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एक वक्त था जब नेता नौकरियों के साथ-साथ रोटी, कपड़ा और मकान के वादे करते थे
बिक्रम वोहरा एक वक्त था जब नेता नौकरियों के साथ-साथ रोटी, कपड़ा और मकान के वादे करते थे, जिनमें से अधिकांश अधूरे रह जाते थे. क्योंकि जीत के बाद उपेक्षा और अहंकार में ये वादे भुला दिए जाते थे. लेकिन अब आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के बीजेपी अध्यक्ष सोमू वीरराजू (Somu Veerraju) ने नया आयाम तय कर दिया है. उन्होंने जनता से वादा किया है कि अगर उनकी पार्टी को एक करोड़ वोट मिलते हैं और मौजूदा विजयी उम्मीदवारों को हराने में कामयाबी मिलती है तो लोगों को अच्छी शराब की बोतलें सिर्फ 70 रुपये में मिला करेंगी.
तो अगर आप विजयवाड़ा में वोदका पाना चाहते हैं तो आपके लिए अच्छा मौका है. इसके लिए आपको बीजेपी को वोट देना होगा. अपने वादे के लिए उन्होंने इस आरोप को आधार बनाया कि मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी कथित रूप से नकली और घटिया शराब बेच रही है. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि राज्य में बेहद खराब क्वॉलिटी की शराब ऊंचे दाम पर बेची जा रही है, जबकि बड़े और लोकप्रिय ब्रांड उपलब्ध नहीं हैं.
क्या इस बयान के लिए बीजेपी सोमू वीरराजू पर कार्रवाई करेगी?
उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस अखबार का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में शराब को 'स्पेशल स्टेटस' और 'गवर्नर मेडल' जैसे लेबल लगाकर बेचा जा रहा है. वे ब्रांडेड शराब नहीं बेच रहे हैं. इसके बाद उन्होंने बयान दिया कि जगनमोहन रेड्डी सरकार ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था, लेकिन अब वे ब्रांडी बनाकर बेच रहे हैं.
वाकई वीरराजू ने अपने वादे से एक नया अध्याय जोड़ दिया है. जहां शराबबंदी का वादा महिला वोट बैंक को अपने पक्ष में करने का दांव साबित होता था. इस राजनेता ने लोगों को शराब का लालच देकर बड़ा दांव खेलने का फैसला ले लिया. जबकि अब तक हम सोचते थे कि सभी राजनीतिक दल इसका विरोध करते हैं. ये तय करते हैं कि गरीब जनता शराब से दूर रहे और उन पर मदिरा के देवता का प्रकोप न हो.
क्या ऐसी हैरान कर देने वाली रणनीति बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी सोमू वीरराजू की पीठ थपथाएगी, क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि इससे राज्य में पार्टी की खराब हालत सुधर जाएगी, या पार्टी के विचारों के खिलाफ जाने और शराब को बढ़ावा देने के लिए उनके खिलाफ कदम उठाएगी? क्या जनता को झुमाने का वादा करने के बाद उन पर पार्टी कार्रवाई का जोखिम उठा पाएगी?
वीरराजू के बयान का क्या असर होगा
केंद्र की बीजेपी सरकार इस वादे का खुलकर समर्थन करेगी इसकी कोई संभावना नहीं नजर आती. लेकिन क्या ऐसा मुमकिन है कि जब तब वे कतार में खड़े होकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं कर लेते तब तक गुप्त रूप से? एक चुस्की, एक घूंट और सही बॉक्स में निशान! चीयर्स, ऐसे झोंकी जाती है आंखों में धूल!
आपको ये मानना होगा कि वीरराजू यकीनन ईमानदार हैं. आपने पहले कभी किसी नेता को वोट के लिए शराब की पेशकश करते नहीं सुना होगा. और बोनस के तौर पर वे जनता के स्वास्थ्य के प्रति चिंता जाहिर करते हुए ये भी मांग कर रहे हैं कि वाईएसआर खतरनाक और नकली शराब का उत्पादन बंद कराए. इसके बाद भी वे नहीं रुके. उन्होंने ये भी कहा कि वाईएसआर ने भले ही शराब पर लगने वाला वैट कम कर दिया हो, लेकिन आज भी शराब की एमआरपी में कोई बदलाव नहीं आया है, जिससे खरीदारों को कोई फायदा नहीं हो रहा. इसलिए, शराब खराब हो चुकी हैं तो बीजेपी बेहतर शराब का वादा कर रही है!
लेकिन अभी के लिए वीरराजू द्वारा शहर को 'लाल' करने की पेशकश से लोगों का आकर्षित होना तय है. वॉटरफोर्ड और उसके साथियों के 'मैड मार्क्विस' से भी कहीं ज्यादा, जिन्होंने 1837 में लीसेस्टरशायर के मेल्टन मोब्रे कस्बे में दरवाजों और चिह्नों को लाल करने का फैसला लिया था. इसलिए मैंने यहां इस फ्रेज का इस्तेमाल किया. हम केवल यह उम्मीद कर सकते हैं कि उन्होंने ये बातें नशे में नहीं कही और इसके लिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता उन्हें दंडित नहीं करेंगे. जब तक हम करीमनगर में मधुशाला में मिलते हैं, वीर आप खैर मनाएं. सावधान रहें, क्योंकि आपके बयान का प्रभाव खुमार की तरह खत्म नहीं होगा.
Rani Sahu
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