- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- एकदा: जागरण सतर्कता
Written by जनसत्ता: कथा पुरानी है। एक राजकुमार गुरुकुल में युद्ध कौशल सीखने गया था। गुरु ने कहा, तुम अभी खाओ, पीओ, सोओ। व्यायाम वगैरह करते रहो। जहां चाहे, घूमो-फिरो, जब प्रशिक्षण का समय आएगा, तब तुम्हें बता दिया जाएगा। शिष्य निश्चिंत हो गया। एक दिन बीता होगा कि जब वह बाग में घूम रहा था, पीछे से आकर गुरु ने सिर पर डंडा मार दिया। शिष्य भौंचक। गुरु ने कहा, अब तुम्हें कभी भी सिर पर डंडा पड़ सकता है। सावधान रहना सीखो, नहीं तो डंडे पड़ते रहेंगे।
उसके बाद तो गुरु मौका देख कर जब मर्जी उसके सिर पर डंडा दे मारते। अब शिष्य सावधान रहने लगा। गुरु जैसे ही नजदीक आते, शिष्य सजग हो जाता। डंडा सिर पर पड़ने नहीं देता। कुछ दिनों के अभ्यास के बाद तो वह तभी सतर्क हो जाता जब गुरु उसके सिर पर डंडा मारने के बारे में सोचते।
अब गुरु ने अपनी रणनीति बदल दी। शिष्य जैसे ही गहरी नींद में होता, वे उसके सिर पर डंडा दे मारते।
अब शिष्य को नींद में भी गुरु के डंडे का खौफ सताने लगा। वह सतर्क रहता कि गुरु का डंडा सिर पर न पड़ जाए। इस तरह अभ्यास से उसने अपने को कुछ इस तरह साध लिया कि चाहे सो रहा हो या जाग रहा हो, गुरु उसके सिर पर डंडा मारने के बारे में सोचते, वैसे ही उसे आभास हो जाता। वह सतर्क होकर उठ बैठता।
6 महीने अपनी प्रिय राशि में विराजमान रहेंगे शनि देव, इन 3 राशि वालों को धनलाभ और भाग्योदय के प्रबल योग
तब गुरु ने कहा, अब तुम्हारी युद्ध कौशल की शिक्षा पूरी हुई। शिष्य हैरान। तब गुरु ने कहा, जो योद्धा दुश्मन के दिमाग को पढ़ना सीख जाए, उसे युद्ध में हराना संभव नहीं। अब तुम सोते हुए भी जागना सीख गए हो।
तब गुरु ने कहा, अब तुम्हारी युद्ध कौशल की शिक्षा पूरी हुई। शिष्य हैरान। तब गुरु ने कहा, जो योद्धा दुश्मन के दिमाग को पढ़ना सीख जाए, उसे युद्ध में हराना संभव नहीं। अब तुम सोते हुए भी जागना सीख गए हो।