिशें न के बराबर की हैं, तो उसका खुद का जाल उसे भारी पड़ रहा है। ऐसा कोई और देश न करे, तो बेहतर है। अब चीन को जिम्मेदार देश की तरह व्यवहार करते हुए भारत के प्रति ओछी मानसिकता या शत्रुता से बचना चाहिए।
बहरहाल, भारत को पूरी गहराई से सोचना चाहिए और सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध करने चाहिए। अगर चीन पावर ग्रिड में घुसपैठ नहीं कर पा रहा है, तो खुशी से अभिभूत होने की जरूरत नहीं है। साइबर दुनिया में रोज नई चाबियां बनती हैं, तो ताले भी बदलते रहने चाहिए। अपने ताले को दुरुस्त रखने के लिए भारत को हरसंभव प्रयास करने चाहिए और साथ ही, दुनिया के विशेषज्ञ वैधानिक हैकर्स को भी साथ रखना चाहिए, ताकि वे दूर से देखते हुए भी हमारी कमियां बता सकें। अमेरिका स्थित जो साइबर सिक्योरिटी ग्रुप चीनी हैकर्स पर नजर रख रहा है, उसकी थोड़ी मदद लेने में कोई हर्ज नहीं है। शोधकर्ताओं के इस समूह ने एक नक्शा भी जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि चीनी हैकरों के निशाने पर कौन-कौन से इलाके हैं। साइबर सुरक्षा से जुड़ी ऐसी सूचनाएं जुटाते रहना और उन्हें मुहैया कराने वाले तमाम विशेषज्ञों को साथ लेकर चलना समय की मांग है।
लाइव हिंदुस्तान के सौजन्य से सम्पादकीय
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Gulabi Jagat
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