सम्पादकीय

दम दंभ है, दुम परम सत्य

Rani Sahu
14 Dec 2021 7:02 PM GMT
दम दंभ है, दुम परम सत्य
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हे दम के दंभ में भटकते जीवो! अभी भी तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ा है

हे दम के दंभ में भटकते जीवो! अभी भी तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ा है। अपने कड़वे अनुभव के आधार पर कह रहा हूं कि वक्त रहते दम छोड़ दुम की शरण में चले जाओ। क्योंकि इस संसार में दुम ही परम सत्य है और दम मात्र दंभ है। दमदार के पीछे सभी भूखे गीदड़ की तरह पड़ते हैं जबकि दुमदार की सभी पूजा करते हैं। उसका कोई दुश्मन नहीं होता। सब सगे होते हैं। दुम वाले की दुम की सब पूरे स्नेह से मालिश करते हैं। उन्हें उसकी दुम की मालिश करते हुए अपनी खुजली लगी चमड़ी की भी तब परवाह नहीं होती। अपनी फटी चमड़ी को खुश्की हो जाए तो हो जाए, पर वे दुम वालों की दुम को आठ पहर चौबीस घंटे चकाचक रखते हैं। कोई झूठ माने तो मानता रहे, पर कड़वा सच यही है कि दमदार इस धरा का अभिशाप होते हैं, भार होते हैं, तो दुमदार वरदान। आज जिसके पास दुम है उसे किसी भी तरह के दम की कतई जरूरत नहीं। दम उसके लिए बेकार होता है। दुमवालों की दुम ही उनका सबसे बड़ी दम होती है। दुमवालों के आगे न चाहते हुए भी भगवान तक नतमस्तक होते रहे हैं। दुम के आगे ब्रह्मास्त्र तक कमजोर पड़ जाते हैं। दुम अहिंसात्मक ढंग से हर लक्ष्य को हथियाने का सिद्ध मंत्र है। मैं भी कल तक दमदार था। दुमों को कोसने वाला, दुमवालों को कोसने वाला। कल तक इस संसार में मेरी दृष्टि में कोई हेय था तो बस दुमदार! पर अब मेरा दम पूरी तरह निकल चुका है। मेरी आंखों से दम का जादुई पर्दा उठ चुका है। आज सफल होने के लिए दम जरूरी नहीं, दुम जरूरी होती है। पर ये दुम अब इस उम्र में लाऊं कहां से? आखिर थकते हारते, पूरी ईमानदारी से अपने सिर पर खुद जूते मारते कल अपने आराध्य की शरण में जा पहुंचा।

तब मेरे आराध्य मुझे देख मुस्कुराए तो मैं उन्हें देख रोया। रोते राते मैंने उनसे कहा, 'हे दुमानाथ! हंस लो। जितना मेरे दम के चूर होने पर हंस सकते हो। पर ये दम मेरा नहीं आपका निकला है।' 'वत्स! मैंने तो उसी दिन तुमसे कहा था जिस दिन तुमने मुझसे दुम के बदले दम मांगा था कि ये संसार दम का नहीं, दुम का है। दम वाले इतिहास नहीं रचते, दुम वाले अब इतिहास रचने लगे हैं। गया वह जमाना जब दम की पूजा होती थी। अब तो कदम-कदम पर दुम की ही पूजा होती है।' 'तो?' 'तो क्या! अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है। सुबह का दम वाला शाम को जो दुम लगाए घर आ जाए तो उसे दमवाला नहीं कहते वत्स! अब शेष जीवन में सफल होना चाहते हो तो अपने बेकार के इस दम का दम किनारे फेंक अपने दुम लगा लो। काश! उस वक्त तुमने दम और दुम के बीच दुम का चुनाव किया होता तो आज इस तरह कदम-कदम पर घिघियाते हुए फजीहत न झेलनी पड़ती।' प्रभु ने कहा और मेरे निकले दम का पानी-पानी होते देखते रहे। 'तो प्रभु अब?' 'तो अब क्या चाहते हो?' 'शेष जीवन जमकर आनंद करना चाहता हूं। दम के बूते दीवारों से सिर टकरा-टकरा कर दिमाग को बहुत लहूलुहान कर लिया।' 'तो ये लो दुम और मजे करो।' मेरे आराध्य ने हवा में हाथ लहराया और मेरी ओर वरदान स्वरूप दुम फेंकी। मैंने आंखें मूंद वह दुम उठाई और अपने लगा ली। अपन ने अब जबसे अपने दुम लगाई है, तबसे मत पूछो, कितने मजे कर रहा हूं। इतने तो स्वर्गवासियों के भी क्या ही होते होंगे? वैसे भी दुमवालों के से लबालब भरे हमाम में इक्का-दुक्का दमवालों का क्या काम!
अशोक गौतम


Rani Sahu

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