सम्पादकीय

क्या प्रियंका गांधी सेलेक्टिव सोच वाली सियासत करती हैं?

Rani Sahu
21 Oct 2021 4:05 PM GMT
क्या प्रियंका गांधी सेलेक्टिव सोच वाली सियासत करती हैं?
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2014 के बाद लगातार चुनाव हारती और कमजोर होती कांग्रेस के लिए प्रियंका गांधी उम्मीद बनकर सामने आई हैं

राहुल सिन्हा 2014 के बाद लगातार चुनाव हारती और कमजोर होती कांग्रेस के लिए प्रियंका गांधी उम्मीद बनकर सामने आई हैं. प्रियंका सड़क पर उतर कर संघर्ष कर रही हैं. लेकिन प्रियंका के इस संघर्ष पर सेलेक्टिव सोच का आरोप भी लग रहा है. आगरा में एक दलित परिवार का दर्द सुनती प्रियंका गांधी पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाती, उनका दर्द बांटती दिखीं. लेकिन इसी और ऐसी ही दूसरी तस्वीर के बहाने विपक्ष कांग्रेस पर सवाल भी खड़ा कर रहा है. विपक्षा पूछ रहा है कि आखिर कांग्रेस को यूपी के दलित और उनका दर्द ही क्यों नज़र आता है. विपक्षी नेता पंजाब के लखबीर सिंह की याद दिला रहे हैं. उस लखबीर सिंह की जिसकी दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर निर्मम हत्या कर दी गई थी. पंजाब का रहने वाला लखबीर दलित था. उसकी तीन मासूम बेटियां हैं. विपक्ष का सवाल ये है कि आखिर प्रियंका लखबीर सिंह के घर क्यों नहीं गईं. आखिर प्रियंका को लखबीर के घरवालों का दर्द क्यों नहीं दिखता.

सवाल राजस्थान के हनुमानगढ़ को लेकर भी हैं. हनुमानगढ़ में दलित जगदीश मेघवाल की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी. लेकिन तब भी प्रियंका हनुमानगढ़ नहीं गई थीं. इन सवालों के बीच सच ये भी है कि प्रियंका गांधी बेशक राजस्थान और पंजाब नहीं गई हों लेकिन यूपी में उनकी सक्रियता ने कांग्रेस को नई मजबूती दी है. यूपी में प्रियंका के जमीनी संघर्ष ने कांग्रेस को भरोसा दिलाया है कि वो सड़क पर संघर्ष कर फिर लखनऊ की सत्ता तक पहुंच सकती है. ये पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी किसी पीड़ित परिवार से मिली हों.
इससे पहले 13 अगस्त 2019 को प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में सोनभद्र के उम्भा पहुंच कर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी. सोनभद्र के उम्भा में जमीन विवाद में गोली चली थी. इस विवाद में 10 लोगों की जान गई थी. 7 दिसंबर 2019 को उन्नाव में गैंगरेप पीड़िता के परिवार से मिलने के लिए प्रियंका गांधी उन्नाव पहुंची थी. 3 अक्टूबर 2020 को हाथरस रेप पीड़िता के घर पहुंचकर राहुल और प्रियंका गांधी ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की थी. 6 अक्टूबर 2021 को प्रियंका गांधी, राहुल गांधी के साथ लखीमपुर पहुंची थी. प्रियंका और राहुल गांधी ने लखीमपुर हिंसा में मारे गए किसानों के परिवार से मुलाकात की थी. 20 अक्टूबर 2021 को प्रियंका गांधी ने आगरा पहुंच कर दलित परिवार से मुलाकात की थी.
यानी प्रियंका गांधी हर उस जगह पर पहुंची जहां पीड़ितों की आवाज उठानी जरूरी थी. यहां पीड़ितों के आवाज उठानी जरूरी है. सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि आखीर पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेशों में प्रियंका गांधी पीड़ितों की आवाज क्यों नहीं उठाती हैं. ये सच है कि प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में इस वक्त सबसे एग्रेसिव नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई है. पिछले दो सालों में वो योगी सरकार के खिलाफ सबसे ज्यादा सड़क पर उतरी हैं. यूपी में प्रियंका हर उस जगह नज़र आती हैं जहां किसी के साथ अन्याय हुआ है. इसी को लेकर सेलेक्टिव सोच वाला सवाल उठता है. क्योंकि प्रियंका की पहचान एक राष्ट्रीय नेता की है.
पंजाब में कैप्टन-सिद्धू के बीच हुए विवाद को सुलझाने में प्रियंका की अहम भूमिका थी. राजस्थान में अशोक गहलोत-सचिन पायलट के बीच विवाद को सुलझाने में भी प्रियंका गांधी की भूमिका थी. कांग्रेस में प्रियंका गांधी टॉप 3 नेताओं में शुमार हैं. इसलिए प्रियंका गांधी से उम्मीद की जाती है कि वो दूसरे राज्यों से जुड़े मुद्दों पर भी बोले और पीड़ितों को न्याय दिलाने की पहल करें. खासतौर पर उन राज्यों को लेकर जहां कांग्रेस की सरकार है. लेकिन प्रियंका का फोकस सिर्फ उत्तर प्रदेश पर ही दिखता है. वैसे इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि वो यूपी कांग्रेस की इंचार्ज हैं और यूपी में उनके नेतृत्व में ही कांग्रेस लड़ाई लड़ रही है.


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