सम्पादकीय

डबल इंजन एम्स

Gulabi
7 Dec 2021 4:20 AM GMT
डबल इंजन एम्स
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इस समागम की वाणी में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का आधिपत्य सुना गया
दिव्याहिमाचल. बिलासपुर में 'डबल इंजन का प्रदर्शन अपनी पराकाष्ठा बता रहा था, तो स्वाभाविक रूप से इस समागम की वाणी में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का आधिपत्य सुना गया। इशारों की बात कहां घर करेगी या नसीहतों की मचान पर कौन किसे सुना रहा था, लेकिन गोपनीयता से नड्डा ने यह बता दिया कि पार्टी हर लिहाज से अपने मंसूबों को बिखरने नहीं देगी। यह दीगर है कि चार उपचुनावों की पारी में हिमाचल भाजपा की सत्ता प्रश्रांकित हुई है और यह भी कि इसके प्रायश्चित के लिए अभी गर्दनों पर दबाव नहीं पड़ा है।
नड्डा अपने मंथन में किसकी पीठ ठोंकते हैं या कोड़े बरसाते हंै, यह केवल उन्हीं को मालूम है। नड्डा को हिमाचली समाज से मलाल है या अपनी पार्टी के तीर कमान से यह अस्पष्ट है क्योंकि वह 'अच्छे का साथ देने की दुहाई और 'बुरे को घर बैठाने की नसीहत में समाज की जागृति पर प्रश्र चिन्ह चस्पां करते हैं। लोकतांत्रिक भूमिका में जनता की उम्मीदें और जनता के विशषण अपने तौर पर अच्छा-बुरा गढ़ लेते हैं, इसलिए हर चुनाव एक सबक सरीखा है। हिमाचल के उपचुनावों में परिणामों की एक छोटी सी फेहरिस्त से बड़े उसके कारण हो सकते हैं, लेकिन न मानें तो सौ बहाने भी होंगे। बेशक बिलासपुर में एम्स को कार्यशील करने वालों की पीठ थपथपानी होगी, लेकिन क्या केवल इमारतें ही राजनीति को आशीर्वाद देंगी। इस एम्स ने अपने लक्ष्य ऊंचे रखे होंगे, लेकिन भवन के भीतर अगर डाक्टरी नहीं जीत पाती है, तो दोष किसे देंगे। यह नड्डा के सपनों का एम्स तो बन गया, लेकिन जनता के यथार्थ का एम्स बनना बाकी है।
एम्स में मरीजों से पहले जो विशेषज्ञ आए हैं, उस कॉडर में शहीद हुए अपने ही प्रदेश के कई मेडिकल कालेज देखे जा सकते हैं। नेरचौक, टांडा और आईजीएमसी से रुखसत हुए डाक्टर अब एम्स को संवारेंगे, लेकिन कॉडर की इस भागदौड़ ने हिमाचल की स्वास्थ्य सेवाओं में अस्थिरता ही पैदा की है। यही अस्थिरता चंबा मेडिकल कालेज की विरासत में अगर फैकल्टी नहीं दे पा रही है, तो गुणात्मक उत्थान कैसे होगा। हिमाचल में मेडिकल कालेजों व विभिन्न संस्थानों की भीड़ के बीच कम से कम मरीज तो भीड़ न बनें। इसके लिए गांव स्तर की डिस्पेंसरी का सक्षम होना बहुत जरूरी है। एम्स को परिसर की रचना में तो सफलता के आयाम मिल रहे हैं, लेकिन कनेक्टिविटी के मसले पर राज्य को अपना मानचित्र मुकम्मल करना होगा। बिलासपुर के एम्स से जुड़ता मंडी-मनाली फोरलेन भले ही इसे आगे बढ़ाएगा, लेकिन बिलासपुर से शिमला, हमीरपुर और कांगड़ा के फोरलेन का जब तक कार्य नहीं होता, इसकी प्रासंगिकता पर प्रश्र रहेगा। नेरचौक, आईजीएमसी, हमीरपुर मेडिकल कालेज या टीएमसी जैसे स्वास्थ्य संस्थानों के बीच एम्स का व्यावहारिक पक्ष अभी साबित होना बाकी है।
बहरहाल यह परियोजना केंद्र व प्रदेश के बीच भाजपा सरकारों के सेतु के रूप में चमक जरूर रही है। डबल इंजन सरकार के पैमाने में हिमाचल की एक और बड़ी उपलब्धि पूर्ण वैक्सीनेटिड स्टेट होने से पुख्ता हो रही है। निश्चित रूप से इस संयोग में हिमाचल सरकार को राष्ट्रीय स्तर की शाबाशी मिल रही है। स्वास्थ्य विभाग ने जिस तरह इस अभियान को चलाया तथा केंद्र से लगातार आपूर्ति होती रही, उसके परिणाम स्वरूप यह उपलब्धि सामने आ रही है। हिमाचल में डबल इंजन सरकार की व्याख्या में कई और कारनामे ईजाद हो सकते हैं, बशर्ते केंद्र की ओर से पूर्व घोषित योजनाओं का अंजाम सुखद हो। कनेक्टिविटी को लेकर हिमाचल के कई मसले व अपेक्षाएं आज भी संबोधित नहीं हो रहे हैं। कुछ महत्त्वपूर्ण नेशनल हाई-वे, एयरपोर्ट विस्तार व नए हवाई अड्डों का निर्माण, बल्क ड्रग पार्क व रेल विस्तार के खाके में अंदरूनी हिस्से जुड़ते हैं, तो डबल इंजन अवश्य ही चलता हुआ दिखाई देगा।
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