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- दम दंभ है, दुम परम...
हे दम के दंभ में भटकते जीवो! अभी भी तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ा है। अपने कड़वे अनुभव के आधार पर कह रहा हूं कि वक्त रहते दम छोड़ दुम की शरण में चले जाओ। क्योंकि इस संसार में दुम ही परम सत्य है और दम मात्र दंभ है। दमदार के पीछे सभी भूखे गीदड़ की तरह पड़ते हैं जबकि दुमदार की सभी पूजा करते हैं। उसका कोई दुश्मन नहीं होता। सब सगे होते हैं। दुम वाले की दुम की सब पूरे स्नेह से मालिश करते हैं। उन्हें उसकी दुम की मालिश करते हुए अपनी खुजली लगी चमड़ी की भी तब परवाह नहीं होती। अपनी फटी चमड़ी को खुश्की हो जाए तो हो जाए, पर वे दुम वालों की दुम को आठ पहर चौबीस घंटे चकाचक रखते हैं। कोई झूठ माने तो मानता रहे, पर कड़वा सच यही है कि दमदार इस धरा का अभिशाप होते हैं, भार होते हैं, तो दुमदार वरदान। आज जिसके पास दुम है उसे किसी भी तरह के दम की कतई जरूरत नहीं। दम उसके लिए बेकार होता है। दुमवालों की दुम ही उनका सबसे बड़ी दम होती है। दुमवालों के आगे न चाहते हुए भी भगवान तक नतमस्तक होते रहे हैं। दुम के आगे ब्रह्मास्त्र तक कमजोर पड़ जाते हैं। दुम अहिंसात्मक ढंग से हर लक्ष्य को हथियाने का सिद्ध मंत्र है। मैं भी कल तक दमदार था। दुमों को कोसने वाला, दुमवालों को कोसने वाला। कल तक इस संसार में मेरी दृष्टि में कोई हेय था तो बस दुमदार! पर अब मेरा दम पूरी तरह निकल चुका है। मेरी आंखों से दम का जादुई पर्दा उठ चुका है। आज सफल होने के लिए दम जरूरी नहीं, दुम जरूरी होती है। पर ये दुम अब इस उम्र में लाऊं कहां से? आखिर थकते हारते, पूरी ईमानदारी से अपने सिर पर खुद जूते मारते कल अपने आराध्य की शरण में जा पहुंचा।